Move to Jagran APP

अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला सांसद ने बयां किया दर्द, कहा- वतन की मुट्ठीभर मिट्टी लाने का भी वक्‍त नहीं मिला

अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला सांसद अनारकली कौर होनरयार का कहना है कि उन्‍होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा- मुझे याद के तौर पर अपने देश की मुट्ठीभर मिट्टी लेने का भी वक्त नहीं मिला।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 08:39 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 11:59 PM (IST)
अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला सांसद ने बयां किया दर्द, कहा- वतन की मुट्ठीभर मिट्टी लाने का भी वक्‍त नहीं मिला
सांसद अनारकली कौर होनरयार का कहना है कि उन्‍होंने नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ेगा।

नई दिल्ली, पीटीआइ। अफगानिस्तान की पहली गैर मुस्लिम महिला सांसद अनारकली कौर होनरयार ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ेगा लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद स्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें विमान में सवार होने से पहले यादगार के तौर पर वतन की मुट्ठीभर मिट्टी भी साथ लाने का वक्त नहीं मिला। अपने परिवार के साथ रविवार सुबह भारतीय वायुसेना के विमान से भारत पहुंची 36 वर्षीय होनरयार पेशे से दंत चिकित्सक हैं। वह अफगानिस्तान में महिला हितों की हिमायती रही हैं।

loksabha election banner

वंचितों के लिए उठाती रही हैं आवाज 

उन्होंने (Anarkali Kaur Honaryar) वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई है। वह प्रगतिशील एवं लोकतांत्रिक अफगानिस्तान में जीने के सपने देखती थीं, जो बिखर चुके हैं। दुश्मनी की वजह से उनके रिश्तेदारों को पहले ही भारत, यूरोप व कनाडा में शरण लेनी पड़ी है।

मुट्ठीभर मिट्टी लेने का भी वक्त नहीं मिला

होनरयार ने खास बातचीत के दौरान नम आंखों से कहा, 'मुझे याद के तौर पर अपने देश की मुट्ठीभर मिट्टी लेने का भी वक्त नहीं मिला। मैं विमान में चढ़ने से पहले हवाईअड्डे पर सिर्फ जमीन को स्पर्श कर सकी।' वह दिल्ली के एक होटल में ठहरी हैं और उनकी बीमार मां वापस काबुल जाना चाहती हैं। मई 2009 में रेडियो फ्री यूरोप के अफगान चैप्टर ने होनरयार को 'पर्सन आफ द ईयर' चुना था। इस सम्मान ने उन्हें काबुल में घर-घर में पहचान दिलाई थी।

अफगानिस्तान के लिए काम करना जारी रखूंगी

होनरयार ने कहा, 'मजहब अलग होने के बावजूद मुस्लिम महिलाओं ने मुझपर भरोसा किया। मेरे सहकर्मी और दोस्त काल कर रहे हैं, संदेश भेज रहे हैं। लेकिन मैं कैसे जवाब दूं? उन्हें लगता है कि मैं दिल्ली में सुरक्षित और आराम से हूं, लेकिन उन्हें कैसे बताऊं कि मैं उन्हें बहुत याद करती हूं।' उन्होंने कहा, 'मैंने तालिबान के खिलाफ बहुत कुछ कहा है। हमारे विचार और सिद्धांत बिल्कुल विपरीत हैं। मैं दिल्ली से अफगानिस्तान के लिए काम करना जारी रखूंगी।' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.