न्यूनतम आय में लटकी इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति, सभी प्रस्तावों पर लगी रोक
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जिनकी संस्तुति हाईकोर्ट जज के लिए की है उनमें ज्यादातर न्यूनतम आय का मानक पूरा नहीं करते। इसके बावजूद कोलेजियम ने उनके नामों की संस्तुति की है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 13 वकीलों को न्यायाधीश नियुक्त करने का मामला न्यूनतम आय के चक्कर में लटक गया है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की ओर से 13 नामों की संस्तुति सरकार को भेजी गई है जिसमें से 10 लोग सात लाख सालाना एवरेज नेट प्रोफेशनल इनकम का क्राइटेरिया पूरा नहीं करते। हालांकि सरकार ने सभी 13 नामों की संस्तुतियां फिलहाल रोक रखी हैं।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट कोलेजियम की वकीलों को न्यायाधीश नियुक्त करने की भेजी गई सिफारिशों में कुल तीन बार में 13 नामों की नियुक्ति की सिफारिश सरकार को भेजी थी। हाईकोर्ट ने इन नामों की सिफारिश गत वर्ष की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने तीन बार में सरकार को भेजा था।
बताते चलें कि नियम के मुताबिक हाईकोर्ट न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए पिछले पांच वर्षो में न्यूनतम औसत नेट प्रोफेशनल इनकम सात लाख सालाना होनी चाहिए। यह वकालत से होने वाली आय है। यह आय पूरे पांच साल की आय का औसत देख कर तय होती है।
औसत नेट प्रोफेशनल इनकम तय करते समय उससे एक्सपेन्डीचर आन प्रोफेशन यानी पेशेगत खर्च निकाल दिया जाता है। सालाना आय देखने के लिए उम्मीदवार द्वारा भरा गया आयकर और सीए की ओर से प्रोफेशनल इनकम प्रमाणित करने वाला दिया गया प्रमाणपत्र देखा जाता है।
हाईकोर्ट जज नियुक्त होने के लिए आय का यह मानदंड मैमोरेन्डम आफ प्रोसीजर (एमओपी) पर चर्चा में सरकार और सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय कोलेजियम की सहमति से तय हुआ है। इसके अलावा हाईकोर्ट जज नियुक्त होने के लिए उम्मीदवार की उम्र 45 से 55 के बीच होना भी जरूरी मानक है। इस पर भी दोनों के बीच सहमति है।
सूत्र बताते हैं कि सुप्रीम कोलेजियम ने जिन नामों की संस्तुति की है उनमें ज्यादातर न्यूनतम आय का मानक पूरा नहीं करते। इसके बावजूद कोलेजियम ने उनके नामों की संस्तुति की है। हालांकि तीन लोग ऐसे हैं जो न्यूनतम आय के मानक पूरा करते हैं लेकिन उनके मामले में कुछ और कारण हैं जिसकी वजह से सरकार ने उनके नाम भी फिलहाल रोक रखे हैं।
मालूम हो कि हाईकोर्ट में नियुक्त के लिए सिफारिश करने वाली सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम तीन सदस्यीय होती है। जिसमें मुख्य न्यायाधीश और दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन अलग-अलग तिथियों पर इन कुल 13 वकीलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट का न्यायाधीश बनाने की संस्तुति की थी, लेकिन इनमें से 12 फरवरी को की गई सिफारिश में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दर्ज किया है कि कुछ उम्मीदवारों की आय तय न्यूनतम नेट प्रोफेशनल इनकम से कम है।
कोलेजियम ने कहा कि उसके विचार में एससी, एसटी, ओबीसी या जो लोग सरकारी पैनल में वकील थे और कोर्ट में सरकार का प्रतिनिधित्व करते थे उन्हें न्यूनतम आय से तर्कसंगत छूट देना उचित होगा।
सरकार के सूत्रों का कहना है कि न्यूनतम आय की सहमति पांच सदस्यीय कोलेजियम ने दी थी ऐसे में अगर न्यूनतम आय में छूट दी जानी थी तो यह मुद्दा भी पांच सदस्यीय कोलेजियम को जाना चाहिए था जबकि न्यूनतम आय में रियायत तीन सदस्यीय कोलेजियम ने दी है।
सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने एनजेएसी मामले में दिए गए फैसले में कोलीजियम की सहमति से एमओपी तय करने की बात कही थी। हालांकि अभी तक नया एमओपी तय नहीं हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट में नियुक्त की उम्र और आय के मुद्दे पर एमओपी पर सरकार और पांच सदस्यीय कोलेजियम के बीच हुई चर्चा में सहमति बन गई थी और आगे की नियुक्तियों मे उसका अनुपालन भी हो रहा था। खैर अब मुद्दा कुछ भी हो फिलहाल नियुक्ति की फाइलें लटकी हैं।