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बास्केटबॉल का 'प्रिंस' छत पर कर रहा NBA G League की प्रैक्टिस

एनबीए जी लीग के साथ अगले सत्र से खेलने का करार करने वाले एनबीए अकादमी इंडिया के स्नातक प्रिंसपाल सिंह आजकल घर की छत पर ही प्रैक्टिस कर रहे हैं।

By Viplove KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 01:14 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 01:14 AM (IST)
बास्केटबॉल का 'प्रिंस' छत पर कर रहा NBA G League की प्रैक्टिस
बास्केटबॉल का 'प्रिंस' छत पर कर रहा NBA G League की प्रैक्टिस

महिंदर सिंह अर्लीभन्न, गुरदासपुर। दुनिया पंजाब के गबरूओं का लोहा मान चुकी है। विदेश की अकादमियां और खेल संस्थाएं खिलाड़ियों के साथ अनुबंध कर रही हैं, वहीं हमारे खिलाड़ी अपने गांव और कस्बों में मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। एनबीए जी लीग के साथ अगले सत्र से खेलने का करार करने वाले एनबीए अकादमी इंडिया के स्नातक प्रिंसपाल सिंह आजकल घर की छत पर ही प्रैक्टिस कर रहे हैं।

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छह फीट दस इंच लंबे 18 वर्षीय बास्केटबॉल के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रिंसपाल सिंह लॉकडाउन के कारण पिछले चार महीने से गांव कादियां गुजजरां में अपने घर पर हैं। गांव और आसपास के कस्बों में कहीं बास्केटबॉल कोर्ट नहीं है, जहां वे अपने प्रैक्टिस जारी रख सकें। इसलिए उन्हें रोज अपने घर की छत पर ही बास्केटबॉल लेकर प्रैक्टिस करनी पड़ रही है। खुद को फिर रखना है तो प्रैक्टिस नहीं छोड़ सकते।

 

प्रिंसपाल सिंह के पिता गुरमेज सिंह पावरकॉम में कार्यरत हैं। पिता बेटे की उपलब्धियों से खुश हैं। वे चाहते हैं कि बेटा आगे जाकर देश का नाम रोशन करे। साथ ही मन में इस बात की टीस भी है कि प्रिंसपाल की अब तक केंद्र और राज्य सरकार ने सुध तक नहीं ली। प्रिंसपाल अब तक अलग-अलग देशों में बास्केटबॉल खेलकर 12 से अधिक गोल्ड मेडल जीत चुका है। देश का चौथा खिलाड़ी है, जिसने एनबीए जी लीग के साथ कांट्रैक्ट किया है।

प्रिंसपाल ने बताया कि उन्होंने जी लीग के साथ कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जाने की तारीख अब तक तय नहीं है। लॉकडाउन के बाद ही वीजा लगेगा। गांव में घर का खाना ही खा रहे हैं। सरकार गावों में छोटे स्तर के स्पो‌र्ट्स कांप्लेक्स तैयार कर दे जहां खिलाड़ी प्रैक्टिस कर पाएं और खुद को तैयार कर पाएं।

मां को सताती थी लंबू की चिंता :

प्रिंसपाल की माता हरदीप कौर कहती हैं कि जब प्रिंस पढ़ता नहीं था तो उन्हें उसकी बहुत चिंता होती थी। लोग भी घर आकर लंबू की शिकायतें करते थे। अब बेटे ने अपनी मेहनत से उस चिंता को दूर कर दिया है।

अंग्रेजी सीखने में हुई मुश्किल :

प्रीतपाल का कहना है कि वे गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता था इसलिए खेलों में लगा रहता था। बास्केटबॉल खेलने जब विदेश गया तो सबसे ज्यादा मुश्किल अंग्रेजी सीखने में आई।


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