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Article 370 revoked: मोदी-शाह की कुशल राजनीति के सामने लगातार पटखनी खा रही कांग्रेस

कांग्रेस समेत जो लोग और दल धारा 370 हटाने का विरोध करते रहे वह देश की भावना के विपरीत क्यों चल रहे हैं। कांग्रेस आखिर कब हकीकत से रूबरू होगी?

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 08:12 PM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 08:12 PM (IST)
Article 370 revoked: मोदी-शाह की कुशल राजनीति के सामने लगातार पटखनी खा रही कांग्रेस
Article 370 revoked: मोदी-शाह की कुशल राजनीति के सामने लगातार पटखनी खा रही कांग्रेस

प्रशांत मिश्र [ त्वरित टिप्पणी ]। कश्मीर को धारा 370 से आजादी मिल गई, जम्मू-कश्मीर भारत का अटूट अंग बन गया। देश में और संसद में जो माहौल है उसमें यह होना ही था। आश्चर्य यह है कि देश की इस तमन्ना को समझने और उसे पूरा करने के लिए साहसिक कदम उठाने में आखिर 70 साल कैसे लग गए।

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फिलहाल सवाल यह है कि कांग्रेस समेत जो लोग और दल इसका विरोध करते रहे वह देश की भावना के विपरीत क्यों चल रहे हैं। कांग्रेस आखिर कब हकीकत से रूबरू होगी? कब समझेगी कि वह खुद ही अपने हाथ जला रही है? कब अहसास होगा कि उसकी राजनीतिक सोच जनमानस की सोच से परे है? पहले ही हाशिए पर खड़ी कांग्रेस नेतृत्व के लिए जम्मू कश्मीर पर चर्चा के वक्त भूल सुधार का एक मौका था, लेकिन वह फिर चूक गई।

अभी बहुत दिन नहीं गुजरे हैं जब लोकसभा में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने बहुत ही गैर-जवाबदेह तरीके से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। लेकिन उसका ठीकरा दूसरे नेताओं के सिर फोड़ते रहे थे। आखरी तक उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया कि खराब प्रदर्शन का सबसे बड़ा कारण वह खुद रहे थे।

जिस तरह उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी पर सवाल खड़ा किया था वह जनमानस को अच्छा नहीं लगा था। उससे पहले के चुनावों में जिस तरह सेना के पराक्रम पर सवाल खड़ा किया था और कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता सवाल खड़े कर रहे थे, वह जनमानस को अच्छा नहीं लगा था।

खुद कांग्रेस के अंदर ही पार्टी के रुख को लेकर उसी तरह सवाल उठ रहे थे जैसे जम्मू-कश्मीर को लेकर पार्टी के अंदर मतभेद दिखा, लेकिन पता नहीं कांग्रेस नेतृत्व को क्या हो गया है। आंखें बंद हो गई हैं या कान पर हाथ रख लिया है।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के अस्थायी विशेष प्रावधान को हटाने का मौका आया तो ऐन वक्त पर कांग्रेस के अंदर दरार दिखने लगी। नेतृत्व में भी थोड़ी घबराहट दिखने लगी और तय किया कि प्रक्रिया को आधार बनाकर विरोध तो करेंगे ही।

क्या कांग्रेस को इसका अहसास नहीं है कि धारा 370 कैसे अब तक राज्य के विकास के लिए बाधक बना रहा। कई केंद्रीय योजनाएं पूरे देश में चल रही हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में वह लागू नहीं है। धारा 370 कैसे राज्य के विकास में बाधक बना है इसके कई आंकड़े खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गिनाया, लेकिन विरोध करने वाले 370 के उपयोग का एक तर्क नहीं गिना पाए।

कांग्रेस की ओर से भी कोई ऐसा तर्क नहीं आया। फिर विरोध किस बात का और अगर राजनीति की खातिर ही कांग्रेस इसका विरोध कर रही है तो लाभ क्या मिलने वाला है। सच्चाई तो यह है कि इस अहम मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस, बसपा, अन्नाद्रमुक जैसी पार्टी जनता के मन को समझ गई, लेकिन कांग्रेस फिसल गई है जिसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने वह कर दिखाया है जिसकी चाह देश के मन में वर्षो से थी। पूरी तैयारी के साथ पहले जनभावना समझी, स्थानीय लोगों की परेशानी को परखा, चौतरफा पेशबंदी की और फिर कानून सम्मत तरीके से इतिहास की एक बड़ी गांठ को खोल दिया।

एक झटके में न सिर्फ पार्टी के एजेंडे और देश की तमन्ना को परवान चढ़ा दिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत सरकार का एक संदेश दे दिया है। यह सच है कि कांग्रेस और भाजपा की दूरी बहुत बढ़ गई है, लेकिन अगर कांग्रेस इसे पाटने का सपना भी देखती है तो पहले सोच दुरुस्त करनी होगी।

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