BRI पर चीन का एक और दांव, तीर्थयात्रियों के लिए आधारभूत संरचना के विकास के लिए की वकालत
चीनी अधिकारी लगातार अपनी ओर यात्रा के लिए आधारभूत संरचनाओं का बखान करते हुए भारत की ओर भी ऐसी ही आधारभूत ढांचे के विकास पर बल देते रहे हैं।
नीलू रंजन, ल्हासा से लौटकर। कैलाश-मानसरोवर तीर्थयात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं के विकास की आड़ में चीन भारत में भी अपने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) को बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। तिब्बत की यात्रा पर गए भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत में वहां के अधिकारियों ने इसके साफ संकेत दिये।
चीन के स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत के विकास और सुधार आयोग के डिप्टी डायरेक्टर जनरल जियांग तैकियांग के अनुसार तिब्बत लोगों के भारतीय बौद्ध तीर्थस्थलों और भारतीय हिंदुओं के कैलाश-मानसरोवर की यात्रा को बढ़ावा देने लिए BRI प्रभावी भूमिका निभा सकता है। चीनी अधिकारी लगातार अपनी ओर यात्रा के लिए आधारभूत संरचनाओं का बखान करते हुए भारत की ओर भी ऐसी ही आधारभूत ढांचे के विकास पर बल देते रहे।
पर्यटन के बहुत सारे आकर्षक केंद्र
बड़ी संख्या में भारत के तीर्थयात्रियों के कैलास-मानसरोवर की यात्रा पर पहुंचने और इसी तर्ज पर तिब्बत के बौद्ध धर्मावलंबियों के भारत स्थित बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों की यात्रा को बढ़ावा देने के बारे में पूछे जाने पर जियांग तैकियांग ने कहा कि भारत और चीन के दुनिया की प्राचीन सभ्यता होने के कारण दोनों देशों में बहुत पर्यटन के बहुत सारे आकर्षक केंद्र हैं।
उन्होंने बताया किस तरह चीन सरकार ने 200 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च कर तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं का विकास किया है। यह भारत के लिए हमारा एक सकारात्मक संदेश है।
आधारभूत संरचनाओं के विकास से मिलेगी मदद
जियांग के अनुसार वे इस बात को लेकर गंभीर हैं कि BRI के ढांचे के तहत तिब्बत और भारत के बीच आपसी बातचीत और आदान-प्रदान को बढ़ाने को आगे बढ़ा सकते हैं। इससे दोनों ओर आधारभूत संरचना का विकास कर सकते हैं। आधारभूत संरचनाओं के विकास से तिब्बत और भारत के बीच लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
चीन के लोग भी भारत जाने के लिए होंगे उत्सुक
जियांग ने कहा कि दोनों देशों के पुरानी सभ्यता होने के कारण हमारा भारत के लोगों के साथ विशेष जुड़ाव भी है। इसीलिए हम भारत के लोगों के साथ दोस्ताना आदान-प्रदान करना चाहते हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि स्वायत्तशासी तिब्बत के लोग के साथ ही चीन के लोग भी भारत जाने के उत्सुक होंगे। लेकिन इसके लिए बेहतर आधारभूत संरचना का निर्माण जरूरी है। उन्होंने कहा कि अभी तक वे खुद भी भारत नहीं आएं हैं, लेकिन भविष्य में अवसर मिलने पर वे जरूर आना चाहेंगे।
गौरतलब है कि चीन बीआरआइ के तहत दुनिया के कई देशों में सड़क व जल यातायात के लिए आधारभूत ढांचे का विकास कर रहा है। लेकिन इसके लिए चीन की फंडिंग के तरीके को लेकर आलोचना भी हो रही है। बीआरआइ में शामिल कई देशों के कर्ज में जाल फंसने के उदारहण पेश किये जाते हैं। यहां कारण भारत अभी तक बीआरआइ से दूरी बनाए हुए है।