किसान नेताओं को NIA ने पूछताछ के लिए नहीं बुलाया: राज्यसभा में सरकार
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान इन कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने बुधवार को दो टूक कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसी किसान को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने तलब नहीं किया है। यह भी बताया कि 2019 में देशद्रोह के 96 केसों में 93 लोग गिरफ्तार किए गए थे। वहीं, इस बात से इन्कार किया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा से संबंधित अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की संसद में घोषणा से पूर्व किसी आम नागरिक को उसकी जानकारी थी। ये जानकारियां गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में सवालों के जवाब में दीं।
सितंबर 2020 में लागू नए तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले ढाई महीने से आंदोलन जारी है। मालूम हो कि एनआइए आतंकी अपराधों से जुड़े मामलों की जांच करती है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और दो अन्य सदस्यों ने सवाल किया था कि क्या आंदोलनकारी किसानों को एनआइए ने तलब किया है? मंत्री रेड्डी ने इसके जवाब में कहा- जी नहीं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में देशद्रोह के 93 केसों में गिरफ्तार किए गए 96 लोगों में से 76 के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए गए, जबकि उस साल 29 लोगों को कोर्ट से बरी कर दिया गया। साल 2019 में देशद्रोह के सर्वाधिक 22 केस कर्नाटक में दर्ज किए गए, जहां 18 लोगों की गिरफ्तारी हुई। असम में दर्ज 17 केसों में 23 लोग गिरफ्तार किए गए। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में 11 और उत्तर प्रदेश में 10 केस दर्ज हुए, जिनमें क्रमश: 16 और नौ लोगों की गिरफ्तारी हुई।
2016-19 के बीच आतंकी मामलों में 5,922 लोग गिरफ्तार
उन्होंने बताया कि साल 2016-19 के बीच आतंकवाद निरोधी कानून के तहत देशभर में कुल 5,922 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि इस अवधि में 132 लोग बरी किए गए। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक गैर-कानूनी गतिविधियां निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत 2019 में 1,948 लोग गिरफ्तार किए गए।
जातीय जनगणना के कच्चे आंकड़े सामाजिक न्याय मंत्रालय के हवाले
वहीं, एक अन्य गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया सदन को बताया कि 2011 में कराए गए सामाजिक आर्थिक व जातीय जनगणना (एसईसीसी) के कच्चे आंकड़े वर्गीकरण के लिए सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय को सौंप दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि एसईसीसी पहले ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कराया और उसके बाद आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने क्रमश: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कराया।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ में कमी
राय ने बताया कि साल 2020 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ में कमी आई है। लेकिन जमीन अधिग्रहण में कुछ कठिनाई के कारण बंगाल से लगती सीमा पर 60 किलोमीटर के क्षेत्र में बाड़ लगाने का काम पूरा नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में बीएसएफ ने 489 मामलों में 955 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर नई डिजाइन के एंटी कट मॉडुलर बाड़बंदी का पायलट प्रोजेक्ट मार्च 2020 में पूरा कर लिया गया।
सिर पर मैला ढोने वाले 66 हजार से अधिक लोगों की पहचान हुई
सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने सदन को बताया कि देश में सिर पर मैला ढोने वाले 66,692 लोगों की पहचान की गई है। इनमें से सर्वाधिक 37,379 लोग उत्तर प्रदेश के हैं। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि पिछले पांच सालों में नालों व टैंकों की सफाई के दौरान 340 लोगों की जान गई। इनमें से 217 लोगों को पूरा मुआवजा दिया जा चुका है, जबकि 47 को आंशिक मुआवजा दिया गया है। सिर पर मैला ढोने वालों की संख्या के मामले में महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। वहां इस काम में लगे 7,378 लोगों की पहचान की गई है जबकि उत्तराखंड में ऐसे 6,170 लोग हैं। असम में 4,295 लोगों की पहचान की गई है।