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भारोत्तोलन: आइडब्ल्यूएफ ने संजीता चानू से हटाया निलंबन

आइडब्ल्यूएफ ने दो बार की कॉमनवेल्थ गेम्स स्वर्ण पदक विजेता संजीता चानू पर डोप टेस्ट में नाकाम रहने पर लगा अस्थायी निलंबन वापस ले लिया है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 05:08 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jan 2019 03:35 PM (IST)
भारोत्तोलन: आइडब्ल्यूएफ ने संजीता चानू से हटाया निलंबन
भारोत्तोलन: आइडब्ल्यूएफ ने संजीता चानू से हटाया निलंबन

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आइडब्ल्यूएफ) ने दो बार की कॉमनवेल्थ गेम्स स्वर्ण पदक विजेता संजीता चानू पर डोप टेस्ट में नाकाम रहने पर लगा अस्थायी निलंबन वापस ले लिया है। करीब एक साल तक चले मामले में संजीता के नमूने के नंबर को लेकर प्रशासनिक गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी। आइडब्ल्यूएफ ने बताया कि इस मसले पर जल्दी ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।

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आइडब्ल्यूएफ की वकील इवा निरफा ने संजीता और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ को भेजे ईमेल में कहा कि आइडब्ल्यूएफ ने फैसला किया है कि संजीता पर लगाया गया अस्थायी निलंबन 22 जनवरी 2019 को हटा लिया जाए। आइडब्ल्यूएफ का सुनवाई पैनल आने वाले समय में इस पर अंतिम फैसला लेगा। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 के 53 किलो वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली संजीता को स्टेरॉयड टेस्टोस्टेरोन के सेवन का दोषी पाया गया था। उसके मूत्र का नमूना अमेरिका में नवंबर 2017 में हुई विश्व चैंपियनशिप से पहले लिया गया था। उस पर 15 मई को अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया था।

आइडब्ल्यूएफ ने पिछले साल जुलाई में अपनी गलती स्वीकार की थी कि वह अपनी रिपोर्ट में संजीता के नमूने का सही नंबर नहीं दे सका। उसने संजीता के डोप टेस्ट में नाकाम रहने की सूचना देने वाले ईमेल में नमूने के दो अलग-अलग नंबर दिए थे। इसके बाद 19 अक्टूबर को बुडापेस्ट में संजीता ने आइडब्ल्यूएफ में सुनवाई पैनल के सामने अपील की थी। यहां तक कि संजीता का मामला प्रधानमंत्री दफ्तर में भी पहुंच गया था जिसने खेल मंत्रालय को इसे देखने के लिए कहा था।

संजीता चानू ने कहा कि मुझे अंतरराष्ट्रीय महासंघ का ईमेल मिला है और हमारे राष्ट्रीय महासंघ ने भी मुझे सुबह फोन पर इसकी जानकारी दी। मैं राहत महसूस कर रही हूं। मैं बेकसूर हूं और मैंने कभी अपने करियर में कोई प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन नहीं किया। मैंने अंतरराष्ट्रीय महासंघ की गलती की वजह से पिछले आठ नौ महीने में बहुत मानसिक पीड़ा झेली है। कभी किसी के साथ ऐसा नहीं हो क्योंकि एक खिलाड़ी की साख सबसे कीमती होती है। मैं इतनी दुखी थी कि मैंने खेल छोड़ने का मन बना लिया था। मैंने अपने माता-पिता को कहा कि मैं अपनी नौकरी (भारतीय रेल में सीनियर टीटीई) से इस्तीफा दे दूंगी। मैं ठीक से खा और सो नहीं सकी थी। मेरे लिए जीवन बेमतलब सा हो गया था।


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