Move to Jagran APP

बालाकोट पर हवाई हमले का हवाला देकर अरुण जेटली ने साधा विरोधियों पर निशाना

अरुण जेटली ने कहा कि वायु सेना ने जब पाकिस्तान स्थित जैश ए मुहम्मद के ठिकानों पर हमला किया तो विरोध करने वालों ने बालाकोट को भारतीय सीमा के भीतर ही बताना शुरू कर दिया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 09:14 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 09:14 PM (IST)
बालाकोट पर हवाई हमले का हवाला देकर अरुण जेटली ने साधा विरोधियों पर निशाना
बालाकोट पर हवाई हमले का हवाला देकर अरुण जेटली ने साधा विरोधियों पर निशाना

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विरोधियों पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारतीय वायु सेना ने जब पाकिस्तान स्थित जैश ए मुहम्मद के ठिकानों पर हमला किया तो स्वभावत: विरोध करने वालों ने बालाकोट को भारतीय सीमा के भीतर ही बताना शुरू कर दिया था। विरोधी राग अलापने वालों ने यह तक नहीं सोचा कि हमारी वायुसेना अपनी ही सीमा के भीतर क्यों हमला करेगी।

loksabha election banner

जेटली ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम पर आधारित एक पुस्तक 'मन की बात- ए सोशल रिवॉल्यूशन ऑन रेडियो' के लोकार्पण के अवसर पर यह बात कही। जेटली ने कहा, ''जब हमारी वायुसेना पाकिस्तान के खैबर पख्तूंख्वा प्रांत के बालाकोट में पहुंची तो जब तक कोई व्यक्ति जानकारी जुटा पाता उससे पहले ही कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि यह नियंत्रण रेखा के काफी निकट है और कुछ लोगों, जिनको मैं स्वभावत: विरोधी कहता हूं, उन्होंने तो जांच किए बगैर ही एक नया बालाकोट ढूंढ़ लिया। यह बालाकोट नियंत्रण रेखा के उस पार नहीं बल्कि हमारे पुंछ में था।'

जेटली ने इस मौके पर न्यूज चैनलों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वे रिपोर्टिग की बजाय एजेंडा सेटिंग पर जोर दे रहे हैं। इसकी वजह से नेताओं को जनता से सीधे संवाद के वैकल्पिक माध्यमों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यह प्रिंट मीडिया और रेडियो के लिए उनका स्थान पुन: हासिल करने के लिए सुनहरा अवसर है।

जेटली ने कहा कि टेलीविजन चैनल 90 के दशक में शुरु हुए। शुरू में वे पैनल डिस्कशन करते थे, कुछ खबरों के बुलेटिन देते थे लेकिन उसके बाद उनमें एजेंडा सेट करने की होड़ लग गयी। परंपरागत तौर पर मीडिया की भूमिका रिपोर्ट करने और संपादकीय पेज पर विचार व्यक्त करने की थी लेकिन अब वह देश के एजेंडा को रिपोर्ट करने के बजाय एजेंडा सेट कर रही है। जब से यह शुरू हुआ है, आपको रिमोट लेकर खबरें ढूंढ़नी पड़ती हैं जबकि एजेंडा हर जगह उपलब्ध है।

जेटली ने कहा कि उन्हें याद है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 2002 में गुजरात में चुनाव था। उस समय स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया उनका मित्र नहीं था। यह आक्रामक तरीके से उनके खिलाफ था।

उस समय पार्टी की ओर से वह खुद चुनाव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उस समय पार्टी की रणनीति यही थी कि जिस माध्यम में रिपोर्टिग की जगह एजेंडा सेटिंग पर जोर है, आप उसके जरिए लोगों से संवाद स्थापित नहीं कर सकते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.