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मध्य प्रदेश विधानसभा के उपचुनाव में आपराधिक छवि के 18 फीसद उम्मीदवार

विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। इस मामले में दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई खास असर नहीं पड़ा है। एडीआर की रिपोर्ट ने उजागर किए उम्मीदवारों के अपराध।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:51 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:51 PM (IST)
एडीआर की रिपोर्ट ने उजागर किए उम्मीदवारों के अपराध।

भोपाल, स्टेट ब्यूरो। विधानसभा उपचुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने एक बार फिर आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। इस मामले में दलों पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई खास असर नहीं पड़ा है। कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 को दलों से आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों के चयन के कारणों का ब्योरा देने के लिए कहा था। साथ ही आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों के चयन की स्थिति में कई बंदिशें भी लगाई थीं। फिर भी प्रदेश में 18 फीसद (63) आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 11 फीसद (39) पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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एडीआर की रिपोर्ट ने उजागर किए उम्मीदवारों के अपराध

यह बात उम्मीदवारों के शपथ पत्र के आधार पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अपनी विश्लेषण रिपोर्ट में उजागर की है। इसने गंभीर अपराधों के आरोपितों को टिकट देने वाले दलों की कर छूट रद करने की सिफारिश की है।

28 विधानसभा सीटों पर अपना भाग्य आजमा रहे 355 उम्मीदवार 

प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में 355 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इनमें छह फीसद (22) महिला उम्मीदवार हैं।

दागी प्रत्याशियों में कांग्रेस सबसे आगे

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस में 50 फीसद (14) उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि है तो भाजपा में 28 में से 12 (43 फीसद) उम्मीदवारों का आपराधिक रिकॉर्ड है। बहुजन समाज पार्टी ने अपराधिक पृष्ठभूमि वाले 29 फीसद उम्मीदवारों को टिकट दिया है, तो समाजवादी पार्टी के 14 में से चार उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि है। इस बार 178 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। उनमें भी नौ फीसद आपराधिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उपचुनाव में 28 में से 10 ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें तीन या उससे अधिक उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपना आपराधिक रिकॉर्ड पेश किया है।


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