54 राष्ट्रीय खेल संगठनों की मान्यता बढ़ाने के फैसले पर रोक
केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूíत नज्मी वजीरी की पीठ ने कहा कि सात फरवरी 2020 को दिए गए अदालत के आदेश में कोई भी गलती नहीं है।
नई दिल्ली, जेएनए। खेल संगठनों के संबंध में बगैर अदालत को सूचित किए गए कोई भी फैसला नहीं लेने के आदेश में संशोधन की खेल मंत्रालय व भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) की मांग को दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया है। केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूíत हिमा कोहली व न्यायमूíत नज्मी वजीरी की पीठ ने कहा कि सात फरवरी 2020 को दिए गए अदालत के आदेश में कोई भी गलती नहीं है।
पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दाखिल गई याचिका एक अपील है न कि संशोधन के लिए याचिका। सुनवाई के दौरान मंत्रालय की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने कहा कि सात फरवरी का आदेश बगैर मंत्रालय का पक्ष सुने दिया गया था।
उन्होंने यह भी कहा कि खेल संगठनों को मान्यता देने का फैसला लेने से पहले उसे अदालत से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। एएसजी ने यह भी दलील दी कि मंत्रालय अपील भी दाखिल कर सकता है, लेकिन अदालत के सम्मान को देखते हुए संशोधन के लिए आवेदन दाखिल किया था।
इस पर पीठ ने कहा कि इस आवेदन के आधार पर मंत्रालय सात फरवरी के आदेश की समीक्षा की मांग कर रहा था जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि हमें सात फरवरी के आदेश में कोई गलती नजर नहीं आती है। अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा वर्ष 2010 में दाखिल की गई मुख्य याचिका पर मंत्रालय यह आवेदन दाखिल किया था।
राहुल मेहरा ने केंद्र व आइओए को खेल संगठनों के प्रति जिम्मेदारी निभाने का निर्देश देने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान राहुल मेहरा ने पीठ से मांग की कि केंद्र को एक शपथ पत्र दाखिल करने को कहें कि सभी 57 खेल संगठनों में राष्ट्रीय खेल नियमों का अनुपालन होगा। इस पर एएसजी ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर पीठ ने सुनवाई को 21 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
हाई कोर्ट ने सात फरवरी को स्पष्ट आदेश दिया था कि मान्यता देने पर अंतिम फैसला अदालत करेगी। हालांकि, इसके बाद भी मंत्रालय द्वारा 57 खेल संगठनों को मान्यता देने के फैसले पर बीते दिनों यथास्थिति बनाने का आदेश दिया था।