मालामाल बीसीसीआई को भी आरटीआई दायरे में लाने का प्रस्ताव
भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड [बीसीसीआई] ने 1997-98 से 2006-07 के बीच एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में 10 वर्षो के दौरान साढ़े 19 अरब रुपये की कर छूट का लाभ पाया। साथ ही सरकार ने बताया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में बीसीसीआई सहित सभी राष्ट्रीय खेल परिसंघों को आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है।
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड [बीसीसीआई] ने 1997-98 से 2006-07 के बीच एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में 10 वर्षो के दौरान साढ़े 19 अरब रुपये की कर छूट का लाभ पाया। साथ ही सरकार ने बताया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में बीसीसीआई सहित सभी राष्ट्रीय खेल परिसंघों को आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया गया है।
खेल मंत्री अजय माकन ने मंगलवार को लोकसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में खेल मंत्री अजय माकन ने यह जानकारी दी है। माकन ने कहा कि बीसीसीआई को एक चैरिटेबल संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था और इसे कर छूट का लाभ मिला। राजस्व विभाग ने सूचित किया कि कानून की धारा 12 के तहत बीसीसीआई का चैरिटेबल संगठन के रूप में पंजीकरण दिसंबर 2009 में एक जून 2006 से वापस ले लिया गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1997-98 में बीसीसीआई ने 11 करोड़ एक लाख रुपये का कर छूट प्राप्त किया। संस्था ने 1998-99 में सबसे अधिक 18 अरब 18 करोड़ रुपये का कर छूट प्राप्त किया। बीसीसीआई ने 1999-2000 में 8 करोड़ 37 लाख रुपये, 2000-01 में 36 करोड़ एक लाख रुपये, 2001-02 में 42 करोड़ 98 लाख रुपये, 2002-03 में 31 करोड़ 46 लाख रुपये, 2003.04 में 26 करोड़ 28 लाख रुपये, 2004-05 में 33 करोड़ 46 लाख रुपये, 2005-06 में 32 करोड़ 99 लाख रुपये और 2006-07 में एक अरब 27 करोड़ रुपये का कर छूट प्राप्त किया। माकन ने कहा कि पिछले तीन वर्षो में बीसीसीआई को सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सर्विस कर में कोई विशेष छूट नहीं दी गई है।
सरकार ने आज लोकसभा को बताया कि उसने प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में बीसीसीआई सहित सभी राष्ट्रीय खेल परिसंघों को आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है। माकन ने कहा कि राष्ट्रीय खेल परिसंघों सहित बीसीसीआई को सूचना का अधिकार [आरटीआई] कानून के दायरे में लाने की समय समय पर मांग की गई। इसी के तहत अप्रैल 2010 में 10 लाख रुपये या इससे अधिक अनुदान प्राप्त करने वाले खेल परिसंघों को सूचना का अधिकार कानून के तहत लोक प्राधिकरण के रूप में घोषित किया गया। खेल मंत्री ने कहा, सरकार ने प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक के मसौदे में बीसीसीआई सहित सभी राष्ट्रीय खेल परिसंघों को आरटीआई के दायरे में लाने का प्रस्ताव किया है। माकन ने कहा कि केंद्र सरकार बीसीसीआई को कोई प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता नहीं उपलब्ध कराती है लेकिन बीसीसीआई को आयकर, सीमा शुल्क आदि में रियायतें देती है।
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