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सरकार का शुरू हुआ 5वां साल, जानिए बीते चार वर्षों में कहां पहुंची मोदी सरकार

सच्चाई यह है कि पांचवां साल फिसलन भरा होता है, थोड़ी भी चूक स्वीकार्य नहीं होती है। मोदी सरकार का पांचवां साल आज से शुरू हो गया है

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 09:07 AM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 11:57 AM (IST)
सरकार का शुरू हुआ 5वां साल, जानिए बीते चार वर्षों में कहां पहुंची मोदी सरकार
सरकार का शुरू हुआ 5वां साल, जानिए बीते चार वर्षों में कहां पहुंची मोदी सरकार

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। यूं तो किसी भी सरकार का आकलन पहले दिन से ही शुरू हो जाता है, चार साल बहुत अहम होते हैं। जनउम्मीदों का दबाव बढ़ता जाता है और सरकार की हर चुनौती बड़ी दिखने लगती है। जनता में जनार्दन का भाव सिर चढ़कर बोलने लगता है। सरकार बढ़-चढ़कर कुछ करे तो वह छटपटाहट मानी जाती है और न करे तो निराशा। सच्चाई यह है कि पांचवां साल फिसलन भरा होता है, थोड़ी भी चूक स्वीकार्य नहीं होती है। मोदी सरकार का पांचवां साल आज से शुरू हो गया है और सरकार व संगठन के स्तर पर उपलब्धियों की सूची जनता के सामने रख दी गई है। साफ नीयत सही विकास का नया नारा देकर यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि विकास का लाभ हर वर्ग तक पहुंचाया गया है। आने वाले साल में भी यही दिशा रहेगी। उम्मीदों को पूरा करते वक्त सरकार की सोच खांचों में नहीं बंटेगी।

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दैनिक जागरण ने कुल बारह क्षेत्रों को चुनकर आकलन किया है कि सरकार चार साल में कहां पहुंची। जाहिर तौर पर कुछ क्षेत्रों में सरकार ने झंडे गाड़े हैं। कुछ क्षेत्रों में कसर रह गई। जिस स्थिति से हालात को उबारकर ऊपर लाया गया है वह काबिले तारीफ है, लेकिन ऐसे क्षेत्रों का पीछे छूटना चिंता का विषय भी है जो सरकार की प्राथमिकता सूची में आगे हैं। इसी क्रम में दैनिक जागरण विभिन्न क्षेत्रों व मंत्रालयों को चार साल की कसौटी पर कसेगा। आने वाले अंकों में आकलन करने की कोशिश होगी कि उक्त मंत्रालय जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरा और कहां व क्यों चूका।

उज्ज्वला योजना: स्मार्ट रसोईघर

इसके बिना : बिना एलपीजी रसोईघर गरीब महिलाओं की जिंदगी में भर रहा था काला धुंआ

तब: 2014 के पहले देश के 40 फीसद घरों में नहीं था एलपीजी कनेक्शन। गरीब घरों में कोयला, लकड़ी और पुआल से बनता था खाना।

अब: 3.90 करोड़ गरीब महिलाओं को मिला एलपीजी कनेक्शन।

फायदा हुआ

गांव के किचन हुए स्मार्ट। आंधी-बारिश के दिनों में भी आराम से बनता है पसंदीदा भोजन।

जनधन: बैंक से जुड़े सभी

इसके बिना : गरीब नहीं खोल पाते थे खाते। नहीं कर पाते थे बचत। सरकारी मदद लेने में भी थी दिक्कत।

तब : 2013 के सर्वे के अनुसार आधे से अधिक देशवासियों के पास नहीं थे बैंक खाते

अब : जनधन के तहत 30.7 करोड़ से अधिक खाते खुल गए।

फायदा हुआ

अब 80 फीसद वयस्कों के पास है अपना बैंक अकाउंट। खास बात यह है कि रोजमर्रा के खर्च से पैसे निकालकर बचत कर रहीं महिलाएं। इसके अलावा डिजिटल लेनदेन भी बढ़ा।

डीबीटी : सीधा फायदा

इसके बिना : सरकारी मदद और सब्सिडी खा जाते थे बिचौलिए। पेंशन से राशन मिलने तक में था भ्रष्टाचार। जरूरतमंदों के पैसे उन तक पहुंचने के बजाय अपात्रों को मिल जाते थे।

तब : 2013-14 में जुड़ी थीं सिर्फ 28 योजनाएं

अब : 2017-18 में 433 योजनाओं के पैसे मिलने लगे संबंधित व्यक्ति के बैंक अकाउंट में।

फायदा हुआ

डीबीटी से राष्ट्र को हो रहा 83,000 करोड़ का लाभ। जिसका है अधिकार, उसे ही मिल रही मदद। बिचौलिए हुए गायब।

लालटेन युग खत्म गांव पहुंची बिजली

इसके बिना: गांव से भागने लगे थे लोग। पिछड़े गांव न कृषि को आगे बढ़ा पा रहे थे, न रोजगार दिला पा रहे थे।

तब: 2015 के पहले देश के 18500 गांव लालटेन युग में थे। जहां खंभे पहुंचे थे वहां भी बिजली मेहमान की तरह आती थी।

अब: विश्व बैंक ने सराहा मोदी सरकार को। देश की 85 फीसद जनता के पास पहुंच चुकी है बिजली।

फायदा हुआ

गांवों का माहौल ही बदल गया। कृषि, रोजगार, शिक्षा और मनोरंजन के नए द्वार खुले। आसान हुई जिंदगी।

पंच बोलते हैं...

स्कैम फ्री सरकार

2 जी, कोयला, कॉमनवेल्थ घोटाले वाली मनमोहन सरकार को लोग भूले नहीं। अब सोशल मीडिया बोलता है मोदीजी न खाते हैं न खाने देते हैं। भ्रष्टाचार टॉप टू बॉटम कंट्रोल हो रहा।

कार्यशैली का कमाल

सरकार गठन के साथ यह स्पष्ट दिखा कि अब पुराने ढर्रे नहीं चल सकते हैं। मंत्री हों या कर्मचारी, उन्हें ‘सब चलता है’ के नजरिए से बाहर आने को मजबूर होना पड़ा।

दुनिया में साख

शपथ ग्रहण से लेकर अब तक कूटनीति के मोर्चे पर सरकार न सिर्फ सक्रिय रही, बल्कि विश्व की बड़ी शक्तियों को इसके लिए मजबूर किया कि वह भारत को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं।

फैसले कड़े, फायदे बड़े

नोटबंदी और जीएसटी की नाराजगी का दौर खत्म हुआ तो लोग इसे अच्छा कहने लगे। आयकरदाता 81 फीसद बढ़े। देश में एक टैक्स से फायदा उठाएंगे व्यापारी और उपभोक्ता दोनों।

सबके लिए विकास

उज्ज्वला, जनधन, स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत, मेक इन इंडिया से लेकर डिजिटल इंडिया तक का फायदा सभी को मिल रहा या मिलेगा। उम्मीद बढ़ी है, सरकार भी प्रयास कर रही है।

कसर अखरती है...

लोकपाल

उच्च स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार से निपटने के लिए लोकपाल जैसा तंत्र बनाने की मांग भाजपा की भी रही थी। लेकिन चार साल बीतने के बावजूद अब तक इसका गठन नहीं हो पाया।

समरसता का विवाद

राजनीतिक मोर्चे पर विपक्ष को पटखनी देने के बावजूद सामाजिक समरसता व सहिष्णुता के मोर्चे पर दलित उत्पीड़न, विश्वविद्यालयों में विवाद, गो हत्या जैसे मुद्दे गर्म रहे।

सैन्य आधुनिकीकरण

कई रक्षा डील में तो तेजी आई लेकिन साजो-सामान की आपूर्ति पर सवाल उठे। खुद सेना की ओर से यहां तक कहा गया कि लगभग 65 फीसद असलहे पुराने हो चुके हैं।

गंगा

जीवनदायिनी गंगा की स्वच्छता को लेकर बड़ी आशाएं जगी थीं, लेकिन वादों और लक्ष्य के लिए बार-बार नई समय सीमा ने हमेशा निराश किया। अब तक ठोस कदम नहीं उठ पाए हैं।

रोजगार

अर्थव्यवस्था को दिशा देने के लिए बड़े कदम उठे, लेकिन खासतौर पर संगठित क्षेत्र में रोजगार की स्थिति को उन कदमों ने भी नहीं संभाला। सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। 

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