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तीन-चार जातियों तक ही सिमटा रहा ओबीसी आरक्षण का लाभ

ओबीसी को मिले 27 फीसद आरक्षण में से 20 फीसद से ज्यादा का लाभ सिर्फ तीन-चार ओबीसी जातियों तक सीमित रही।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 12 Aug 2018 07:22 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 12:09 AM (IST)
तीन-चार जातियों तक ही सिमटा रहा ओबीसी आरक्षण का लाभ
तीन-चार जातियों तक ही सिमटा रहा ओबीसी आरक्षण का लाभ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने के बाद सरकार का अगला कदम विकास की दौड़ में पिछड़ी रह गई ओबीसी जातियों को आगे बढ़ाने का है। सरकार इसे लेकर अपने काम में जुटी है, लेकिन इसके लिए उसे इंतजार है, ओबीसी की पिछड़ी रह गई ऐसी जातियों का पता लगाने के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट का। जिसमें अभी थोड़ा और वक्त लगेगा। हालांकि इस बीच आयोग के पास जो जानकारी सामने आई है, वह चौंकाने वाली है। इनमें ओबीसी को मिले 27 फीसद आरक्षण में से 20 फीसद से ज्यादा का लाभ सिर्फ तीन-चार ओबीसी जातियों तक सीमित रही।

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ओबीसी की केंद्रीय सूची में शामिल है 24 सौ से ज्यादा जातियां

ओबीसी आरक्षण को लेकर यह स्थिति तब है, जब केंद्रीय सूची में मौजूदा समय में 2479 ओबीसी जातियां शामिल है। ऐसे में आरक्षण के लाभ का एक बडे वर्ग का वंचित रहना चौंकाने वाला है। हालांकि आयोग अभी इसका निचले स्तर तक अध्ययन कर रहा है। आयोग ने इस दौरान जो आधार बनाया है, उनमें ओबीसी जातियों के शैक्षणिक, सरकारी नौकरी और पंचायत स्तर पर मिलने वाले प्रतिनिधित्व को शामिल किया है। इसके अलावा छात्रवृत्ति आदि में भी इनके मिलने वाले लाभों को वर्गीकृत किया है।

तीन-चार जातियों तक ही सिमटा रहा ओबीसी आरक्षण का लाभ

सरकार की कोशिश है कि आरक्षण के बावजूद इसके लाभ से वंचित रह गई जातियों को ज्यादा लाभ देकर उन्हें आगे बढाया जाए। इसके तहत ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण करने की तैयारी है। सरकार के लिए वैसे भी यह आसान होगा, क्योंकि कई राज्य पहले से ही ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण कर चुके है।

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माना जा रहा है कि सरकार को इसका लाभ चुनाव के दौरान मिल सकता है, क्योंकि आरक्षण के बाद भी लाभ से वंचित ओबीसी का एक बड़ा समूह इस बदलाव के बाद फायदे में आ जाएगा।

 इन राज्यों में हो चुका है वर्गीकरण

ओबीसी आरक्षण का वर्गीकरण देश के कई राज्यों में पहले से ही किया जा चुका है। हालांकि यह वर्गीकरण राज्य सूची के आधार पर किया गया है। जिन राज्यों में यह वर्गीकरण किया गया है, उनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, झारखंड, बिहार, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पांडुचेरी आदि है।


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