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पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव, जानिए- नए पीएम के सामने क्या होंगी चुनौतियां

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री खुर्शीद शाह मुल्क की जिम्मेदारी चुनाव को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने की होगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 30 May 2018 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 30 May 2018 07:30 PM (IST)
पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव, जानिए- नए पीएम के सामने क्या होंगी चुनौतियां
पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव, जानिए- नए पीएम के सामने क्या होंगी चुनौतियां

इस्लामाबाद, जेएनएन। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव कराए जाएंगे। यहां नेशनल असेम्बली और प्रोविंशियल असेम्बली के लिए चुनाव एक ही दिन कराए जाएंगे। पाकिस्तानी संविधान के मुताबिक, नेशनल और प्रोविंशियल असेंबली के चुनाव उनके कार्यकाल खत्म होने के बाद 60 दिन के अंदर कराए जाने चाहिए। नेशनल और पंजाब असेंबली का संवैधानिक पांच वर्षीय कार्यकाल 31 मई को पूरा होगा। वहीं, सिंध, खैबर पख्तून ख्वाह और बलूचिस्तान की असेंबली का कार्यकाल 28 मई को समाप्त होगा।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री खुर्शीद शाह मुल्क की जिम्मेदारी चुनाव को पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने की होगी। मुल्क की नियुक्ति विपक्ष के नेता खुर्शीद शाह ने प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और नेशनल असेंबली के स्पीकर एयाज सादिक के साथ सलाह मशविरे से की। मुख्य न्यायाधीश नसीरुल मुल्क को आगामी दो महीने के लिए 28 मई को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। पाकिस्तान के इस बार के आम चुनाव में 13 ट्रांस जेंडर मैदान में हैं। इसमें से दो नेशनल असेंबली के चुनाव लड़ेंगे, जबकि बाकी के 11 प्रोविंशियल असेंबली का चुनाव लड़ेंगे।

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नए पीएम के सामने क्या होंगी चुनौतियां
पाकिस्तान के नए पीएम के सामने देश को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करना होगा। दरअसल पाकिस्तान इस वक्त बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तानी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपना मूल्य लगातार खो रही है। एक अमरीकी डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपये की क़ीमत 120 रुपये तक चली गई। इसके अलावा पाकिस्तान विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में पिछड़ रहा है। पाकिस्तान के पास अब 10.3 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है, जो पिछले साल मई में 16.4 अरब डॉलर था। आईएमएफ के अनुसार पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 2009 से 2018 के बीच पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 50 फ़ीसदी बढ़ा है। 2013 में पाकिस्तान को आईएमएफ ने 6.7 अरब डॉलर का पैकेज दिया था।
इसके अलावा पाकिस्तान अपनी ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान में जनता बिजली संकट को लेकर जनता सड़क पर उतर चुकी है। देश की ऊर्जा जरुरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर पीओके में पनबिजली परियोजना पर कार्य कर रहा है। हालांकि इसके चलते उसे काफी कर्ज लेना पड़ा है और विशेषज्ञ चीन कर्ज के तले गिरवी रखे जाने को लेकर चिंता जता रहे हैं।
पाकिस्तान की सत्ता पर ज्यादातर वक्त सेनाध्यक्षों का कब्जा रहा। वहीं, जिस वक्त लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ, उसमें भी सेना का हस्ताक्षेप जारी रहा। ऐसे में पाकिस्तान के नए नायक को सेना से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, पाकिस्तान को विश्व के बाकी देशों के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की दिशा में काम करना होगा। हालांकि इसके लिए उसे आतंकवाद के खिलाफ मुक्कमल कदम उठाना होगा।

पाकिस्तान में प्रमुख राजनीतिक दल
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन)
मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट
अवामी नेशनल पार्टी
जमीयत उलेमाए इस्लाम
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (शियरपाउ)
नेशनल पीपुल्स पार्टी
बलूचिस्तान नेशनल पार्टी
लियाकत अली खान- ये पाकिस्तान के पहले पीएम बने। उनका कार्यकाल चार साल दो माह रहा। उन्होंने 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पीएम का पद संभाला। हालांकि 16 अक्टूबर 1951 में उनकी हत्या कर दी गई। वो मुस्लिम लीग के कोटे से पीएम बने थे।
जुल्फिकार अली भुट्टो- पाकिस्तान के नौवे प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल तीन वर्ष 10 माह रहा। इसके साथ ही वो पाकिस्तान के चौथे राष्ट्रपति भी रहे। उन्होंने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की स्थापना की और अपनी मृत्यु तक वर्ष 1979 तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। भुट्टो ने ही कश्मीर में 1965 के दौरान युद्ध छेड़ा था, जहां उन्हें भारत के हाथों हार मिली और फिर वो ताशकंद में समझौता करने के लिए मजबूर हुए थे।
बेनजीर भुट्टो- पाकिस्तान की 11वीं पीएम बनीं। उन्होंने 2 दिसंबर 1988 को पदभार संभाला। उनका कार्यकाल एक साल आठ माह रहा। वो पाकिस्तान की पहली महिला पीएम रहीं, जिन्होंने मुस्लिम बहुसंख्यक वाले देश में लोकतांत्रित तरीके से जीत दर्ज की। बेनजीर भुट्टो दोबारा वर्ष 1993 के आम चुनाव में पीएम बनीं। हालांकि वर्ष 1993 में उनकी हत्या कर दी गई।
नावज शरीफ- पाकिस्तान के 12 वें पीएम बने। वर्ष 1990 में उन्होंने पीएम का पदभार संभाला। इस दौरान वो दो वर्ष पीएम रहे। नवाज शरीफ दोबारा वर्ष 1993 में सत्ता में आए। शरीफ तीसरी बार वर्ष 1997 में पीएम बने। वहीं, उन्हें चौथी बार वर्ष 2013 में पीएम बनने का मौका मिला। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बार उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत कार्रवाई करते हुए ताउम्र चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी।
पाकिस्तान में सैन्य तख्ता पलट का इतिहास
पाकिस्तान के बनने के कुछ वर्षों बाद ही वहां सैन्य शासन लागू कर दिया गया। आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान ने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। पाकिस्तान में दूसरी बार तख्तापलट वर्ष 1977 में हुआ था। इस बार जनरल जियाउल हक ने पाकिस्तान में सैन्य शासन थोप दिया था। चार जुलाई 1977 की रात सेना ने जुल्फिकार अली भुट्टो को गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान देश में नेशनल असेंबली और राज्यों की असेंबली को स्थगित कर दिया गया।
पाकिस्तान में तीसरा तख्तापलट वर्ष 1999 में हुआ। इस दौरान आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को गिरफ्तार कर लिया और खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया।


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