Asian Games: भारत की कबड्डी टीमों को 'भारतीयों' ने ही हराया, जानकर रह जाएंगे दंग
एशियाई खेलों में कबड्डी के पर्दापण के बाद से पहली बार भारतीय टीम बिना स्वर्ण पदक के वापस लौटेगी।
जकार्ता, जेएनएन। कबड्डी में महारथी माने जाने वाले भारत को एशियाई खेलों में पुरूष और महिला टीमों को ईरान से मिली हार लंबे समय तक याद रहेगी। इस हार का मतलब है कि भारत एशियाई खेलों में इस स्पर्धा के पर्दापण के बाद से पहली बार स्वर्ण पदक के बिना लौटेगा। कबड्डी को 1990 में बीजिंग में इस टूर्नामेंट में शामिल किया गया था। भारत को कबड्डी टीम की ये हार खूब खल रही है। इसकी एक खास वजह है।
अपनों ने ही हराया
ईरान की महिला टीम ने भारतीय महिला टीम को फाइनल मे हराकर की उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दो बार की गत चैम्पियन भारतीय टीम फाइनल में 24-27 से हार गई और उसे रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा। दरअसल ईरानी की महिला टीम की जीत के पीछे जो एक दिमाग रहा वो एक भारतीय का ही रहा। इस समय ईरान की महिला कबड्डी टीम की कोच शैलजा जैन हैं और वो ईरान से पहले भारतीय महिला कबड्डी टीम की कोच थीं। शैलजा जैन को महिला कबड्डी के कोच पद से हटाया गया औेर ईरान ने इस मौके को लपकते हुए उन्हें अपना कोच बनाया और नतीजा आज सबके सामने है।
ईरान की जीत के बाद ये बोलीं शेलजा जैन
ईरान की महिला टीम की कोच भारत की शैलजा जैन थी लेकिन भारतीय कोच ने कहा कि इसका श्रेय उन लोगों को जाता है जिन्होंने टीम को नीचले पायदान से खड़ा किया। उन्होंने कहा, ‘कई भारतीय कोच वहां गये है लेकिन उनके लिए यह कई वर्षों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। किसी कोच के पास कोई जादू नहीं हैं कि टीम को छह महीने में बदल दे। उन्हें इसका श्रेय इसलिये मिल रहा क्योंकि टीम ने उनके रहते जीत दर्ज की'।
पुरुष टीम ने भी किया निराश
महिला कबड्डी टीम की तरह ही द. कोरिया की पुरुष टीम के कोच भी एक भारतीय ही है। उनका नाम असन कुमार है और वे अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं। 1990 में पहला स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में थे। मौजूदा एशियन गेम्स में पहले दक्षिण कोरिया ने भारत को हराया था। इस जीत के बाद द. कोरिया के कबड्डी खिलाड़ियों ने अपने कोच को कहा था, 'सॉरी कोच, हमने आपके देश को हरा दिया'। द. कोरिया से हारने के बाद भारत की पुरुष कबड्डी टीम को ईरान के हाथों सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा। भारतीय पुरूष टीम को सेमीफाइनल में ईरान से 18-27 से हार का सामना करना पड़ा था। पहली बार पुरुष टीम भी बिना स्वर्ण पदक के लौटी। पुरुष टीम ने कांस्य पदक जीता।