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Tokyo Olympics: देश को एथलेटिक्स में ऐतिहासिक पदक दिला सकती हैं कमलप्रीत- पीटी उषा

पीटी उषा ने कहा कि बेशक हमारे निशानेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा लेकिन वे 2024 के पेरिस ओलिंपिक में निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इनमें से कई काफी युवा हैं और टोक्यो में अपने पहले ही ओलिंपिक में हिस्सा ले रहे थे।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 07:56 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 04:44 PM (IST)
भारत की महिला चक्का फेंक खिलाड़ी कमलप्रीत कौर (एपी फोटो)

(पीटी ऊषा का कालम)

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टोक्यो ओलिंपिक की शुरुआत के बाद से ही भारत को मुस्कुराने के कई मौके मिले हैं। कोविड से प्रभावित समय में भारतीय दल के ऐसे प्रदर्शन ने मुझे काफी संतुष्टि दी है। पहले ही दिन भारत को जबरदस्त शुरुआत मिली जब मीराबाई चानू ने महिला भारोत्तोलन की 49किग्रा भारवर्ग स्पर्धा में देश को रजत पदक दिलाया। इससे ये बात भी पुख्ता हुई कि एक ओलिंपिक के अनुभव के बाद एथलीटों का प्रदर्शन बेहतर रहता है। मैंने खुद भी 1980 के मास्को ओलिंपिक में हिस्सा लिया था, लेकिन मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1984 के लास एंजिलिस ओलिंपिक में सामने आया। मिल्खा सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ था, जिन्होंने 1956 मेलबर्न ओलिंपिक में भी हिस्सा लिया, लेकिन 1960 के रोम ओलिंपिक में अपने प्रदर्शन को नया आयाम दिया।

मीराबाई चानू के बाद टोक्यो में भारत का दूसरा पदक महिला मुक्केबाज लवलीना ने पक्का किया और जब मैं ये लेख लिख रही थी तभी पीवी सिंधू ने भी कांस्य पदक अपने नाम कर लिया। पुरुष और महिला हॉकी ने भी शुरुआती दौर के प्रदर्शन ने दिखा दिया है कि हम इस खेल में भी दुनिया को चौंका सकते हैं। बेशक हमारे निशानेबाजों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, लेकिन वे 2024 के पेरिस ओलिंपिक में निश्चित रूप से बेहतर प्रदर्शन करेंगे। इनमें से कई काफी युवा हैं और टोक्यो में अपने पहले ही ओलिंपिक में हिस्सा ले रहे थे।

अब एथलेटिक्स की बात करते हैं। मैं एथलेटिक्स में भारतीयों के प्रदर्शन से काफी खुश हूं। अविनाश साब्ले से शुरुआत करते हैं। पुरुषों की 3000 मीटर बाधा दौड़ में उन्होंने बहादुरी से हिस्सा लिया और राष्ट्रीय रिकार्ड बना डाला। उन्होंने तीन सेकेंड के समय के साथ अपना व्यक्तिगत रिकार्ड सुधारा। महिलाओं के चक्का फेंक क्वालिफिकेशन में कमलप्रीत कौर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ओवरआल दूसरा स्थान हासिल किया। बेशक उन्हें अमेरिका, क्रोएशिया और क्यूबा की एथलीटों से कड़ी टक्कर मिलेगी, लेकिन मैं उनसे पदक जीतने की उम्मीद कर रही हूं। अगर ऐसा होता है तो आजाद भारत के 73 साल के इतिहास में एथलेटिक्स में देश का ये पहला ऐतिहासिक पदक होगा। बेशक पुरुषों की जेवलिन थ्रो स्पर्धा में नीरज चोपड़ा भी भारत को पदक दिला सकते हैं। कुल मिलाकर मैं ओलिंपिक का भरपूर लुत्फ उठा रही हूं और उम्मीद है कि देश को हमारे एथलीटों के प्रदर्शन पर गर्व होगा। बेशक भारतीय दल का समर्थन और सहयोग करने के लिए भारतीय खेल मंत्रालय का भी आभार व्यक्त किया जाना चाहिए, जिनके बिना ये संभव नहीं था।


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