अध्यक्ष और महासचिव की लड़ाई में पिस रहा भारतीय ओलंपिक संघ
महासचिव राजीव मेहता ने नैतिकता आयोग को भंग करने के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के फैसले को अवैध करार दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अगले साल होने वाले चुनावों से पहले ही भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के शीर्ष पदाधिकारियों के मतभेद अब जंग में तब्दील हो गए हैं। महासचिव राजीव मेहता ने नैतिकता आयोग को भंग करने के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के फैसले को अवैध करार दिया है।
बत्रा और मेहता के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी चल रही है और आइओए अध्यक्ष ने हाल में बयान दिया था कि वह महासचिव से अधिकांश जिम्मेदारियां वापस ले लेंगे। मेहता ने इस पर पलटवार करते हुए कहा था कि आइओए का प्रतिदिन का काम देखना उनकी जिम्मेदारी है।
दोनों के बीच हालिया रस्साकशी सेवानिवृत्त न्यायमूíत वीके गुप्ता की अगुआई वाले आइओए के नैतिकता आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर है। इस आयोग को 2017 में नियुक्त किया गया था। मेहता ने कार्यकारी परिषद के सदस्यों, राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) और राज्य ओलंपिक इकाइयों को पत्र लिखकर कहा कि अध्यक्ष का 19 मई 2020 के पत्र के जरिये आइओए नैतिकता आयोग (2017-2021) को भंग करना अवैध पाया गया है और आयोग को पुन: बहाल किया जाता है। आइओए के विधि विभाग के चेयरमैन इस मामले की जांच करेंगे। आइओए की कार्यकारी परिषद की अगली बैठक में आयोग/समितियों के मुद्दों पर चर्चा होगी। आइओए के विधि आयोग के प्रमुख वरिष्ठ उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आरके आनंद हैं।
बत्रा ने प्रशासनिक कर्मचारियों को ये पत्र रिकॉर्ड में रखने के लिए कहा है। मेहता ने दावा किया कि दिसंबर 2017 में हुई आइओए की वाíषक आम सभा में बत्रा और उन्हें आयोग और समितियों के चेयरमैन/समन्वयक/सदस्यों को नियुक्त/नामित करने का अधिकार मिला था और उन्होंने नई नियुक्तियों या किसी को हटाने को स्वीकृति नहीं दी है। मेहता ने आइओए नैतिकता आयोग को लिखे पत्र में कहा कि उन्हें हटाने से संबंधित बत्रा का पत्र कोई मायने नहीं रखता। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि वे बत्रा के पत्र को नजरअंदाज करें और अपना काम जारी रखें।