Move to Jagran APP

प्रो. हर्ष पंत ने कहा, बुनियादी परिवर्तन के दौर से गुजर रही भारत की विदेश व रक्षा नीति Gorakhpur News

आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन नई दिल्ली के स्टैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक प्रो. हर्ष वी. पंत ने कहा कि भारत की रक्षा और विदेश नीति परिवर्तन के दौर से गुजर रही है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 01:49 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 10:14 AM (IST)
प्रो. हर्ष पंत ने कहा, बुनियादी परिवर्तन के दौर से गुजर रही भारत की विदेश व रक्षा नीति Gorakhpur News
प्रो. हर्ष पंत ने कहा, बुनियादी परिवर्तन के दौर से गुजर रही भारत की विदेश व रक्षा नीति Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के स्टैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक प्रो. हर्ष वी. पंत ने कहा कि आज के भारत की विदेश व रक्षा नीति कहीं ज्यादा डायनामिक और प्रो एक्टिव है। आज भारत गुटनिरपेक्षता की बात नहीं कर रहा। हम अन्य शक्तियों के साथ सक्रिय रणनीतिक, कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य साझेदारी करने को तैयार हैं। भारत अब वैश्विक राजनीति में बैलेंसिंग रोल नहीं अपनाना चाहता। खुद को विश्व की एक उभरती महाशक्ति के तौर पर देख रहा हिंदुस्तान अब उन मंचों पर बैठना चाहता है, जहां पर वैश्विक नीतियां बनाई या बदली जाती हैं।

loksabha election banner

चीन की ताकत से भारत को परेशान कर रहा है पाकिस्‍तान

प्रो. हर्ष वी. पंत ने गाेरखपुर विश्‍विद्यालय 38वें दीक्षांत सप्ताह कार्यकमों की श्रृंखला में चेंजिंग कांटूर आफ इंडियन फारेन एंड सिक्योरिटी पालिसी विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। प्रो. पंत ने कहा कि आज पाकिस्तान हमारे लिए स्ट्रेटेजिक समस्या नहीं, बल्कि चीन है। पाकिस्तान आज हमारे सामने सिर्फ इसलिए तनकर खड़ा है, क्योंकि उसके साथ चीन है। बड़े वैश्विक मंचों पर चीन लगातार भारत की राह में रोड़े अटका रहा है। लिहाजा भारत ने भी अब पाकिस्तान की समस्या को चीन के साथ जोड़कर देखना शुरू कर दिया है।

चीन के साथ डबल ट्रैक

उन्‍होंने कहा कि हम चीन के साथ डबल ट्रैक पर चल रहे हैं। जहां सहयोग संभव है, वहां सहयोग कर रहे हैं, जहां विरोध जरूरी है, विरोध कर रहे हैं। डोकलाम में चीन के मुकाबले खड़े होकर भारत ने पूरी दुनिया को अपने इस आत्मविश्वास से परिचित करा दिया। चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले देशों में भी भारत अग्रणी था।

सबसे प्राचीन संस्‍कृतियों में है भारतीय संस्‍कृति

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. वीके सिंह ने कहा कि भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। हमारे समाज की शक्ति के केंद्र में हमारी सहिष्णुता रही है।

प्रति कुलपति प्रो.हरिशरण ने कहा कि ऐसा माना जाता था कि विदेश व रक्षा नीति में जल्दी बदलाव नहीं होते। परिवर्तनों के दौर से गुजर रही दुनिया में ये धारणा भी कमजोर पडऩे लगी है।

यह रहे मौजूद

अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश चंद्र पांडेय ने आभार ज्ञापित किया। इस दौरान प्रो. राजवंत राव, मुख्य नियंता प्रो. प्रदीप कुमार यादव, प्रो विनोद कुमार सिंह, प्रो. श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, प्रो. एनपी भोक्ता, प्रो. अवधेश तिवारी, प्रो. विजय कुमार, प्रो. गौरहरि बेहरा, प्रो. सुधीर श्रीवास्तव, प्रो. संगीता मुर्मू, प्रो. नंदिता सिंह, प्रो. राजवीर सिंह, डा. भगवान सिंह, डा. असीम सत्यदेव, प्रो. अजय शुक्ला, प्रो. दिव्यारानी सिंह, प्रो. श्रीनिवास मणि त्रिपाठी, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, डा. अमित उपाध्याय व के. सुनीता आदि मौजूद रहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.