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अरुण जेटली नए सरकारी घर में हो सकते हैं शिफ्ट, मंत्री के तौर पर मिला है आलीशान बंगला

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली जल्द ही अपने सरकारी बंगले को खाली कर नए घर में शिफ्ट हो सकते हैं। हालांकि यह घर भी सरकारी ही होगा। स्वास्थ कारणों से वे सरकार में शामिल नहीं हुए थे।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 10:02 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 10:02 PM (IST)
अरुण जेटली नए सरकारी घर में हो सकते हैं शिफ्ट, मंत्री के तौर पर मिला है आलीशान बंगला
अरुण जेटली नए सरकारी घर में हो सकते हैं शिफ्ट, मंत्री के तौर पर मिला है आलीशान बंगला

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली जल्द ही अपने सरकारी बंगले को खाली कर नए घर में शिफ्ट हो सकते हैं। हालांकि, उनका घर भी सरकारी ही होगा, लेकिन मंत्री के रूप में मिले बड़े बंगले की तरह आलीशान नहीं होगा। जेटली स्वास्थ कारणों के चलते मोदी सरकार में शामिल नहीं हुए थे।

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मोदी सरकार के गठन से एक दिन पहले 29 मई को जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा था कि स्वास्थ्य कारणों के चलते वह नई सरकार में मंत्री नहीं बनना चाहते हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पिछले डेढ़ वर्ष से वह स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भविष्य में वह अपने इलाज और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहते हैं इसलिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहेंगे।

सूत्रों ने बताया कि जेटली अभी नए सरकारी घर में जाने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है। दिल्ली के कैलाश कॉलोनी में उनका अपना निजी आवास भी है। मंत्री के रूप में उन्हें 2014 में 2, कृष्ण मेनन मार्ग का बंगला आवंटित किया गया था।

अरुण जेटली अभी राज्यसभा के सदस्य हैं। पिछली सरकार में वह राज्यसभा में सत्तारुढ़ दल के नेता भी थे, जिसके चलते भी बड़े बंगले के हकदार थे। अगर मौजूदा सरकार में उन्हें वहीं दर्जा मिलता है तो वह बड़े बंगले के फिर पात्र हो जाएंगे।

मंत्री के रूप में जेटली को टाइप-8 बंगला मिला है। यह बंगला 8,250 वर्ग फुट के प्लाट पर 1,970 वर्ग फुट में बना होता है। इसमें आठ शयनकक्ष, नौकरों के लिए चार क्वार्टर, दो गैरेज और आगे व पीछे लॉन होता है।

अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद जेटली को मोदी सरकार में बिना विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है। पेशे से वकील अरुण जेटली पिछली मोदी कैबिनेट में सबसे अहम नेता माने जाते थे। उन्हें सरकार के संकटमोचक के रूप में भी देखा जाता था। वित्तमंत्री के तौर पर उन्हें जीएसटी को कानून में बदलने का श्रेय भी जाता है।

जेटली 47 साल की उम्र में पहली बार संसद पहुंचे थे। वह गुजरात से राज्यसभा के लिए चुने गए थे, तब नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री हुआ करते थे।

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