मध्य प्रदेश में सरकार बदलते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बंद हुई जांच, ऐसा दूसरी बार
मध्य प्रदेश में सरकार बदलते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने जमीन घोटाले की जांच बंद कर दी है।
भोपाल, जेएनएन। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने जमीन घोटाले की जांच सुबूत नहीं मिलने का हवाला देकर फिर बंद कर दी है। यह दूसरा मौका है, जब ईओडब्ल्यू ने सिंधिया के खिलाफ जमीन घोटाले की जांच बंद की है। सरकार बदलने के बाद इस बार जांच बंद की गई है।
इसके पहले मई 2018 में जांच बंद की थी। तब मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे, लेकिन उस समय सिंधिया कांग्रेस में थे। इस बार कमल नाथ सरकार में चंद दिन पहले फिर शिकायत की गई। ग्वालियर निवासी सुरेंद्र श्रीवास्तव ने सिंधिया पर फर्जी तरीके से जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए ईओडब्ल्यू में शिकायत की इस मामले में ईओडब्ल्यू ने जांच करते हुए संबंधित विभागों से जानकारी भी मांगी थी, लेकिन कहीं से भी घोटाले से संबंधित सुबूत नहीं मिलने के कारण जांच बंद कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि देश भर में कोरोना की लड़ाई के बीच शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार शाम सीएम पद की शपथ लेने के बाद मंगलवार को विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। एमपी में शिवराज सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान कांग्रेस का कोई भी विधायक सदन में मौजूद नहीं था। शिवराज से बहुमत परीक्षण का प्रस्ताव पेश करने के पहले ही विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार सुबह सदन में बहुमत प्रस्ताव पेश किया जिसका भाजपा विधायकों ने समर्थन किया। वहीं बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी का समर्थन करते हुए मतदान किया। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश विधानसभा में भाजपा के पास 107 विधायक हैं। साथ ही कांग्रेस के पूर्व 22 विधायकों के इस्तीफा देने और दो विधायकों के निधन के कारण राज्य विधानसभा की कुल 24 सीट अभी खाली हैं। संभावना है कि इन सभी सीटों पर आने वाले छह महीनों में चुनाव कराए जाएंगे।