एक्सपर्ट व्यू : बदलते परिप्रेक्ष्य में ब्रिक्स की राह, आपसी सहयोग से सशक्त होगी वैश्विक राजनीतिक में भागीदारी
Importance of BRICS ब्रिक्स दुनिया की पांच उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है जिसके पास विश्व का एक चौथाई से ज्यादा भू-भाग है और करीब 42 फीसद जनसंख्या है। साथ ही सदस्य देश विनिर्माण ऊर्जा रक्षा प्रौद्योगिकी प्राकृतिक संसाधन कृषि और आईटी क्षेत्र में अग्रणी हैं।
अरविंद जयतिलक। हाल ही में ब्रिक्स देशों का 14वां शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ है। डिजिटल माध्यम से आयोजित यह सम्मेलन इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि सदस्य देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों ने एक सुर में उच्च गुणवत्ता वाली ब्रिक्स साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संबोधन में कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार के नए आयाम तलाशने होंगे। दरअसल रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है। इससे रूस आक्रोशित है और अब वह अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है। इसके लिए उसे बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की ओर से बड़े समर्थन की आवश्यकता है।
यही कारण है कि पिछले कुछ माह में उसने भारत को रिकार्ड तेल आपूर्ति की है। इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन का खुलकर समर्थन किया। अपने संबोधन में उन्होंने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के विचारों को शीतयुद्ध की मानसिकता से जोड़कर नीचा दिखाने का प्रयास भी किया। उनका संकेत ‘क्वाड’ की ओर भी था जिसमें भारत शामिल है। परंतु भारत का नजरिया बेहद संतुलित रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध संकट अथवा रूस पर प्रतिबंध से संबंधित किसी भी मसले पर अपने विचार रखने के बजाय कोविड महामारी से उपजी वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर बल दिया।
उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स दुनिया की पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का संगठन है जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। ब्रिक्स देशों के पास विश्व का लगभग 26.7 प्रतिशत भू-भाग एवं 41.5 प्रतिशत जनसंख्या है। एक अच्छी बात यह है कि ब्रिक्स देशों की आर्थिक शक्ति निरंतर बढ़ रही है। किंतु राजनीतिक व कूटनीतिक नजरिए से देखें तो वर्तमान मत प्रणाली में ब्रिक्स देशों के मत देने का अधिकार उनकी आर्थिक शक्ति के लिहाज से काफी कम है। ऐसे में ब्रिक्स बैंक की स्थापना से वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनकी धाक मजबूत होगी। ब्रिक्स देशों के पास प्रचुर मात्रा में संसाधन हैं, जिससे वे एक-दूसरे का सहयोग कर आर्थिक विकास को नई दिशा दे सकते हैं।
चीन विनिर्माण के क्षेत्र में विश्व में अव्वल है। समूचा विश्व उसकी तकनीकी दक्षता का कायल है। रूस के पास ऊर्जा का असीमित भंडार है। रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वह सिरमौर है। ब्राजील कृषि क्षेत्र का महाशक्ति कहा जाता है। भारत कृषि और आइटी क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका में प्राकृतिक संसाधनों का व्यापक भंडार है। ऐसे में ब्रिक्स देश यदि आपसी सहयोग दिखाते हैं तो इन देशों में व्याप्त गरीबी समेत अनेक समस्याओं से निपटने में आसानी होगी और वैश्विक राजनीति में उनकी भागीदारी सशक्त होगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)