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किरण रिजिजू बोले- ना हारना जरूरी, ना जीतना जरूरी, जिंदगी खेल है, खेलना जरूरी है

खेल मंत्री किरण रिजिजू ने जागरण से की गई बातचीत में कहा है ना हारना जरूरी ना जीतना जरूरी जिंदगी खेल है खेलना जरूरी है

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 09:15 AM (IST)
किरण रिजिजू बोले- ना हारना जरूरी, ना जीतना जरूरी, जिंदगी खेल है, खेलना जरूरी है

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खेल दिवस (29 अगस्त) पर फिट इंडिया मूवमेंट लांच करेंगे। प्रधानमंत्री का लक्ष्य देश को फिट करना है और इसके लिए वह स्कूल, कॉलेज सभी वर्गो के लोगों को फिट रहने की शपथ भी दिलाएंगे। मोदी के इस मूवमेंट को लेकर खेल मंत्री किरण रिजिजू खुश हैं। उन्होंने कहा कि ना हारना जरूरी है, ना जीतना जरूरी है, जिंदगी खेल है, खेलना जरूरी है। रिजिजू ने कहा कि यह मेरा फलसफा है। अभिषेक त्रिपाठी ने किरण रिजिजू से फिट इंडिया, एनडीटीएल पर प्रतिबंध सहित कई मुद्दों पर बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश :

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- फिट इंडिया को किस तरह देख रहे हैं और कितना महत्वपूर्ण है। इसका बजट क्या है?

-देखिये फिट इंडिया कैंपेन हमारे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मूवमेंट रहेगा। फिट इंडिया मूवमेंट यूनिवर्सल है। बच्चे, बूढे़, दिव्यांग, पुरुष, महिला, पैरा या नॉर्मल सभी को फिट रहना है। आदमी जब तक जीवित है सभी को फिट रहना चाहिए इसलिए फिट इंडिया मूवमेंट एक यूनिवर्सल है। हर भारतीय को इसमें जुड़ना है। कभी-कभी हम अच्छा काम करते हैं और बहुत कुछ करते हैं लेकिन हम भूल जाते हैं कि यह हमारी फिटनेस के लिए कितना लाभदायक है। फिट रहना अनिवार्य है। यह कोई विकल्प नहीं है। हर इंसान को फिट होना ही चाहिए। दूसरी बात, हम भारत को महाशक्ति देश के रूप में देखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को एक नए भारत के रूप में ले जाना चाहते हैं। तो एक मजबूत सशक्त भारत बनाने के लिए सबसे आवश्यक है कि हर भारतीय को फिट रहना होगा। जब आप शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट नहीं रहोगो तो देश कैसे फिट रहेगा इसलिए फिट इंडिया मूवमेंट प्रधानमंत्री 29 अगस्त को हमारे खेल दिवस पर लांच करने जा रहे हैं। भारत के करोड़ों लोग इसमें जुड़ेंगे। इसके बाद पूरे देश में एक माहौल बनेगा। आम लोग, कॉर्पोरेट, दूर दराज गांव के लोग, स्कूल, कॉलेज, सरकारी, प्राइवेट दफ्तर हर जगह फिटनेस का माहौल बनना चाहिए। जब हर भारतीय फिट होगा तो इंडिया अपने आप फिट हो जाएगा।

- इसके पीछे क्या आइडिया या कौन सी प्रेरणा थी जो यह फैसला लिया गया। इसका भविष्य क्या है?

-मैंने पहले ही कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि पूरा भारत फिट रहे। बजट कोई समस्या नहीं है। हर किसी को अपनी फिटनेस पर काम करना चाहिए। आरामदायक जिंदगी के साथ फिटनेस भी जरूरी है। फिटनेस के लिए नए आधारभूत ढांचे आपके लिए हैं। आप जिम जाकर अपनी फिटनेस पर काम कर सकते हैं। आप बिना किसी ढांचे के भी फिट हो सकते हैं। पैदल चलकर, सीढि़यों पर ऊपर-नीचे उतरकर-चढ़कर भी फिट हो रहा जा सकता है। आप किसी खेल में हिस्सा लेकर, प्रतिदिन 30 मिनट योगा करके भी फिट हो सकते हैं। इसके लिए बजट की जरूरत नहीं है। आपको खुद रुचि लेनी है।

-आप खुद फिट रहने के लिए क्या करते हैं?

-मैं दिन में 16-17 घंटे मंत्रालय और अन्य गतिविधियों से जुड़ा रहता हूं। इस बीच जब भी 30 या 40 मिनट का समय मिल जाता है तो जॉगिंग या योगा कर लेता हूं। कहीं कोई खेलता हुआ मिल गया तो खेल लेता हूं। मैं जब स्कूल में रहा तो एथलीट था। जब गृहराज्य मंत्री था तो सिपाहियों के बीच में रहकर कुछ न कुछ गतिविधि करता रहता हूं। अब मैं देश का खेल मंत्री बन गया तो खिलाडि़यों से मिलता हूं। मेरा मंत्र है 'ना हारना जरूरी है, ना जीतना जरूरी है, जिंदगी खेल है, खेलना जरूरी है। कुछ भी हारो, जीतो, आगे बढ़ो, कुछ भी करो जिंदगी एक खेल है और खेलना जरूरी है।'

-खेलो इंडिया का तीसरा सत्र कहा होगा। पिछले सत्र से क्या अलग होगा?

-इस बार हम खेलो इंडिया गुवाहाटी में कराएंगे। हम तैयारी कर रहे हैं और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बातचीत भी हो गई है। इस बार भी अच्छा होगा। यह बड़ा यूथ गेम होगा। पिछले दो सत्र भी खेलो इंडिया के अच्छे रहे थे। उन दोनों सत्रों से निकले बहुत सारे खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमक रहे हैं।

 - अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के चुनाव में अगर राष्ट्रीय खेल महासंघ का व्यक्ति चुनाव लड़ेगा तो क्या खेल मंत्रालय भी उसका समर्थन करेगा?

- मुझे नहीं पता है कि खेल महासंघों में क्या राजनीति चल रही है। अगर कोई भारतीय अंतरराष्ट्रीय खेल समितियों के लिए चुनाव लड़ता है तो हम उसका समर्थन करेंगे। हमने भारतीय टेनिस संघ के लाइफ प्रेसिडेंट अनिल खन्ना को समर्थन देने का वादा किया है। हमारा मानना है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय महासंघों में जाना चाहिए।

-अंतरराष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) ने भारत की राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला (एनडीटीएल) को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया है। क्या आपको लगता है कि एनडीटीएल को पूरा बदलने की जरूरत है?

-जी हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अतिरिक्त फंड के लिए पत्र लिखा है जिससे एनडीटीएल को और बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके। यह बहुत बड़ा फंड नहीं हैं। हमने तीन से चार करोड़ रुपये उनसे मांगे हैं जो जल्दी ही हमें मिल जाने चाहिए। हम फिर से लैब को तैयार करेंगे। जहां तक वाडा की बात है तो उसके कुछ प्रोटोकॉल विवाद हैं। मैंने पहले भी कहा कि वाडा एनडीटीएल के स्तर को लेकर कुछ चिंतित है। हमने इसको लेकर कम समय में भी समाधान निकाल लिया था लेकिन उन्होंने उसे उस मसले पर प्रतिबंधित किया जिसका हम लगभग निकाल चुके थे।

- पिछले साल इसको लेकर बहुत बातचीत हुई। खेल सचिव राधे श्याम जुलानिया ने एनडीटीएल की कुछ पदों की नियुक्तियों को रोक दिया था। यह भी वाडा के प्रतिबंध की एक बड़ी वजह थी। इस पर क्या कहेंगे?

-यह हमारा आंतरिक मामला है। यह कोई विवाद नहीं है। इसको लेकर कदम उठाएंगे।

-बीसीसीआइ सीईओ राहुल जौहरी ने खेल सचिव और नाडा को पत्र लिखकर पूछा है कि अब क्रिकेटरों के डोप टेस्ट का क्या होगा? क्या एनडीटीएल पर प्रतिबंध के बाद भी क्रिकेटरों के डोप टेस्ट किए जाएंगे?

-जी बिलकुल नाडा तो है ही। वह डोप टेस्ट करेगी। क्रिकेट भी हमारा खेल है। नाडा क्रिकेटरों के सैंपल लेगी। हर किसी को नियमों का पालन करना है।

-बीसीसीआइ ने आरटीआइ में आने से मना कर दिया था और कहा था कि वह राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) नहीं है। वह सरकार से पैसे नहीं लेती है?

-सरकार का पैसा जनता का पैसा है, तो उनके बयान मायने नहीं रखता। बीसीसीआइ के पास धन कहां से आ रहा है। बीसीसीआइ का तर्क बिना किसी आधार के है। पैसा देश का है। खेल में पैसा सिर्फ लोगों के जरिये आता है। लोग टीवी देखते हैं, लोग टिकट और विज्ञापनों के लिए पैसा देते हैं तो यह लोगों का पैसा है। उन्हें सिर्फ लोगों से पैसा मिलता है। सभी महासंघों का पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से कार्य करना महत्वपूर्ण है।


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