पंकज आडवाणी बोले- महामारी ने सिखाया है कि रोटी, कपड़ा और मकान ही महत्वपूर्ण है
23 बार के विश्व चैंपियन पंकज आडवाणी ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी ने हमें सिखाया है रोटी कपड़ा और मकान ही महत्वपूर्ण है
नई दिल्ली, जेएनएन। 23 बार के विश्व चैंपियन, दो बार के एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता, पद्मभूषण और खेल रत्न से सम्मानित भारतीय बिलियर्ड्स व स्नूकर खिलाड़ी पंकज आडवाणी लॉकडाउन के दौरान घर में परिवार संग अच्छा समय व्यतीत कर रहे हैं। वह इस दौरान घर पर झाड़ू भी लगा रहे हैं। इस चैंपियन खिलाड़ी का मानना है कि कोविड-19 के बाद खिलाडि़यों पर शारीरिक और मानसिक तौर पर असर पड़ेगा। भारत के सुपर स्टार पंकज आडवाणी से अभिषेक त्रिपाठी ने खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :
-कोविड-19 के कारण अभी खेल बंद हैं। जब खेल शुरू होंगे तो क्या खिलाड़ी शारीरिक और दिमागी तौर पर पूरी तरह से तैयार होंगे?
-अभी बहुत समय से टूर्नामेंट नहीं हुआ है और आगे भी काफी दिनों तक उम्मीद नहीं है। मुझे लगता है कि दो चीजें होंगी, खिलाडि़यों का अभ्यास और तकनीक। जिस तरह से खिलाड़ी अभ्यास करते हैं, उस पर असर पड़ेगा और तकनीक के स्तर पर भी असर होगा। बहुत समय के बाद टूर्नामेंट होगा तो सभी के लिए फिटनेस, खेल और दिमागी तौर पर खुद को ढालने में समय लगेगा। हां, कई खिलाड़ी बेकरार होंगे क्योंकि बहुत समय से मैच नहीं हुए। शारीरिक दूरी वाले खेलों में फुटबॉल, हॉकी के खिलाडि़यों पर ज्यादा असर होगा क्योंकि इसमें खिलाड़ी ज्यादातर एक-दूसरे को छूते हैं और अभी शारीरिक दूरी पर ध्यान ज्यादा दिया जा रहा है।
-अन्य खेलों की अपेक्षा बिलियर्ड्स और स्नूकर में दर्शकों की संख्या कम होती है तो क्या आपको लगता है कि इन खेलों को जल्द शुरू किया जा सकता है?
-आप ऐसा कह सकते हैं लेकिन इंग्लैंड और चीन में इंडोर स्टेडियम में हजारों प्रशंसक हमारे मैच देखने आते हैं लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यह टेलीविजन खेल है और महासंघों को कुछ अलग करना चाहिए। दो तीन महीने बाद दर्शकों के बिना इन खेलों का ऑनलाइन प्रसारण करना चाहिए। इससे शारीरिक दूरी पर भी ध्यान रहेगा। स्नूकर व बिलियर्ड्स में ऐसा हो सकता है।
-आप अब 34 वर्ष के हैं और 23 बार के विश्व चैंपियन हैं और भारत के लिए दो एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अब आपका अगला लक्ष्य क्या है?
-मैं अभी 34 वर्ष में भी अपने खेल का लुत्फ ले रहा हूं। मेरे दिमाग में कई लक्ष्य हैं और खुद से कोई गुस्सा नहीं हो रहा हूं। उन लक्ष्य को नहीं पाने से मैं दुखी नहीं हूं। मेरी कोशिश रहती है कि अच्छा खिलाड़ी बनने के लिए और क्या कर कसता हूं। दो चीजें हैं पहली, मैं अपने खेल से प्यार करता हूं और दूसरा, खेल का लुत्फ ले रहा हूं। मेरे अंदर क्षमता है कि कैसे और अच्छा खिलाड़ी बन सकूं और अपने खेल में सुधार कर पाऊं। मैं खिताब और नंबर के बारे में नहीं सोचता हूं। उदाहरण के तौर पर फेडरर मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं और वह कभी अपने 20 ग्रैंडस्लैम खिताब के बारे में नहीं सोचते। वह अपने प्रशंसकों से मिलते हैं। खेल से प्यार करते हैं। वह खेल को क्या दे सकते हैं, यह सोचते हैं।
-भारतीय क्यू स्पोर्ट्स में आपको किसके खिलाफ सबसे खेलने में अच्छा लगा?
-गीत सेठी ने पिछली सदी में विश्व बिलियर्ड्स में अपना योगदान दिया है। गीत के रिकॉर्ड को तोड़ना मुश्किल था। मैं 2000 में आया था और 18 वर्ष का था। मैंने हमेशा उन्हें फॉलो करने की कोशिश की। उनके खिलाफ खेलना हमेशा मेरे लिए गर्व की बात रहा है। उनका अनुशासन और खेल के प्रति लगाव अद्भुत है। वह इस खेल के अच्छे ब्रांड एंबेसडर हैं और उनसे बहुत कुछ सीखा जाता है।
- पिछले दो एशियन गेम्स में बिलियर्ड्स और स्नूकर को शामिल नहीं किया गया था। अगला एशियन गेम्स चीन में होना है?
-यह प्रश्न सरकार, ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया और हमारे महासंघ से पूछना चाहिए। वे ही इस पर सही उत्तर दे सकते हैं लेकिन मुझे लगता है कि इस पर लॉबिंग चलती है। मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 दिल्ली के बाद अब चीन में इसे शामिल नहीं किया है और इसको लेकर कितना लंबा समय हो गया है। भारत और चीन को इसे शामिल करना चाहिए क्योंकि दोनों देशों को ही इसमें कई पदक मिलने की संभावना है। पता नहीं क्यों इसे शामिल नहीं किया गया। शतरंज को भी हटा दिया गया था। भारत और चीन इसे शामिल करने के लिए कह सकते हैं।
-आपने इस खेल में कई पदक जीते हैं और क्या आपको ऐसा महसूस हुआ कि जितनी उपलब्धि आपको इस खेल में मिली है अगर वह क्रिकेट में मिली होती तो आपका ज्यादा बड़ा नाम होता और लोग भी अधिक जानते?
-हर खेल में एक कौशल होता है। कई देश इस कौशल को प्रोत्साहित करते हैं और कई देश इस कौशल को समझ नहीं पाते हैं। जो लोग ज्यादातर क्लब या पब में इस खेल को खेलते हैं वे मुझे जानते हैं। दुनिया में तुलना की जाती है लेकिन मुझे लगता है कि इसका कोई अंत नहीं है। हर कोई यही चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा ट्रॉफी हासिल करे। इस महामारी और लॉकडाउन ने हमें सिखा दिया है कि रोटी, कपड़ा और मकान ही सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं।
- लॉकडाउन में आप कैसे समय व्यतीत कर रहे हैं और क्या कर रहे हैं, कुछ नया?
-मैं परिवार के साथ ही समय बिता रहा हूं। झाड़ू लगा रहा हूं जो अच्छी चीज है। हर किसी को घर को काम करने वालों की प्रशंसा करनी चाहिए जो हमारी मदद करते हैं। घर में होने वाले कामों को भी मैं सीख रहा हूं। खाना बनाना भी मैं जल्दी सीख लूंगा और इससे घर में मदद होगी। मास्क पहनकर मैं सब्जियां खरीद रहा हूं।
-क्या आपको पता है कि स्नूकर सबसे पहले भारत में जबलपुर में खेला गया था। वहां एक नर्मदा क्लब है और वहां पर ब्रिटिश अधिकारियों ने पहली बार इस खेल को खेला था?
-बिलकुल, 1875 में स्नूकर भारत में आया था। कई लोग इस बारे में नहीं जानते हैं। लोग गूगल सर्च करने के बाद ही इसके बारे में पता कर पाते हैं लेकिन यह गर्व की बात है कि यह भारत में हुआ। भारतीयों को इस पर गर्व करना चाहिए। भारत इस खेल का बड़ा केंद्र है। मैं नर्मदा क्लब नहीं गया हूं। हम मैचों के लिए भोपाल और इंदौर जाते हैं। जबलपुर में टूर्नामेंट हुआ तो जरूरत जाएंगे और वहां पर उस क्लब में फोटो भी लेंगे।