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राहुल जी आपकी दादी भी नहीं चाहती थी भारत आएं बांग्लादेशी घुसपैठियेः शाह

शाह ने कहा कि जैसे ही उन्होंने सदन में एनआरसी के मुद्दे पर बात रखने की कोशिश की तो सदन में हंगामा किया गया और बात नहीं रखने दी गई।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 09:18 PM (IST)
राहुल जी आपकी दादी भी नहीं चाहती थी भारत आएं बांग्लादेशी घुसपैठियेः शाह

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। असम में एनआरसी को लेकर छिड़ी राजनीतिक जंग और ममता बनर्जी के तीखे बयानों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस समेत दूसरे दलों से सीधा सवाल किया है कि क्या वह भारतीयों के अधिकारों और सुरक्षा को नजरअंदाज कर बंग्लादेशी घुसपैठियों को देश में रखना चाहते हैं। एनआरसी के काम को आखिरी पड़ाव तक पहुंचाने का संकल्प दोहराते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस और दूसरे दल घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह देखते हैं और भाजपा इसे सुरक्षा समस्या के रूप में। भाजपा के मन में कोई दुविधा नहीं है। वह शरणार्थी और घुसपैठियों के अंतर को बखूबी समझती है और मानती है कि देश की जनता का अपना अधिकार है जिसकी बलि नहीं चढ़ाई जा सकती है। फिलहाल केवल भाजपा और बीजद ने इसका समर्थन किया है। दूसरे दलों को जवाब देना होगा कि उनकी प्राथमिकता क्या है।

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एनआरसी को लेकर दिल्ली की राजनीति गर्म है जिसमें संसद के अंदर कई दलों ने एनआरसी पर सवाल उठाया तो बाहर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृहयुद्ध और खून की नदी बहने तक की चेतावनी दे दी। ऐसे में शाह ने एनआरसी का विरोध करने वाले दलों को कठघरे में खड़ा किया। संसद में विपक्ष के शोर शराबे के कारण वह नहीं बोल सके। लेकिन बाहर वह बेलाग बोले और ममता से पूछा कि वह स्पष्ट करें कि किस तरह के गृहयुद्ध की बात कर रही हैं। उन्होंने आगाह किया ऐसी राजनीति देश के लिए खतरनाक है।

घुसपैठ के खिलाफ भाजपा का रुख कितना सख्त है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शाह ने अपनी बात की शुरूआत ही उन 40 लाख लोगों से की जिसकी नागरिकता खत्म होने का सवाल उठाया जा रहा है। शाह ने कहा कि ये वे लोग हैं जो अपने भारतीय होने का सबूत नहीं दे सके हैं। और ऐसे में उन्हें घुसपैठिया माना जाएगा। यह सबकुछ सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय मानकों के आधार पर हुआ है। हालांकि उनके पास अभी वक्त है कि सबूत दें। जो लोग दूसरे राज्यों से आकर रोजी रोटी कमा रहे हैं उन्हें कोई खतरा नहीं है। संबंधित राज्यों से भी रिपोर्ट मांगी गई है। लेकिन जो विदेशी हैं उन्हें भारतीयों का हक मारने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

शाह ने कहा कि यह छवि बनाने की कोशिश हो रही है भाजपा राजनीतिक मंशा से ऐसा कर रही है। लेकिन इसकी शुरूआत तो कांग्रेस के काल में ही हुई थी। 1971 में इंदिरा गांधी ने कहा था कि एक भी घुसपैठिए को देश में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। बाद में राजीव गांधी के काल में 1885 में संधि हुई थी। लेकिन वोट बैंक की राजनीति में धंसी कांग्रेस के अंदर इतना साहस नहीं था कि वह बंग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर कर सके। उसे अपनी जनता के अधिकारों से ज्यादा वोट की चिंता सता रही थी। यह साहस भाजपा सरकार ने दिखाया है। और सुप्रीम कोर्ट के आदेश व निगरानी पर एनआरसी का ड्राफ्ट तैयार हुआ है। भाजपा यह स्वीकार नहीं कर सकती है कि देश के संसाधन का उपभोग विदेशी घुसपैठिए करें।

एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि फिलहाल एनआरसी सिर्फ असम के लिए है। घुसपैठियों की पहचान करने का काम हो रहा है। घुसपैठियों को लेकर आगे के प्रशासनिक और कानूनी रास्ते पर भी विचार होगा। उन्होंने शरणार्थी और घुसपैठियों को लेकर भी भाजपा का विचार स्पष्ट कर दिया। शाह ने कहा कि जो अपना अस्तित्व, धर्म बचाने के लिए आता है वह शरणार्थी है लेकिन जो रोजी रोटी के लिए अवैध रूप से आता है वह घुसपैठी है और उसके लिए स्थान नहीं है।


राम माधव ने कहा- हमारे नेता को बोलने नहीं दिया गया
वहीं, एनआरसी मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बाद भाजपा सांसद अमित शाह बोल अपनी बात नहीं रख पाए। शाम को प्रेस से बात करते हुए भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि हमारे नेता अमित शाह को सदन में बोलने नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 

राम माधव ने आगे कहा कि दुनिया का कोई भी देश अपनी सीमा में घुसपैठियों को बर्दाश्त नहीं करता। जहां तक एनआरसी की बात है तो यह काम पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट की देखरेख और निगरानी में हुआ है। इसमें किसी प्रकार का कोई राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं था। 


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