कलाकारों, लेखकों ने की नागरिकता विधेयक वापस लेने की मांग
लगभग 600 कलाकारों लेखकों विद्वानों पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व नौकरशाहों ने नागरिकता संशोधन विधेयक को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की।
नई दिल्ली, प्रेट्र। लगभग 600 कलाकारों, लेखकों, विद्वानों, पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व नौकरशाहों ने नागरिकता संशोधन विधेयक को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी बताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। सरकार को लिखे एक खुले पत्र में इन लोगों ने विधेयक को संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में इतिहासकार रोमिला थापर, लेखक अमिताव घोष, अभिनेत्री नंदिता दास, फिल्म निर्माता अपर्णा सेन और आनंद पटवर्धन, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव, तीस्ता शीतलवाड़, हर्ष मांदर, अरुणा राय, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह और देश के पहले सीआइसी वजाहत हबीबुल्लाह शामिल हैं।
पत्र में इन लोगों ने लिखा है कि हम सब अकादमिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोग इस विधेयक को विभाजनकारी, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक मानते हैं। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के साथ यह कानून देशभर में लोगों के उत्पीड़न का कारण बनेगा। यह भारतीय गणतंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा। इसलिए हमारी मांग है कि सरकार इस विधेयक को वापस ले।
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा से पास हो चुका है। आज यानी बुधवार को यह बिल राज्यसभा में पास पेश होना है। इस बिल को पास करान के लिए कम से कम 121 सांसदों का समर्थन चाहिए।
बता दें कि इस बिल से एक वर्ग जहां खुश हैं। वहीं, विपक्ष की तरफ से लगातार इस बिल का विरोध हो रहा है। इस बिल के राज्यसभा में पेश होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है। गौरतलब है कि इस बिल का समर्थन पाकिस्तानी सिंगर अदनान सामी ने किया है।
गौरतलब है कि शिवसेना ने पहले इस बिल पर सहमति जताई थी, लेकिन थोडे़ देरी बाद अपने बयान से यू टर्न ले लिया। बता दें कि राहुल गांधी भी इस बिल पर अपना विरोध जता चुके हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बिल के राज्यसभा में पेश होने से पहले कह चुकी हैं कि विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है।