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दो दशक पुरानी ब्रू जनजातियों की समस्या का समाधान, मिलेगा प्‍लॉट और एफडी

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और त्रिपुरा के ब्रू शरणार्थियों के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को एक समझौते पर हस्‍ताक्षर किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 09:55 PM (IST)
दो दशक पुरानी ब्रू जनजातियों की समस्या का समाधान, मिलेगा प्‍लॉट और एफडी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दो दशक पुरानी पूर्वोत्तर भारत की ब्रू जनजातियों की समस्या का समाधान निकल आया है। मिजोरम से भागकर आए और त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में रह रहे 30 हजार से अधिक ब्रू जनजातियों को अब वापस जाने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। केंद्र, त्रिपुरा, मिजोरम और ब्रू जनजातियों के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के बाद अब उन्हें त्रिपुरा में ही बसाया जाएगा। इसके लिए गृहमंत्री अमित शाह ने 600 करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया है।

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जानिए सरकार की ओर से क्‍या मिलेगा

समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमित शाह ने कहा कि ब्रू जनजातियों को त्रिपुरा में घर के लिए जमीन दिया जाएगा। इसके साथ ही पांच हजार से अधिक परिवारों में से प्रत्येक परिवार के खाते में चार लाख रुपये की फिक्स्ड डिपोजिट किया जाएगा, जिसे वे दो साल बाद निकाल सकेंगे। इसी तरह उन्हें दो साल के लिए हर महीने पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें प्रति व्यक्ति के हिसाब से दो साल तक खाने के लिए मुफ्त राशन भी उपलब्ध कराया जाएगा। त्रिपुरा सरकार की ओर से दी गई जमीन का मालिकाना हक मिलने के बाद उन्हें डेढ़ लाख रुपये मकान बनाने के लिए दिए जाएंगे।

नए पैकेज में जनजातियों को त्रिपुरा में ही रहने का मौका

अमित शाह ने कहा कि 2018 में ब्रू जनजातियों के लिए इसी तरह के पैकेज के साथ मिजोरम में वापस लौटने का ऑफर किया गया था। लेकिन केवल 328 परिवार ही इसे स्वीकार करते हुए मिजोरम वापस गए। उन्होंने कहा कि नए पैकेज में उन्हें त्रिपुरा में ही, जहां वे पिछले 23 साल से रह रहे हैं, रहने का मौका दिया जा रहा है। ब्रू जनजातियों की यही मांग रही है। उन्होंने कहा कि अब मिजोरम में होने वाले चुनाव के लिए त्रिपुरा में ब्रू जनजातियों के लिए शिविरों में मतदान केंद्र नहीं खोलने होंगे, बल्कि वे अब त्रिपुरा के निवासी माने जाएंगे और वहीं अपना मतदान कर सकेंगे।

दिल्ली में मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने कहा कि आज ब्रू नेताओं, त्रिपुरा सरकार और मिज़ोरम सरकार के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह 25 वर्षों से चल रहे ज्वलंत मुद्दे को स्थायी रूप से हल करेगा। त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब ने कहा कि यह कदम ऐतिहासिक है। मैं त्रिपुरा के लोगों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं।

जानें, क्‍या है ब्रू शरणार्थियों का इतिहास 

ज्ञात रहे कि 1997 में पड़ोसी राज्य में हुई हिंसा के बाद ब्रू जनजाति के लोग भागकर शिविरों में शरण ली थी। 22 साल से वे वहीं रह रहे हैं। वे भारत के बाहर से नहीं आए, बल्कि यहीं की जनजाति से हैं। इस जनजाति के लोग लंबे समय से 'अधिकारों' की मांग कर रहे थे। चुनाव के दौरान इनके लिए अलग से बूथ भी बनाया गया। ब्रू समुदाय मुख्यतः त्रिपुरा, मिजोरम और असम में रहते थे। 1995 में ब्रू और मिजो जनजातियों में हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद वे त्रिपुरा में शिविरों में रहने लगे।


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