ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना मेरा सबसे बड़ा सपना : मेरी कॉम
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरी तीन अक्टूबर से रूस में होने वाली महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय दल की अगुआई करेंगी।
छह विश्व खिताब जीतने वाली भारतीय मुक्केबाज एमसी मेरी कॉम का सबसे बड़ा सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मेरी तीन अक्टूबर से रूस में होने वाली महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारतीय दल की अगुआई करेंगी। भविष्य की तैयारियों को लेकर अभिषेक त्रिपाठी ने मेरी से विशेष बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
-आप पहले ही छह विश्व चैंपियनशिप खिताब अपने नाम कर चुकी हैं। अब रूस में अगले महीने शुरू होने वाले मुक्केबाजी विश्व चैंपियनशिप के लिए क्या रणनीति है?
-इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत की है और अब मेरी निगाहें वहां अच्छे प्रदर्शन करने और देश के लिए पदक जीतने पर हैं। मैं स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं लेकिन उसके बारे में सोचकर मैं इस समय बेवजह दबाव नहीं लेना चाहती। पहले मेरा लक्ष्य पदक पक्का करना है और उसके बाद पदक का रंग बदलने पर काम करूंगी क्योंकि यह क्वालीफायर नहीं है इसलिए अगले ओलंपिक क्वालीफायर से पहले अपने प्रतिद्वंद्वियों को परखने का मुझे अच्छा मौका मिलेगा। मेरा सबसे बड़ा सपना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।
-आप रूस में 51 किग्रा में मुकाबला करती नजर आएंगी जो कि आपका पसंदीदा भार वर्ग नहीं है। आपने अपने सभी छह विश्व खिताब इससे कम भार वर्ग में जीते हैं। ऐसे में इस चुनौती को कैसे देख रही हैं ?
-ऐसा नहीं है कि मैं इससे पहले कभी 51 किग्रा में नहीं खेली हूं। मेरे ओलंपिक और एशियन गेम्स के पदक 51 किग्रा में ही आए हैं। चुनौती हमेशा रहती है और वह होगी भी और मैं आम प्रतिद्वंद्वियों की तरह ही उनका सामना करूंगी। निश्चित रूप से मुझे अपने प्रतिद्वंद्वी की मजबूती और समय के हिसाब से रिंग में उतरना होगा।
-हाल ही में आप इटली से अभ्यास करके लौटी हैं। अनुभव और तैयारियां कैसी रहीं ?
-अनुभव बहुत अच्छा रहा। मुझे लगता है कि मुक्केबाजी करने के सत्र सबसे अहम रहे। हमने चीन, कोरिया, थाइलैंड के अलावा इटली जैसे मुक्केबाजी के कई मजबूत यूरोपीय देशों के खिलाफ अभ्यास किया। चीन एकमजबूत देश है लेकिन उसके साथ अपनी मजबूती और कमजोरी का आकलन करने का अच्छा अनुभव रहा। मैं अपने कोचों के साथ मिलकर अपने प्रत्येक संभावित प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खेलने की सही रणनीति तैयार करने पर काम कर रही हूं।
-सरकार ने फिट इंडिया के रूप में एक अच्छी मुहिम शुरू की है। देश की सबसे अनुभवी महिला मुक्केबाज होने के नाते आप इस पहल को कैसे देखती हैं ?
-यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। हम सभी को फिटनेस के महत्व को समझने और अपने बच्चों को बताने की जरूरत है। यह हमेशा आवश्यक नहीं होता है कि हमें पेशेवर रूप से खेलना है, बस फिट रहने के लिए भी ऐसी संस्कृति को हमें आगे बढ़ाने की जरूरत है। मैं वास्तव में हमारे पीएम मोदी को उनके दृष्टिकोण और खेल मंत्री को देश भर में इस तरह की शानदार पहल के लिए धन्यवाद और बधाई देती हूं। मैं हर भारतीय से आग्रह करती हूं कि वह इस अभियान का हिस्सा बने और इसे फिटनेस क्रांति के रूप में देखे।
-हमने सुना है कि आपके हाथों पर ओलंपिक का टैटू है। आपके नाम पहले ही ओलंपिक पदक है। अब टोक्यो में हम मेरी से क्या उम्मीद करें?
-हां यह एक संयोग ही था कि मैंने इसे (टैटू) ओलंपिक दिवस पर ही बनवाया था। बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। मेरा लक्ष्य ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है जिसके लिए मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी लेकिन इससे पहले चीन में ओलंपिक क्वालीफायर होगा जिसमें मुझे लड़ना है। मैं हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगी और पदक उसी का परिणाम होगा।
-खेलों के प्रति आपके समर्पण की कई कहानियां हमने सुनी हैं। आप एक ही समय में निजी और पेशेवर जीवन के बीच में कैसे समन्वय बैठाती हैं ?
-यह एक कला है। घर से दूर रहना, मुक्केबाजी करना और एक सांसद के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का काम मैं वषरें से करती आ रही हूं। अब मुझे तीन बेटे और एक बेटी है और मेरे हाथ भरे हुए हैं। यह कभी आसान नहीं रहा है लेकिन मुझे लगता है कि मैं अलग-अलग जिम्मेदाारियों का निर्वाह करने की आदि हो चुकी हूं लेकिन मैं इसका पूरा आनंद लेती हूं।
-पुरुषों की विश्व चैंपियनशिप में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया। खासतौर पर अमित पंघाल बहुत अच्छा खेल दिखा रहे हैं। क्या आपको लगता है कि भारतीय मुक्केबाजी सही दिशा में जा रही है?
-लड़कों को लड़ते देखना बेहतरीन था लेकिन मैं इस वर्ग में स्वर्ण पदक देखना चाहती हूं। उम्मीद है कि वह अपने अच्छे फॉर्म को जारी रखेंगे और अगले विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। अब हमारे सामने ओलंपिक क्वालीफायर है और मुझे उम्मीद है कि भारतीय पुरुष मुक्केबाज अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखेंगे।