Tokyo Olympics 2020: छोटे कद को ताकत बनाकर गोल्ड जीतने वाले कृष्णा नागर ने मां को समर्पित किया पदक
Tokyo Olympics 2020 कृष्णा ने अपने स्वर्ण पदक को मां-पिता को समर्पित करते हुए कहा मेरा सपना सच हो गया। मैं अपना पदक अपने माता-पिता और अन्य परिवार वालों को समर्पित करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे यहां तक लाने में मेरा साथ निभाया।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। पैरालिंपिक खेलों के अंतिम दिन कृष्णा नागर ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। जयपुर की गलियों से बैडमिंटन की शुरुआत करने वाले नागर एक दिन इतने बड़े मंच पर सोने का तमगा हासिल करेंगे, इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। नागर ने अपने छोटे कद के विकार को ताकत में बदलते हुए पुरुष सिंगल्स बैडमिंटन स्पर्धा एसएच-6 में भारत के लिए इन खेलों में पांचवां स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने फाइनल मुकाबले में हांगकांग के खिलाड़ी चू मैन काई को 21-17, 16-21, 21-17 से शिकस्त दी।
14 साल की उम्र में पहली बार थामा रैकेट : 22 वर्षीय कृष्णा छोटे कद के कारण स्कूल में कई खेलों में भाग नहीं ले पाते थे। इसलिए उन्होंने अकेले में दौड़ना शुरू कर दिया। वह हर समय तेज गति की स्पि्रंट दौड़ लगाते रहते थे। तभी 14 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार रैकेट पकड़ा और बैडमिंटन खेल को जयपुर की गलियों में खेलना शुरू कर दिया। इसके बाद कृष्णा यहीं नहीं रुके और उन्होंने इसे पेशेवर तौर पर सीखने की ठानी। इसके लिए वह हर रोज बस से सफर तय करके घर से 13 किलोमीटर दूर जाते थे। नतीजा यह रहा कि उन्होंने दो बार राष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन का खिताब हासिल किया और आगे बढ़ते चले गए।
मां-पिता को समर्पित किया पदक
कृष्णा ने अपने स्वर्ण पदक को मां-पिता को समर्पित करते हुए कहा, 'मेरा सपना सच हो गया। मैं अपना पदक अपने माता-पिता और अन्य परिवार वालों को समर्पित करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे यहां तक लाने में मेरा साथ निभाया। यह पहली बार है जब बैडमिंटन को पैरालिंपिक खेलों में शामिल किया गया और उम्मीद करता हूं भारत आगामी खेलों में इसी तरह पदक जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता रहे।' वहीं कृष्णा के पिता सुनील ने कहा कि कृष्णा बचपन से ही सारे खेल गलियों और पार्क में ही खेलते हैं। उन्होंने कुछ साल पहले ही बैडमिंटन में रुचि लेनी शुरू की थी।
शिक्षक दिवस के मौके पर कोच को दिया स्वर्ण पदक
पांच सितंबर को हम सभी शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं, जिस दिन सभी शिष्य अपने गुरु को सम्मान के स्वरूप कुछ न कुछ उपहार देते हैं। इस तरह शिष्य कृष्णा नागर के शिक्षक दिवस के मौके पर स्वर्ण जीतने से अभिभूत भारत के पैरा बैडमिंटन राष्ट्रीय कोच गौरव खन्ना ने कहा कि उन्हें शिक्षक दिवस पर इससे बेहतर तोहफा नहीं मिल सकता।
खन्ना ने कहा, 'इससे अच्छा तोहफा नहीं हो सकता। जब मुझे द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला था तो मेरे मन में एक खुशी थी जिसे मैं व्यक्त नहीं कर सकता था लेकिन पैरालिंपिक खेलों के इन पदकों से जो खुशी मिली है वह उस खुशी से कम नहीं है। मैं अभिभूत हूं।' खन्ना को पिछले साल द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
कृष्णा की उपलब्धियां
विश्व रैंकिंग (पुरुष सिंगल्स एसएच6) - 2
कांस्य पदक, 2018 पैरा एशियाई खेल
कांस्य पदक, 2019, पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप
स्वर्ण पदक, 2020, टोक्यो पैरालिंपिक