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Indian Super League: 40 की उम्र में भी भारत के लिए खेलने को तैयार 'अनवर अली'

अनवर कभी आइ-लीग तो कभी इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) में खेलकर भारतीय टीम में वापसी की राह तलाश रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 01:36 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 01:37 PM (IST)
Indian Super League: 40 की उम्र में भी भारत के लिए खेलने को तैयार 'अनवर अली'
Indian Super League: 40 की उम्र में भी भारत के लिए खेलने को तैयार 'अनवर अली'

नई दिल्ली, विकास पांडेय। एक समय था जब अनवर अली का नाम भारतीय फुटबॉल टीम के अच्छे डिफेंडर में शुमार किया जाता था, लेकिन पिछले सात साल से यह नाम केवल लीग में चर्चा का विषय बनकर रह गया है। अनवर कभी आइ-लीग तो कभी इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) में खेलकर भारतीय टीम में वापसी की राह तलाश रहे हैं।

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2008 में भारत के लिए पदार्पण करने वाले अनवर 33 मुकाबलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हालांकि, 2012 से वह टीम से बाहर हैं और अब उनकी उम्र भी 35 पार कर चुकी है, लेकिन अनवर को अभी भी उम्मीद है कि उन्हें मौका मिलेगा तो वह भारत की ओर से अच्छा प्रदर्शन करेंगे। अनवर ने कहा कि देश के लिए खेलने की उम्मीद कभी खत्म नहीं होगी। मैं 40 का भी हो जाऊंगा तब भी मैं यह उम्मीद बनाए रखूंगा। देश के लिए खेलना किसी भी खिलाड़ी के लिए सम्मान की बात है और मैं हमेशा देश के लिए अपना 100 फीसद देने के लिए तैयार हूं।

दर्जनों भारतीय क्लबों के साथ खेल चुके अनवर इस बार आइ-लीग में पंजाब का प्रतिनिधित्व करेंगे। पंजाब की टीम 2017- 18 में चैंपियन बनी थी, लेकिन पिछले सत्र में उसे नौवें स्थान से संतोष करना पड़ा था। हाल ही में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआइएफएफ) ने आइ-लीग की जगह आइएसएल को अपनी प्रमुख लीग बनाने का फैसला किया है, जिसे एएफसी से भी सहमति मिल गई है। ऐसे में आइ-लीग के खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रश्न खड़ा हो गया है। हालांकि, अनवर ने कहा, हर चीज के अपने नफा एवं नुकसान हैं। जब से आइएसएल और आइ-लीग दोनों टूर्नामेंट भारत में आयोजित हो रहे हैं तब से ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को अपनी पहचान बनाने का मौका मिल रहा है। जहां तक आइ लीग की बात है तो इस लीग का एक अपना इतिहास है। मुझे नहीं लगता कि फस्र्ट डिविजन और सेकेंड डिविजन नाम देने से कुछ खास फर्क पड़ेगा।

पंजाब में जन्मे अनवर पिछले सत्र में आइएसएल में मुंबई सिटी की ओर से खेल रहे थे। लगातार क्लब बदलने और आइ-लीग में वापसी के सवाल पर अनवर ने कहा कि जब मैं पहली बार जेसीटी छोड़कर डेंपो में गया था तब कोई भी पंजाब के खिलाड़ियों को मोहन बागान, डेंपो, ईस्ट बंगाल और र्मंहद्रा जैसे बड़े क्लबों से जाकर खेलने में डर लगता था। उनको लगता था कि इन क्लबों के लिए खेलना मुश्किल होता होगा। डेंपो में जाने से पहले ही मैंने तय किया था कि मैं कभी लंबे समय तक नहीं रहूंगा क्योंकि मैं कहीं फंसकर नहीं रहना चाहता हूं।

मैं अपने खेल में सुधार करने के लिए भारत आया हूं

डिका अनवर अली की तरह असेर पियरिक डिपेंडा डिका भी पंजाब की ओर से पहली बार आइ-लीग में उतरेंगे। कैमरून मूल के डिका के पास भी मोहन बागान जैसे नामी क्लब के साथ खेलने का अनुभव है। डिका इस नई चुनौती के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मैं पंजाब का प्रतिनिधित्व करने के लिए रोमांचित हूं। हर देश में फुटबॉल खेलने की एक अलग शैली होती है। मैं अपने खेल में सुधार करने के लिए भारत आया हूं।


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