जब गोल्ड जीतने वाले बर्धन से पासपोर्ट अधिकारी ने पूछा, क्या आप जुआ खेलने जा रहे हो
उस वक्त को याद करते हुए बर्धन कहते हैं कि उसने (पासपोर्ट अधिकारी ने) मुझसे पूछा, आप जुआ खेलने कनाडा जा रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। ब्रिज में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले प्रणव बर्धन को इस खेल की धारणा को लोगों को समझाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी है। 60 वर्षीय प्रणव एक मौके पर जब मोंट्रियाल में एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने जा रहे थे जब उनके साथ एक अजीब वाक्या हुआ। उन्हें उस टूर्नामेंट में खेलने जाने से पहले अपना पासपोर्ट रिन्यू कराने के लिए पासपोर्ट ऑफिस जाना पड़ा। वहां पासपोर्ट अधिकारी ने उनके साथ अजीब सवाल किए।
उस वक्त को याद करते हुए बर्धन कहते हैं कि उसने (पासपोर्ट अधिकारी ने) मुझसे पूछा, आप जुआ खेलने कनाडा जा रहे हैं। मैंने उससे कहा कि आपने मेरे प्रोफाइल को ठीक से नहीं पढ़ा। वह एक शिक्षित व्यक्ति था, लेकिन फिर भी उसे नहीं पता था कि यह (ब्रिज) एक खेल है ना कि जुआ। समझदार लोगों को ऐसा नहीं सोचना चाहिए। पिछले 20 वर्षो से शिवनाथ सरकार के साथ खेल रहे बर्धन कहते हैं कि ब्रिज आसान खेल नहीं है। यह तर्क पर आधारित खेल है।
शतरंज की तरह यह दिमागी खेल है लेकिन यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। शतरंज में आप एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हो, लेकिन यहां आपको अपने साथी के साथ मिलकर खेलना है जिससे मैच के दौरान आप बात भी नहीं कर सकते हैं। आपको अपने साथी की चाल को समझना होता है। यह बिलकुल जुआ नहीं है। सभी को पहले सेट में एक जैसे कार्ड मिलते हैं, इसलिए इसमें भाग्य नहीं जुड़ा होता है।