हिमाचल में जयराम, अब राजस्थान और एमपी में भाजपा सीएम फेस पर सस्पेंस
हिमाचल में भाजपा के इस फैसले के बाद सस्पेंस गहराता जा रहा है कि राजस्थान और एमपी में पार्टी का कोई नया सीएम फेस उभरकर तो नहीं आएगा!
नई दिल्ली, जेएनएन। महाराष्ट्र में फणनवीस, हरियाणा में खट्टर, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत और झारखंड में रघुबर दास के बाद हिमाचल में जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाना भाजपा की युवा सोच को उजागर करती है। आम नागरिक को छोड़िए राजनीति के धुरंधरों को भी उम्मीद नहीं थी कि हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर प्रदेश की सत्ता संभालेंगे। आगे की बात करें तो आने वाले साल में अब राजस्थान और मध्य प्रदेश में नई सरकार का चुनाव होना है। हिमाचल में भाजपा के इस फैसले के बाद सस्पेंस गहराता जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी का कोई नया सीएम फेस उभरकर तो नहीं आएगा।
भाजपा के इन चौंकाने वाले फैसलों से यह साफ है कि मोदी और शाह पार्टी की बुनियाद युवाओं के कंधों पर डालकर और मजबूत करने की दिशा में हैं। भाजपा में एक नई पीढ़ी को तैयार करने पर जोर दिया है जा रहा है। वहीं, बुजुर्ग नेताओं को उनकी मर्जी जानें बिना आराम दिया जा रहा है। लाल कृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा जैसे तमाम नेता भाजपा की इस नई विचारधारा का उदाहरण हैं। गुजरात में भी कुछ ऐसा ही होने के आसार थे। स्मृति इरानी को गुजरात के सीएम पद की जिम्मेदारी सौंपने की चर्चाएं भी जोरों पर थीं लेकिन रूपाणी को सीएम बनाया गया। गुजरात को छोड़ दें तो अन्य सभी राज्यों में जहां भी भाजपा की सरकार है वहां नए युवा चेहरों को वरीयता दी गई है।
बढ़ रही है आरएसएस की हनक
हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर का सीएम बनना इस बात पर भी मुहर लगाता है कि भाजपा, आरएसएस की मंजूरी लिए बिना कोई भी बड़ा फैसला नहीं लेती है। जयराम ठाकुर इसका जीता जागता उदाहरण हैं। जयराम की राजनीति आरएसएस से ही शुरू होती है। छात्र राजनीति से सियासी सफर शुरू करने वाले ठाकुर ने 1998 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था। वे एबीवीपी के सक्रिय छात्र नेता थे। यहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज की। जयराम ही नहीं देवेंद्र फणनवीस, मनोहर लाल खट्टर, त्रिवेंद्र रावत भी ऐसे सीएम हैं जो आरएसएस के आंगन में पले बढ़े हैं।
अब राजस्थान और मध्यप्रदेश की बारी
गुजरात और हिमाचल में चुनाव जीतने के बाद भाजपा अब राजस्थान और मध्यप्रदेश में जीत की तैयारियों में जुट गई है। इन दोनों राज्यों में आने वाले साल 2018 के अंत में चुनाव होने हैं। दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए अहम हैं। क्योंकि, इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव होना है। अगर इन दोनों राज्यों में भाजपा ने कहीं कोई कसर छोड़ी तो इसका प्रभाव लोकसभा चुनाव में दिखना तय है। अब सस्पेंस यह है कि इन दोनों राज्या में भाजपा अपने पुराने सीएम फेस को वरीयता देगी या तैयारियां इससे जुदा हैं।
यह भी पढ़ेंः कुलभूषण जाधव पर कुछ ऐसा बोल गए समाजवादी पार्टी के नेता, मचा बवाल
यह भी पढ़ेंः केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के बयान से मोदी सरकार ने झाड़ा पल्ला, दिया ये जवाब