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मुस्लिम पक्ष की सुप्रीम कोर्ट मे दलील, हिंदुओं ने रात में चुपके से अंदर रखी थी रामलला की मूर्ति

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदें दोबारा बनाने का आदेश दिया था जबकि अयोध्या में मूर्ति हटाने का आदेश होने के बावजूद मूर्ति नहीं हटाई गई।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 09:45 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 10:12 PM (IST)
मुस्लिम पक्ष की सुप्रीम कोर्ट मे दलील, हिंदुओं ने रात में चुपके से अंदर रखी थी रामलला की मूर्ति

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मस्जिद होने का दावा कर रहे मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोई चमत्कार नहीं हुआ था बल्कि हिंदुओं ने 22-23 दिसंबर 1949 को रात के अंधेरे में चुपके से रामलला की मूर्ति अंदर रखी थी । यह एक सुनियोजित हमला था। मुस्लिम पक्ष ने वहां मस्जिद साबित करने की कोशिश करते हुए यह भी कहा कि वह अल्लाह का दावा कर रहे हैं, उस इमारत पर दावा कर रहे है वे सड़क किनारे की किसी मस्जिद का दावा नहीं कर रहे।

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ये दलीलें मंगलवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षों की ओर से राजीव धवन और एजाज मकबूल ने दीं। सुप्रीम कोर्ट ामले पर रोजाना सुनवाई चल रही है।

धवन ने तिथिवार घटनाक्रम पेश करके अपना दावा साबित करने की कोशिश की। धवन ने कहा कि केन्द्रीय गुंबद के नीचे रामलला की मूर्ति साजिशन हमला कर चुपके से रखी गई थी। इस साजिश की शुरुआत तो 19 मार्च 1949 को हो गई थी जब निर्मोही अखाड़ा ने पंजीकरण कराया था और पहली बार राम जन्मभूमि मंदिर का जिक्र किया था।

धवन ने कहा कि 22-23 दिसंबर की रात अंदर मूर्ति रखी गईं। इसकी एफआइआर हुई। उसके पहले 29 नवंबर 1949 को फैजाबाद के एसपी किरपाल सिंह के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर केके नायर को सूचित किया था कि यह अफवाह जोरों पर है कि हिंदू पूर्णमासी को मस्जिद में जबरन घुस कर मूर्ति रखने की कोशिश करेंगे। इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने धवन से सवाल किया कि पूर्णमासी के दिन क्या हुआ था। धवन इसका जवाब नहीं दे पाए, कहा पता करेंगे।

धवन ने फैजाबाद के डिप्टी कमिश्नर और जिलाधिकारी केके नायर के 16 दिसंबर 1949 को उत्तर प्रदेश के गृह सचिव गोविन्द नारायण को लिखे पत्र का हवाला दिया जिसमें नायर ने लिखा था कि वहां विक्रमादित्य ने भव्य मंदिर बनवाया था जिसे बाबर ने 16वीं शताब्दी में तोड़ दिया और वहां बाबरी मस्जिद बनवाई और मस्जिद में मंदिर की निर्माण सामग्री का उपयोग किया। यह भी कहा था कि बहुत पहले हिन्दुओं ने वहां एक ओर फिर से कब्जा कर लिया है। कहा था कि वहां जब मुसलमान मंदिर के सामने से नमाज के लिए जाते हैं तो कई बार उनके जूते न उतारने पर झगड़ा होता है।

धवन ने कहा कि 27 दिसंबर 1949 को खासतौर पर मूर्तियां हटाने का आदेश होने के बावजूद नायर ने वहां से मूर्तियां नहीं हटाईं। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने धवन से वह विशेष आदेश पूछा। धवन नहीं बता पाए, कहा कि वह देख कर बताएंगे। धवन ने 10 दिसंबर 1949 की वक्फ इंस्पेक्टर इब्राहिम की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जिसमें नमाज के लिये जाने वाले मुस्लिमों को प्रताडि़त करने की बात है। यह भी है कि बाहरी आहाते में हिन्दू मंदिर है जहां बहुत से हिन्दू रहते हैं।

हिन्दुओं ने गैर-कानूनी ढंग से कब्जा किया अब कोर्ट में दावा कर रहे हैं

धवन ने कहा कि घटनाक्रम से साबित होता है कि विवादित स्थल पर मस्जिद थी और सरकारी अथारिटी आंतरिक पत्राचार में उसे मस्जिद की तरह रिफर करते थे। यह भी साबित होता है कि हिन्दू मंदिर बाहर अहाते मे था और मस्जिद में मुस्लिम नमाज पढ़ने जाते थे तो हिन्दू उन्हें प्रताडि़त करने थे। अथारिटी मुसलमानों को धमकी और वहां हमले की बात भी मानती थीं लेकिन उसने कोई कदम नहीं उठाया। धवन ने कहा कि हिन्दुओं ने गैरकानूनी ढंग से वहां कब्जा किया और अब वे कोर्ट में उस जगह पर अपना दावा कर रहे हैं।

फोटो दिखा कर कहा ढांचे में तीन जगह अरबी में लिखा था अल्लाह

धवन ने विवादित ढांचे को मस्जिद बताते हुए 1950 के शिलालेख का जिक्र किया और फोटो दिखाई जिसमें तीन जगह अरबी में अल्लाह लिखा होना बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि हिन्दू पक्ष इस शिलालेख पर विवाद उठाता है। धवन ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा के सेवादार और प्रबंधन के दावे पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उनका मुकदमा समय भीतर दाखिल न होने और लगातार गलती जारी रहने के मुद्दे पर उन्हें आपत्ति है और वह उस पर बहस करेंगे।

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मूर्ति पहले चबूतरे पर थी जो कि अंदर रखी गई

धवन ने कहा कि रामलला की मूर्ति पहले बाहरी आहाते मे बने चबूतरे पर थी जिसे 22-23 दिसंबर 1949 को अंदर रखा गया। उन्होंने इस बारे में हाईकोर्ट के फैसले में दर्ज गवाहियों के अंशों का हवाला दिया।

नेहरू ने दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदें पुन: बनवाई थीं

धवन ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में तोड़ी गई 30 मस्जिदें दोबारा बनाने का आदेश दिया था जबकि अयोध्या में मूर्ति हटाने का आदेश होने के बावजूद मूर्ति नहीं हटाई गई।

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