महिला पत्रकारों के ट्वीट को मिलते हैं कम लाइक: सर्वे
इस अध्ययन में पता चला है कि राजनीतिक चर्चा के मामलों में महिला सहकर्मियों (पत्रकारों) को पीछे छोड़कर कैसे पुरुष पत्रकार अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट्स का इस्तेमाल करते हैं।
सैन फ़्रांसिस्को (आइएएनएस)। पुरुष पत्रकारों की तुलना में महिला राजनीतिक पत्रकारों को ट्विटर पर कम तवज्जो मिलती है। दुनियाभर में राजनीतिक बहस को आकार देने में ट्विटर की बढ़ती भूमिका को लेकर अमेरिकी राजनीतिक पत्रकारों ने एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में पता चला है कि राजनीतिक चर्चा के मामलों में महिला सहकर्मियों (पत्रकारों) को पीछे छोड़कर कैसे पुरुष पत्रकार अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए माइक्रोब्लॉगिंग साइट्स का इस्तेमाल करते हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि अमेरिकी कांग्रेस को कवर करने के लिए मान्यता प्राप्त पत्रकारों में से (जिन्हें बेल्टवे पत्रकारों के नाम से जाना जाता है) पुरुष पत्रकार पुरुष सहकर्मियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और एक-दूसरे के संलग्न में रहते हैं। जबकि महिला पत्रकार एक-दूसरे के साथ ज्यादा व्यस्त रहती हैं। पुरुष राजनीतिक पत्रकारों ने अन्य पुरुष पत्रकारों को 91.5 फीसद बार जवाब दिया, यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय प्रेस जर्नल ऑफ प्रेस/पॉलिटिक्स में प्रकाशित भी किया गया है।
निष्कर्ष बताते हैं कि महिला राजनीतिक पत्रकारों को माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर कम ध्यान मिलता है। 'द गार्जियन' ने रविवार को बताया कि अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वाशिंगटन डीसी स्थित पत्रकारों के 2,292 ट्विटर खातों को देखा, जो अमेरिकी कांग्रेस को कवर करने के लिए मान्यता प्राप्त हैं। जबकि महिला और पुरुष पत्रकारों की संख्या के बीच का अंतर काफी अधिक नहीं है। पुरुष पत्रकार ज्यादा ट्वीट्स के साथ ट्विटर पर हावी हैं। वे न सिर्फ एक-दूसरे के ट्वीट पर लाइक करते हैं बल्कि उसे रिट्वीट भी करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'बेल्टवे पत्रकारिता पर मौजूद लिंग असंतुलन ट्विटर एक और मामला है, जिससे पता चलता है कि महिलाओं को उनके रचनात्मक श्रम के लिए पर्याप्त मान्यता या ध्यान नहीं मिलता है।' रिपोर्ट में कहा गया कि यह महिला पत्रकारों के लिए भी एक बड़ा संरचनात्मक नुकसान पैदा कर सकता है, यह देखते हुए कि यह मंच (ट्विटर) बेल्टवे पत्रकारिता में सफलता के लिए कितना महत्वपूर्ण है। द गार्डियन ने एक शोधकर्ता का उल्लेख करते हुए लिखा कि यह एक समस्या है क्योंकि ट्विटर पर बहस ने अन्य वेबसाइटों पर राजनीतिक रिपोर्टिंग को फ्रेम करने में मदद की है। ऐसे में ट्विटर पर दिखते इस अंतर से महिला पत्रकारों का करियर हाशिए पर डाल सकता है।