दुनिया की 62 फीसद संपत्ति पर कब्जा करने वाले जी-7 देश की तल्खी बयां कर रही तस्वीर
ट्रेड को लेकर आपसी विवादों की बानगी जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट की गई सम्मेलन की एक तस्वीर बयां कर रही है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दुनिया की 62 फीसद संपत्ति पर कब्जा किए सात विकसित और औद्योगिक देश हर साल आपस में बैठक करते हैं। आर्थिक मसला इनके एजेंडे में शीर्ष पर होता है। साथ ही अन्य वैश्विक मसलों पर बात की जाती है। पहले यह जी-8 समूह था, 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा कर लेने के चलते उसे निष्कासित कर दिया गया। इस बार कनाडा में हुई जी-7 देशों की बैठक पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के संरक्षणवाद का ऐसा साया पड़ा कि कोई सहमति नहीं बन सकी। ट्रेड को लेकर आपसी विवादों की बानगी जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट की गई सम्मेलन की एक तस्वीर बयां कर रही है।
मतभेद हुए उजागर
एंजेला मर्केल पोस्ट की गई तस्वीर में ट्रंप बैठे हैं। उनके घेरे हुए अन्य देश के शीर्ष नेता खड़े हुए हैं। माहौल तल्ख सरीखा प्रतीत हो रहा है।
टेरिफ विवाद
एक जून को अमेरिका ने यूरोपीय संघ, कनाडा और मेक्सिको से आयात किए जाने वाले स्टील पर 25 फीसद टैक्स लगा दिया। साथ ही इन देशों से आयात होने वाले अल्युमिनियम पर टैक्स 10 फीसद कर दिया। इसके पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दलील दी कि घरेलू उत्पादकों को संरक्षित करने के लिए ऐसा किया गया जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। प्रतिक्रिया होनी ही थी। यूरोपीय संघ ने अमेरिका से आयात होने वाले कई उत्पादों पर टैक्स थोप दिया। इसमें हर्ले डेविडसन बाइक से लेकर खास अमेरिकी व्हिस्की बर्बन तक शामिल हैं। कनाडा और मेक्सिको भी सख्त कदम उठाने जा रहे हैं। यही तल्खी इस तस्वीर में उजागर हो रही है।
विशिष्ट समूह जी7
कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके, और अमेरिका इसके सदस्य हैं। यूरोपीय संघ भी इस मीटिंग का हिस्सा होता है। दुनिया की 62 फीसद संपत्ति पर इन विकसित और औद्योगिक देशों का कब्जा है। 46 फीसद वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं। 1975 में इस समूह का पहला सम्मेलन आयोजित किया गया।
1: डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति अपने टेरिफ वार से जी 7 सहयोगियों को हैरत में डाला। अब वे प्रतिक्रियावादी कदम उठा रहे हैं। उसी की छाया इस मीटिंग और तस्वीर में दिख रही है। ट्रंप अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। वे जल्दी निकल गए। शिकायत करते दिखे कि अमेरिका को किसी पिगी बैंक की तरह सभी लूट रहे हैं।
2 : जॉन बोल्टन
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तीन महीने पहले ही इनकी नियुक्ति हुई, लेकिन वे असरदार साबित हो रहे हैं। टेरिफ के लिए ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए को इनका मजबूत समर्थन है।
3: काजुयुकी यामाजाकी
वरिष्ठ उप विदेश मंत्री, जापान जुलाई, 2107 में जापानी दल के साथ पाकिस्तान गए। सियोल में जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की।
4: शिंजो एबी जापानी प्रधानमंत्री
अमेरिका के खिलाफ सख्त कदम उठाने के भारी दबाव में आ चुके हैं। मुश्किल घड़ी इसलिए हैं क्योंकि व्यक्तिगत रूप से वे ट्रंप से गर्मजोशी भरा नाता बनाने के इच्छुक रहे हैं। अब तक दोनों दस बार मिल चुके हैं।
5 : यासुतोशी निशीमुरा
जापानी डिप्टी चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी जापान के सत्ताधारी दल के सांसद हैं। इंटरनेशनल ट्रेड और इंडस्ट्री मिनिस्ट्री में भी काम कर चुके हैं।
6 : एंजेला मर्केल जर्मन चांसलर
जैसा तस्वीर में दिख रहा है कि सम्मेलन में विवादों को सुलझाने के लिए सबसे आगे हैं। शुक्रवार को उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच ट्रेड विवाद को सुलझाया जा सके। सम्मेलन के दौरान ट्रंप से जब उनके रिश्ते के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि दो नेता हमेशा किसी बात पर सहमत ही हों, लेकिन एक दूसरे से बात तो कर ही सकते हैं।
7 : इमैनुएल मैक्रों
फ्रांसीसी राष्ट्रपति सम्मेलन से पहले टेरिफ को लेकर ट्विटर पर ट्रंप से भिड़े। तभी नतीजे का अंदाजा लगने लगा था।
8: टेरीजा मे
यूके की प्रधानमंत्री पिछले हफ्ते ट्रंप से टेलीफोन पर कहा कि अमेरिकी टेरिफ अनुचित और निराशाजनक है। हालांकि सम्मेलन के दौरान बहुत सधी हुई दिखीं। सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे ऐसा कोई कदम न उठाएं कि ट्रेड वार की शुरुआत हो।
9: लैरी कुंडलो
अमेरिकी राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक ट्रंप के शीर्ष आर्थिक सलाहकार ने इस कदम को उचित ठहराया है। उन्होंने दलील दी कि ट्रंप को इस कदम का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।