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सनकी किम के इस कदम से खतरे में दुनिया, सिरदर्द बना उत्तर कोरिया

उत्तर कोरिया से एक बार फिर डरावनी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि किम जोंग उन जैविक हथियारों का एक बड़ी जखीरा इकट्ठा कर रहा है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 22 Dec 2017 03:54 PM (IST)Updated: Fri, 22 Dec 2017 06:25 PM (IST)
सनकी किम के इस कदम से खतरे में दुनिया, सिरदर्द बना उत्तर कोरिया

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] ।  दुनिया के लिए उत्तर कोरिया सिरदर्द बन चुका है। योनहॉप एजेंसी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में डरावनी तस्वीर पेश की है। एजेंसी के मुताबिक अगर उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल और जापान पर हमला कर दिया तो करीब 20 लाख लोगों की जान एक झटके में चली जाएगी। इतना ही नहीं इस हमले में कुछ हजार या कुछ लाख नहीं बल्कि करीब 70 लाख लोग घायल भी होंगे। इसके साथ ही जापानी अखबार असाही के मुताबिक उत्तर कोरिया अपनी अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों(आइसीबीएम) में एंथ्रेक्स नामक संक्रमण फैलाने वाले घातक बैक्टीरिया को फिट करके उनका परीक्षण भी शुरू कर दिया है। इससे लंबी दूरी तक खतरनाक रासायनिक और जैविक हमले द्वारा बड़ी आबादी को संक्रमित करने की उत्तर कोरिया की मंशा सफल होती दिख रही है।

खतरनाक है एंथ्रेक्स

एंथ्रेक्स खतरनाक संक्रमण है,जो बैसिलस एंथ्रेसिस नामक बैक्टीरिया के जरिये फैलता है।इसके लक्षण संक्रमण के एकदिन या दो महीने बाद दिखने शुरू होते हैं। वैक्सीन के जरिये इससे बचाव संभव है। यह अधिकतर जानवरों से बने उत्पादों के इस्तेमाल से ही फैलता है। विश्व में सालाना इसके दो हजार सेअधिक मामले सामने आते हैं। वहीं 20 से 80 फीसद संक्रमित लोगों की मौत हो जाती है। करोड़ों डॉलर का खर्च जापानीअखबार के मुताबिक उत्तर कोरिया रासायनिक और जैविक हथियार विकसित करने के लिए करोड़ों डॉलरखर्च कर रहा है। उत्तर कोरिया के पास रासायनिक हथियारों का 2,500 से पांच हजार टन तक का भंडार मौजूद है। उसने पिछली रिपोर्ट में खुद माना है कि वह एंथ्रेक्स और चेचक फैलाने वाले जैविक हथियारों पर शोध कर रहा है।

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आइसीबीएम का परीक्षण
उत्तर कोरिया ने पिछले महीने अपनीसबसे शक्तिशाली और लंबी दूरी की आइसीबीएम ह्वासोंग-15 का परीक्षणकिया। 13हजार किमीमारक क्षमता के साथ अमेरिका भी इसके जद में आ गया है।

पहले इस्तेमाल
पहली बार एंथ्रेक्स का इस्तेमाल 1916 में फिनलैंड मेंइंपीरियलरूसी आर्मी के खिलाफ किया गया। 1942में ब्रिटेन ने स्कॉटलैंड के ग्रूनार्ड द्वीपपर एंथ्राक्स के कई परीक्षण किए।1978-79 में रोडेशियाई सरकार नेइसका इस्तेमाल विद्रोहियों के खिलाफकिया। सोवियत सरकार ने भी हमले मेंइस्तेमाल के लिए दो सौ टन एंथ्राक्स का भंडार कैंटुबेक में किया। इसे 2002 में नष्ट कर दिया गया।

प्रतिबंध हटाया

अमेरिका ने 2014 में जानलेवावायरसों को विकसित करने वाले शोधपर लगाए गए प्रतिबंध को मंगलवार कोसमाप्त कर दिया। उसका कहना है किइससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा असरडालने वाले रोगाणुओं से बचाव के तरीके विकसित करने में मदद मिलेगी।

जैविक हथियारों के खतरनाक असर

- सांस के जरिये फेफड़ोंमें इसका संक्रमण होनेसे तेज बुखार, सीने मेंदर्द और सांस लेने में समस्या होती है।

-त्वचा पर संक्रमण होने से बड़ा छाला पड़ता है। उसके आसपास अत्यधिक सूजन हो जाती है। इसके बीच का हिस्सा काला होता है।


-आंत में संक्रमण होने से डायरिया,उलटी औरपेट में दर्द की समस्या होती है।

-नशीले इंजेक्शन लेनेके कारण हुए संक्रमणसे बुखार और इंजेक्शनवाले स्थान पर मवाद की समस्या हो जाती है।

निशाने पर सियोल और टोक्‍यो
मीरा की तरह ही ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर एचवी पंत भी यही मानते हैं। उन्‍होंने कहा, यदि युद्ध होता है तो टोक्‍यो ही नहीं सियोल भी उत्तर कोरिया के निशाने पर होगा। उनका मानना है कि उत्तर कोरिया की ताकत इतनी नहीं है कि वह अमेरिका तक अपनी मिसाइलों से मार कर सके। लेकिन इतनी जरूर है कि सियोल और जापान को बर्बाद कर सके। यहां पर ध्‍यान देने वाली बात यह भी है कि उत्तर कोरिया से सियोल महज 40 मील की दूरी पर है। ऐसे में उत्तर कोरिया की रेंज में आसानी से आ जाता है।

कुछ घंटों में ही तबाह हो जाएगा सियोल
जुनियर ने अपनी रिपोर्ट में जिन बातों का जिक्र किया है उसका जिक्र अमेरिकी एयरफोर्स के रिटायर्ड कर्नल सैम गार्डनर भी एक इंटरव्‍यू में कर चुके हैं। उन्‍होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्‍यू में कहा था कि यदि अमेरिका और उत्तर कोरिया का युद्ध हुआ तो किम कुछ ही घंटों में सियोल को तबाह कर देगा। उन्‍होंने भी इस बात को माना कि टोक्‍यो समेत सियोल उसकी जद में हैं। सियोल यूं भी विश्‍व पटल पर एक अहम मुकाम रखता है।

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