Move to Jagran APP

Mission Bengal का प्लान तैयार, 35 सीटें जीतने के लिए BJP ने बनाई ये रणनीति; दीदी का 'किला' ढहाने की तैयारी

भाजपा की वोट हिस्सेदारी कोलकाता के भवानीपुर उपचुनाव के साथ शुरू हुई जहां उसका वोट शेयर मई 2021 में 35 प्रतिशत से कम होकर उसी साल अक्टूबर में केवल 22 प्रतिशत रह गया और यही स्थिति जारी रही। भाजपा 108 अन्य नगरपालिकाओं के चुनाव में केवल 12.57 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी। पिछले साल के पंचायत चुनाव में वह 22 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर रही।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Wed, 27 Mar 2024 08:02 PM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2024 08:03 PM (IST)
Mission Bengal का प्लान तैयार, 35 सीटें जीतने के लिए BJP ने बनाई ये रणनीति; दीदी का 'किला' ढहाने की तैयारी
Mission Bengal का प्लान तैयार, 35 सीटें जीतने के लिए BJP ने बनाई ये रणनीति (File Photo)

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में भाजपा लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 में से 35 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है और उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को यहां मुख्य मुद्दा बनाया है। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों ने भाजपा की प्रदेश इकाई में आंतरिक मतभेद, सांगठनिक कमजोरियों और वाम-कांग्रेस गठबंधन के फिर से आकार लेने का दावा करते हुए भाजपा के सामने चुनौतियों का उल्लेख किया है।

loksabha election banner

तेजी से बढ़ रही पीएम मोदी की लोकप्रियता

पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने राज्य में 18 सीटें जीतकर और 40 प्रतिशत मत हासिल करके शानदार प्रदर्शन किया था और इस बार के चुनाव में उसने 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। भाजपा यूं तो पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का लाभ लेना चाहती है लेकिन वह राज्य में सीएए को भी भुनाना चाहती है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह कानून भाजपा के लिए एक तरफ फायदेमंद तो दूसरी तरफ चुनौतीपूर्ण भी साबित हो सकता है। उनका मानना है कि सीएए हिंदू समुदाय को एकजुट कर सकता है, वहीं इस पर अल्पसंख्यकों की प्रतिकूल प्रतिक्रिया भी आ सकती है।

वाम-कांग्रेस गठबंधन की संभावनाएं

बंगाल में भाजपा की संभावनाएं काफी हद तक वाम-कांग्रेस गठबंधन के प्रदर्शन पर भी निर्भर करती हैं, जिसे राजनीतिक विश्लेषक राज्य के 42 लोकसभा क्षेत्रों में पहले से अच्छी स्थिति में देख रहे हैं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पार्टी को न केवल उम्मीद है बल्कि पूरा विश्वास है कि वह राज्य में 35 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी। हालांकि, भाजपा नेताओं के एक वर्ग ने राज्य में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की राह में सामने आने वाली कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों की ओर भी इशारा किया।

जमीनी स्तर पर समन्वय की कमी

भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा ने कहा कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने संगठन को व्यवस्थित करना है जो 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से बिखरा पड़ा है। हमारे पास राज्य में 80,000 से अधिक बूथ पर एजेंट नियुक्त करने के लिए लोग नहीं हैं। प्रदेश भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे हाजरा ने दावा किया कि आंतरिक कलह और जमीनी स्तर पर समन्वय की कमी ने राज्य में मजबूती के पार्टी के प्रयासों को बाधित किया है और 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से विभिन्न पराजयों में यह दिखाई दिया है।

अर्जुन सिंह की भाजपा में वापसी

2021 चुनाव के बाद से पार्टी के आठ विधायक और दो सांसद तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। इनमें से केवल एक सांसद अर्जुन सिंह ने भाजपा में वापसी की है। भाजपा ने 2019 में 40 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। हालांकि, 2021 के विधानसभा चुनाव में यह प्रतिशत थोड़ा गिरकर 38 प्रतिशत हो गया। 2016 में 10 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी और तीन विधानसभा सीटों से बढ़कर 2021 में 77 सीटों तक पहुंचने के बावजूद, वे सत्ता हासिल करने में विफल रहे।

वोट प्रतिशत का समीकरण

भाजपा की वोट हिस्सेदारी कोलकाता के भवानीपुर उपचुनाव के साथ शुरू हुई जहां उसका वोट शेयर मई 2021 में 35 प्रतिशत से कम होकर उसी साल अक्टूबर में केवल 22 प्रतिशत रह गया और यही स्थिति जारी रही। भाजपा 108 अन्य नगरपालिकाओं के चुनाव में भी केवल 12.57 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी। पिछले साल के पंचायत चुनाव में वह 22 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर रही। उसे मिले मतों की हिस्सेदारी वाम-कांग्रेस-आइएसएफ गठबंधन से एक प्रतिशत कम रही।

सीएए का लाभ लेगी भाजपा

हालांकि, भाजपा नेताओं को बहुसंख्यक समुदाय में धु्रवीकरण होने से लाभ की उम्मीद है। उन्हें खासतौर पर सीएए के मुद्दे पर मतुआ बहुल क्षेत्रों में फायदा होने का विश्वास है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मजूमदार ने कहा, सीएए पार्टी को चुनाव में यहां अच्छी सफलता दिलाने में मददगार होगा। दूसरी तरफ मतुआ समुदाय के अखिल भारतीय महासंघ ने अपने सदस्यों को सलाह दी है कि केंद्र में नई सरकार बनने के बाद ही नए कानून के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें। यह भाजपा के लिए राह कठिन करने वाला सुझाव है।

यह भी पढ़ें: ममता बनर्जी के खिलाफ विवादित टिप्पणी पर बंगाल में मचा सियासी बवाल, TMC ने BJP सांसद के खिलाफ EC से की शिकायत


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.