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सिर्फ नवाज ही नहीं, पाकिस्तान का कोई भी पीएम पूरा नहीं कर पाया अपना कार्यकाल

1947 में गठन के बाद पाकिस्तान अब तक 18 प्रधानमंत्री देख चुका है। लेकिन इनमें से कोई भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 10:19 AM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 10:48 AM (IST)
सिर्फ नवाज ही नहीं, पाकिस्तान का कोई भी पीएम पूरा नहीं कर पाया अपना कार्यकाल

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 1947 में गठन के बाद पाकिस्तान अब तक 18 प्रधानमंत्री देख चुका है। लेकिन इनमें से कोई भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। किसी की हत्या कर दी गई तो किसी को सूली पर चढ़ा दिया गया। यही नहीं, किसी का सेना द्वारा तख्तापलट हुआ। दरअसल पाकिस्तान में असल सत्ता सेना के हाथ हैं। जिस भी प्रधानमंत्री या राजनेता ने सेना की नीतियों से इतर चलने की कोशिश की उसे उसका दंड भुगतना पड़ा है। हमेशा राजनीतिक उथल-पुथल का शिकार यह देश विकास में पिछड़कर इसकी सजा भुगत रहा है।

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1. लियाकत अली खान:
पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री थे जिन्होंने पाकिस्तान आंदोलन के दौरान मुहम्मद अली जिन्ना के साथ कई दौरे किये। यह पाकिस्तान के प्रथम रक्षा मंत्री भी रहे और पाकिस्तान के प्रथम विदेश मंत्री भी रहे। मुस्लिम लीग से देश के पहले प्रधानमंत्री बने। चार साल दो महीने पद पर रहे। 1951 में हुई हत्या।

2. सर ख्वाजा नजीमुद्दीन:
मुस्लिम लीग से ही पीएम, एक साल छह महीने पद पर रहे। 1953 में गवर्नर जनरल ने सरकार बर्खास्त की।

3. मोहम्मद अली बोगरा:
मुस्लिम लीग की तीसरे पीएम, दो साल तीन महीने पद पर रहे। 1955 में सरकार बर्खास्त।

4. मुहम्मद अली:
मुस्लिम लीग से पीएम, एक साल एक महीना पद पर रहे। पार्टी द्वारा हटाये गए।

5. हुसैन शहीद सोहरावर्दी:
अवामी लीग से पीएम बने। एक साल एक महीना पद पर रहे। गठबंधन ने समर्थन वापस लिया।

6. इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर:
मुस्लिम लीग से बने पीएम सिर्फ एक महीना कुर्सी पर रहे। अविश्वास प्रस्ताव में सरकार गिरी।

7. सर फिरोज खान नून:
रिपब्लिकन पार्टी से पीएम बने, नौ महीने रहे, मार्शल लॉ लागू

8. नूरुल अमीन:
मुस्लिम लीग से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, वह केवल तेरह दिन ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके।

9. जुल्फिकार अली भुट्टो:
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से पीएम तीन साल दस महीने रहे। इससे पहले अय्यूब ख़ान के शासनकाल में विदेश मंत्री रहे थे। लेकिन अय्यूब ख़ान से मतभेद होने के कारण उन्होंने अपनी नई पार्टी (पीपीपी) 1967 में बनाई। 1962 के भारत-चीन युद्ध, 65 और 71 के पाकिस्तान युद्ध, तीनों के समय वे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे। 1965 के युद्ध के बाद उन्होंने ही पाकिस्तानी परमाणु कार्यक्रम का ढांचा तैयार किया था। पूर्व पाकिस्तानी नेता बेनज़ीर भुट्टो इन्ही की बेटी थी। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले पर उन्हें 1979 में फांसी पर लटका दिया गया था जिसमें सैन्य शासक ज़िया उल हक़ का हाथ समझा जाता है।

10. मुहम्मद खान जुनेजा:
मुस्लिम लीग से पीएम बने। तीन साल दो महीने पद पर रहे। राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त।

11. बेनजीर भुट्टो:
दिसंबर, 1988 में पीपीपी से पीएम बनीं। राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त। अक्टूबर, 1993 में दूसरी बार पीएम बनीं। तीन साल 17 दिन बाद बर्खास्त हुई सरकार। रावलपिंडी में एक राजनैतिक रैली के बाद आत्मघाती बम और गोलीबारी से दोहरा अक्रमण कर, उनकी हत्या कर दी गई। पूरब की बेटी के नाम से जानी जाने वाली बेनज़ीर किसी भी मुसलिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री तथा दो बार चुनी जाने वाली पाकिस्तान की पहली प्रधानमंत्री थीं। वे पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की प्रतिनिधि तथा मुस्लिम धर्म की शिया शाखा की अनुयायी थीं।

12. नवाज शरीफ:
नवंबर 1990 में पीएमएल से पीएम बने। दो साल पांच महीने पद पर रहे। सरकार बर्खास्त। 26 मई 1993 को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार फिर से बहाल की। एक महीने 22 दिन बाद इस्तीफा दिया। फरवरी 1997 में दूसरी बार पीएम बने। दो साल सात महीने बाद मार्शल लॉ लगाया गया। जून 2013 में तीसरी बार पीएम बने। चार साल एक महीने पद पर रहने के बाद भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पद से अयोग्य ठहराया।

13. मीर जफरुल्लाह खान जमाली:
पीएमएल से पीएम, एक साल सात महीने पद पर रहे, पद से दिया इस्तीफा।

14. चौधरी सुजात हुसैन:
पीएमएल से पीएम बने। एक महीना पद पर रहे, पद से हटाए गए।

15. शौकत अजीज:
पीएमएल से पीएम बने। तीन साल दो महीने पद पर रहे।

16. यूसुफ रजा गिलानी:
पीपीपी से पीएम बने। चार साल तीन महीने पद पर रहे। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी ठहराया और अयोग्य ठहराया।

17. रजा परवेज अशरफ:
पीपीपी से पीएम बने, नौ महीने पद पर रहे, संसदीय कार्यकाल पूरा होने के बाद हटे।

18. शाहिद खाकन अब्बासी:
पीएमएल से पीएम बने। दस महीने पद पर रहे। पार्टी में मचे अंदरूनी घमासान के चलते दिया इस्तीफा। 


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