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बदलते आर्थिक हालातों में गलत नहीं है आरबीआई की महंगाई को लेकर आशंका

RBI ने लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को बढ़ाया है। रेपो दर में बढ़ोतरी से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त बढ़ जायेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 12:09 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 01:30 PM (IST)
बदलते आर्थिक हालातों में गलत नहीं है आरबीआई की महंगाई को लेकर आशंका

सतीश सिंह। रिजर्व बैंक ने अगस्त, 2018 की मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ोतरी के साथ रेपो दर 6.5 प्रतिशत हो गया है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को बढ़ाया है। केंद्रीय बैंक को लग रहा है कि महंगाई दर में आने वाले महीनों में बढ़ोतरी होगी। रेपो दर में बढ़ोतरी से होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की किस्त बढ़ जायेगी।

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क्‍या होती है रेपो दर

रेपो दर वह दर है, जिस पर बैंक, रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब बैंकों को महंगी दर पर पूंजी मिलेगी तो वे कर्ज की दर में स्वाभाविक रूप से बढ़ोतरी करेंगे। बहरहाल, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स में 50 प्वाइंट से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। अक्टूबर 2013 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने दो मौद्रिक समीक्षाओं में लगातार रेपो दर में बढ़ोतरी की है।

महंगाई में लगातार बढ़ोतरी

रिजर्व बैंक ने महंगाई दर को 4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जून, 2018 में महंगाई दर 5 प्रतिशत पार कर गई थी। महंगाई में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। सरकार ने किसानों की फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी की है। इसके कारण खाद्य पदार्थाें के महंगे होने के आसार हैं। मानसून की चाल के गड़बड़ रहने पर भी महंगाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

चार साल से अधिक की अवधि बाद रेपो रेट में तेजी

चार सालों से अधिक की अवधि के बाद, पिछली मौद्रिक समीक्षा में मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। तब यह 6 से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गया था। 2018-19 में सीपीआई मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित करके पहली छमाही में 4.8 से 4.9 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 4.7 प्रतिशत किया गया है। इस अनुमान में बढ़े हुए एचआरए के प्रभाव को भी शामिल किया गया है। ऐसी स्थिति के कारण रिजर्व बैंक ने अगस्त में की जाने वाली मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दर में बढ़ोतरी की है।

एमएसपी में वृद्धि के कारण

हालिया 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में वृद्धि के कारण कुछ अनुमानों में 50 से 100 बीपीएस के बीच सीपीआई मुद्रास्फीति पर असर पड़ने की संभावना जताई गई है। सार्वजनिक एजेंसियां फसलों की खरीद जब एमएसपी के हिसाब से करती हैं, तो मुद्रास्फीति पर प्रभाव बाजार की कीमतों और एमएसपी पर खरीदे गए अनाजों की मात्र से निर्धारित होता है।

एमएसपी के निर्धारण की घोषणा

उत्पादन लागत में 150 प्रतिशत की वृद्धि के बाद एमएसपी के निर्धारण की घोषणा से सीपीआइ मुद्रास्फीति में 75 से 95 बीपीएस तक की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, यह पूरी तरह से फसलों की खरीद की मात्र पर निर्भर रहेगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून से पूरे भारत में 20 जुलाई, 2018 तक 334.1 मिमी बारिश हुई है, जो लंबी अवधि के औसत से 4 प्रतिशत कम है। हालांकि, वर्षा का स्थानिक वितरण समान नहीं है। अधिक अनाज पैदा करने वाले राज्यों में कम बारिश हुई है।

मुद्रास्फीति के आंकड़े 

वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में कोर सीपीआई 6.20 प्रतिशत रही। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत तक यह 4.5 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा। इसके अतिरिक्त, यदि हम हालिया कोर मुद्रास्फीति के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पायेंगे कि मुद्रास्फीति के कुल 118 बीपीएस वृद्धि में केवल दो संवर्ग जैसे, आवास में 37 बीपीएस और परिवहन एवं संचार में 33 बीपीएस की वृद्धि हुई है, जो कुल कोर वृद्धि का 60 प्रतिशत है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति में आगामी महीनों में वृद्धि की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है।

महंगाई बढ़ने की आशंका

रिजर्व बैंक की महंगाई बढ़ने की आशंका गलत नहीं है। कच्चे तेल की कीमत में लगातार हो रही वृद्धि, 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में व्यापक बढ़ोतरी की घोषणा, सरकारी कर्मचारियों का बढ़ा हुआ एचआरए, मानसून के चाल के गड़बड़ होने की आशंका आदि ऐसे कारण हैं, जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर बढ़ाने के निर्णय को सही ठहराया जा सकता है।

(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं)


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