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23 साल से खेल रहा हूं, मुझे नसीहत ना दें

दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने संन्यास की संभावना को सिरे से खारिज करते हुए आज यहां स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह 23 साल से खेल रहे हैं इसलिए उन्हें अब कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है और जब तक वह खेल का लुत्फ उठाते रहेंगे तब तक क्रिकेट में बने रहेंगे।

By Edited By: Published: Sun, 25 Mar 2012 04:47 PM (IST)Updated: Sun, 25 Mar 2012 04:47 PM (IST)
23 साल से खेल रहा हूं, मुझे नसीहत ना दें

मुंबइ। दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने संन्यास की संभावना को सिरे से खारिज करते हुए आज यहां स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह 23 साल से खेल रहे हैं इसलिए उन्हें अब कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है और जब तक वह खेल का लुत्फ उठाते रहेंगे तब तक क्रिकेट में बने रहेंगे।

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तेंदुलकर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि अब मुझे कुछ साबित करने की जरूरत है। मैंने यह खेल खेलना इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं इसे चाहता था और मैं इसका भरपूर लुत्फ उठाता हूं। मेरे पास क्रिकेट के लिए जुनून था। मेरा सपना भारत की तरफ से खेलना और विश्व कप जीत था। मैं मानता हूं कि इससे बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता। मैं उपलब्धियों के बारे में नहीं सोचता। मैं भारत की तरफ से खेला और विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बना। मैं नहीं जानता कि अब मेरे लिए क्या बचा है लेकिन मेरा ध्यान अब खेल का भरपूर लुत्फ उठाने पर रहेगा। मैंने क्या हासिल करना है, मैं इस पर ध्यान नहीं देना चाहता हूं क्योंकि मैं जो चाहता था उसे मैं पहले ही हासिल कर चुका हूं। तेंदुलकर ने इसके साथ ही एक साल तक शतक से महरूम रहने के दौर पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, विश्व कप में जब मैंने 99वां शतक लगाया तब कोई भी मेरे 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक के बारे में बात नहीं कर रहा था क्योंकि सभी का ध्यान विश्व कप पर था। लेकिन विश्व कप के बाद मीडिया ने इस पर बात करनी शुरू कर दी। मैंने हमेशा की तरह क्रिकेट खेलने पर ध्यान दिया। मैं केवल रन बनाना चाहता था। लेकिन जैसे जैसे समय गुजरने लगा जो लोग मीडिया की सुनते हैं वे लोग मुझे 100वें शतक के लिए शुभकामनाएं देने लगे लेकिन इनमें मेरे दोस्त और परिजन नहीं थे। लेकिन मेरा मानना है कि क्रिकेट में एकाग्रता जरूरी है और मैं तब खुद से यही कहता रहा। यदि क्रिकेट की दृष्टि से देखा जाए तो यह मुश्किल दौर था क्योंकि लोगों की शुभकामनाएं नहीं थम रही थी। अब कम से कम वे मेरे 100वें शतक के लिए दुआ नहीं करेंगे और मेरे कानों को भी कुछ आराम मिलेगा। मैं इन सभी दुआओं के बारे में शिकायत नहीं कर सकता।

अपनी पिछले एक साल की फार्म के बारे में तेंदुलकर ने कहा, ऐसा भी समय आया जब मैंने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की। ऐसा समय भी आया जब मुझे लगा कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। मैं समझता हूं कि कभी भाग्य भी आपके साथ होना चाहिए। कुछ अवसरों पर भाग्य ने साथ नहीं दिया क्योंकि जहां तक तैयारी, मेरी प्रतिबद्धता और जुनून की बात है तो वो सभी थे। मैंने अपना शत प्रतिशत प्रदर्शन किया लेकिन आप हमेशा वह परिणाम हासिल नहीं करते जिसके सपने देखते हो। उम्मीद नहीं छोड़ना महत्वपूर्ण होता है। मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी और लगातार अपना अच्छा प्रदर्शन किया। यहां तो मैंने केवल एक साल का इंतजार किया लेकिन विश्व कप के लिए तो 22 साल तक इंतजार किया और आखिर में उसे जीतने में सफल रहा। तेंदुलकर से जब खुद का आकलन करने के लिए कहा गया तो उन्होंने यह काम अपने प्रशंसकों और आलोचकों पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा, मैं खुद का आकलन नहीं कर सकता लेकिन निश्चित तौर पर मेरा सपना था कि मेरी गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों में हो। मैं शुरू से ही इन खिलाडि़यों में शामिल होना चाहता था और मुझे लगता है कि मैं वहां हूं। अपनी नई हेयरस्टाइल को लेकर सचिन ने कहा कि बेशक सौवीं सेंचुरी और नई हेयरस्टाइल के बीच इत्तेफाक की स्थिति बनी लेकिन बालों और इस महान उपलब्धि के बीच कोई लेना देना नहीं था।

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