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खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं लेकिन बेलग्रेड भेज दी बच्चों की टीम, तीन-तीन लाख रुपये लेकर बच्चों को भेजने की खेल मंत्रालय से शिकायत

एसजीएफआइ को केंद्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं है। इसके बावजूद उसके एक धड़े ने बिना अनुमति के सर्बिया के बेलग्रेड में अंडर-15 विश्व स्कूल गेम्स में खेलने के लिए भारत की टीम भेज दी। अब दूसरे धड़े ने इसकी शिकायत केंद्रीय खेल मंत्रालय से की है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 08:25 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 08:25 PM (IST)
एसजीएफआइ को केंद्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं है (एपी फोटो)

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसजीएफआइ) को केंद्रीय खेल मंत्रालय से मान्यता नहीं है। इसके बावजूद उसके एक धड़े ने बिना अनुमति के सर्बिया के बेलग्रेड में अंडर-15 विश्व स्कूल गेम्स में खेलने के लिए भारत की टीम भेज दी। अब दूसरे धड़े ने इसकी शिकायत केंद्रीय खेल मंत्रालय से की है। शिकायत में प्रत्येक बच्चे से तीन-तीन लाख रुपये लेने का भी आरोप है।

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भ्रष्टाचार और 2017 में आस्ट्रेलिया गई भारतीय टीम की एक बच्ची की डूब कर मौत के बाद एसजीएफआइ की मान्यता रद है। पहले ओलिंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार इसके अध्यक्ष और राजेश मिश्रा महासचिव थे। सुशील और राजेश में भ्रष्टाचार को लेकर विवाद हुआ तो यह संघ दो टुकड़ों में बंट गया। सुशील फिलहाल हत्या के आरोप में जेल में हैं जबकि राजेश अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। सुशील के धड़े वाले एसजीएफआइ के महासचिव विजय सांतेन ने 19 सितंबर को केंद्रीय खेल मंत्रालय को पत्र लिखा, 'राजेश एसजीएफआइ के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे हैं। 2017 में आस्ट्रेलिया के एडिलेड में अनधिकृत दौरे को लेकर एसजीएफआइ पर प्रतिबंध लगा दिया था।

उस दौरे में इन लोगों के कारण एक बच्ची निशा नेगी की मृत्यु हो गई थी। उस दौरे को लेकर खेल मंत्रालय से अनुमति नहीं ली गई थी। निशा की मृत्यु के बाद पांच एसजीएफआइ अधिकारियों पर खेल मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाया था। उस घटना के बाद राजेश मिश्रा ने फिर से एक टीम सर्बिया भेज दी और वह धोखाधड़ी के कार्यो से देश का नाम खराब कर रहे हैं। सर्बियाई दौरे के लिए उन्होंने या किसी भी खिलाड़ी ने खेल मंत्रालय से अनुमति नहीं ली। किसी भी अंतरराष्ट्रीय दौरे में हिस्सा लेने के टीम का चयन ट्रायल होता है लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने इन बच्चों से सिर्फ पैसे वसूले हैं। राजेश मिश्रा ने दो टीमें बास्केटबाल की भेजी जो किसी तरह उचित नहीं है। बास्केटबाल टीम में कोच राजेश्वर राव भी शामिल थे। इसके अलावा राजेश्वर राव की पत्नी राधा राव को बास्केटबाल कोच बनाकर सर्बिया भेज दिया गया।

तैराकी टीम को बेंगलुरु की एक अकादमी द्वारा तैयार किया गया। राजीव डे असम में अपनी अकादमी चलाते हैं और वह भी इस मामले में शामिल हैं। एसजीएफआइ सभी राज्यों के शिक्षा और खेल विभाग के साथ काम करता है। इन लोगों ने सर्बियाई दौरे को लेकर किसी भी राज्य के साथ बातचीत नहीं की है।' इस पत्र में आरोप लगाया है कि प्रत्येक बच्चे को भेजने के लिए उनके माता-पिता से तीन-तीन लाख रुपये लिए गए। शुक्रवार को भारतीय खेल मंत्रालय ने मान्यता को लेकर दोनों दलों के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत भी की। इसमें भी एक तरफ से इन आरोपों को दोहराया गया। जब इस मामले में राजेश मिश्रा गुट वाले एसजीएफआइ के महासचिव आलोक खरे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्कूल फेडरेशन ने हमारे अध्यक्ष बी. रंजीत कुमार को आमंत्रण भेजा था इसलिए हमने टीम भेजी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या आपने खेल मंत्रालय से अनुमति ली थी और क्या आप बिना मान्यता के भारत की टीम भेज सकते हैं तो उन्होंने सुर बदलते हुए कहा कि नहीं हमने टीम नहीं भेजी। स्कूलों ने सीधे अपनी टीम भेजी। जब उनसे पूछा गया कि क्या स्कूल सीधे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में टीम भेज सकते हैं तो उन्होंने कहा कि अभी मुझे मीटिंग में जाना है, मैं ज्यादा बात नहीं कर सकता। वहीं राजेश मिश्रा से उनके तीन मोबाइल नंबरों पर बात करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।


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