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Mission Kashmir: मोदी के अधूरे मिशन कश्मीर को पूरा करने में जुटे अमित शाह, जानिए- क्या है प्लान

Mission Kashmir पिछले साल दिसंबर में चुने गए 40 हजार जनप्रतिनिधियों के सहारे गांव-गांव मुहल्ले-मुहल्ले विकास की बयार बहाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 07:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 07:27 PM (IST)
Mission Kashmir: मोदी के अधूरे मिशन कश्मीर को पूरा करने में जुटे अमित शाह, जानिए- क्या है प्लान
Mission Kashmir: मोदी के अधूरे मिशन कश्मीर को पूरा करने में जुटे अमित शाह, जानिए- क्या है प्लान

नीलू रंजन, नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधूरे मिशन को पूरा करने में जुट गए हैं। वैसे तो इस मिशन के तहत शाह के सामने अनुच्छेद 370, 35ए, सीटों के परिसीमन समेत कई मुद्दे हैं, जिन पर फैसला लिया जाना है, लेकिन फिलहाल उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर आम कश्मीरियों का दिल जीतने की है। हालत यह है कि आम कश्मीरियों के जीवन को प्रभावित करने वाली छोटी-बड़ी योजनाओं और उनकी क्रियान्वयन की निगरानी शाह खुद कर रहे हैं।

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वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले ही लालकिले से कश्मीरियों का दिल जीत कर सात दशक पुरानी समस्या के समाधान की घोषणा की थी। कश्मीर में विकास की गति को तेज करने के लिए 80 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज भी दिया गया था। लेकिन आतंकवाद और अलगाववाद के साथ-साथ भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद में बुरी तरह जकड़े राज्य प्रशासन के कारण आम जनता सरकारी योजनाओं से लाभ से वंचित रह गई है। राजनीति में माइक्रो मैनेजमेंट में माहिर अमित शाह ने पिछले डेढ़ महीने में जरूरतमंद लोगों तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित किया।

कश्मीर मामलों से जुड़े गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर घाटी में विधवाओं को पेंशन नहीं पहुंचता था, लेकिन आज की तारीख में एक-एक विधवा के खाते में उसका पेंशन पहुंचने लगा है। इसी तरह हर बुजुर्ग को वृद्धा पेंशन पहुंचने लगा है। देश की राजधानी दिल्ली समेत बड़े महानगरों में इलेक्टि्रक बसें भले ही अभी तक सपना हो, लेकिन श्रीनगर में न सिर्फ 30 इलेक्टि्रक बसें पहुंच गई हैं, बल्कि चलने भी लगी हैं। इसी तरह श्रीनगर में प्रशासन की तरफ से हर जरूरतमंद दिव्यांग के घर तक व्हीलचेयर पहुंचाया जा रहा है।

आम कश्मीरियों का दिल जीतने में सबसे ताकतवर जरिया साबित हो रहे हैं, नवनिर्वाचित पंच, सरपंच और शहरी निकायों के प्रतिनिधि। पिछले साल दिसंबर में चुने गए 40 हजार जनप्रतिनिधियों के सहारे गांव-गांव, मुहल्ले-मुहल्ले विकास की बयार बहाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन स्थानीय निकायों के खाते में केंद्र की ओर से सीधे 700 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं और चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक 1500-1500 करोड़ रुपये की दो किस्त और भेज दी जाएगी।

पंचायत और स्थानीय निकाय अपनी जरूरत के मुताबिक स्थानीय स्तर पर योजनाएं बना रहे हैं और उन्हें क्रियान्वित भी कर रहे हैं। कश्मीर दौरे के दौरान अमित शाह ने सभी अधिकारियों को दो दिन गांव में बिताने का निर्देश दिया था। इस दौरान अधिकारियों ने न सिर्फ विकास योजनाओं का जायजा लिया, बल्कि पहली बार चुने गए पंचों-सरपंचों को योजनाओं को तैयार करने की ट्रेनिंग भी दी। गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन योजनाओं को लागू होने के बाद अगले छह महीने में कश्मीर में गावों की तस्वीर बदलनी शुरू हो जाएगी।

विकास की बयार के साथ-साथ आम जनता का दिल जीतने के लिए अमित शाह ने कानून का शासन घाटी में पुरी तरह स्थापित करने की मुहिम छेड़ दी है। इसके तहत 70 सालों में पहली बार जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) का गठन किया गया। एसीबी अब जम्मू-कश्मीर बैंक से लेकर हर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कर रही है। इसके साथ ही भ्रष्टाचार से बनाई गई संपत्तियों की जब्ती का सिलसिला भी शुरू हो गया है।

इसके तहत वरिष्ठ नौकरशाहों व राजनेताओं द्वारा किये गए अवैध कब्जे को हटाने का अभियान शुरू कर दिया है। अभी तक आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई की आड़ में भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद की ओर आंखे मूंद ली जाती थी। लेकिन अब साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ जंग का अहम हिस्सा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में आतंक का एक तंत्र विकसित हो गया था, जिसमें अलगाववादियों, आतंकियों, भ्रष्ट नेताओं व अफसरों के साथ-साथ जमाते इस्लामी जैसे धार्मिक संगठन और कई बड़े व्यापारी भी शामिल थे। आतंक के इस तंत्र में आम जनता की गुम हो गई आवाज को बुलंद करने की ईमानदार कोशिश शुरू हो गई है।


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