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सुई ने फिर बढ़ाया भारत का दर्द, दो खिलाड़ी हुए कॉमनवेल्थ से बाहर

इनके एक्रीडेशन 13 अप्रैल, 2018 को सुबह नौ बजे से रद कर दिए गए हैं। दोनों को खेल गांव (गेम्स विलेज) से बाहर कर दिया गया है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sat, 14 Apr 2018 12:47 PM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 06:04 PM (IST)
सुई ने फिर बढ़ाया भारत का दर्द, दो खिलाड़ी हुए कॉमनवेल्थ से बाहर
सुई ने फिर बढ़ाया भारत का दर्द, दो खिलाड़ी हुए कॉमनवेल्थ से बाहर

गोल्ड कोस्ट, पीटीआइ। भारतीय दल को शुक्रवार को एक बार फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में शर्मिदगी का सामना करना पड़ा, जब रेस वॉकर केटी इरफान और ट्रिपल जंपर वी राकेश बाबू को ‘नो नीडल पॉलिसी’ के उल्लंघन के आरोप में वापस स्वदेश भेज दिया गया। हालांकि, भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) इसके खिलाफ अपील करेगा और भारतीय एथलेटिक्स संघ (एएफआइ) ने जांच समिति का गठन कर दिया है।

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कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) के अध्यक्ष लुइस मार्टिन ने कड़े शब्दों में कहा, ‘राकेश बाबू और इरफान कोलोथम थोडी को तुरंत प्रभाव से गेम्स से बाहर कर दिया गया है। इनके एक्रीडेशन 13 अप्रैल, 2018 को सुबह नौ बजे से रद कर दिए गए हैं। दोनों को खेल गांव (गेम्स विलेज) से बाहर कर दिया गया है। हमने भारत के कॉमनवेल्थ गेम्स एसोसिएशन (सीजीए) से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि दोनों खिलाड़ी पहली फ्लाइट से भारत लौट जाएं।’ हालांकि, एएफआइ ने जांच समिति का गठन कर दोषियों को कड़ी सजा देने की बात कही है, जबकि आइओए ने कहा है कि वह सीजीएफ कोर्ट के फैसले को चुनौती देगा।

इरफान की 20 किमी पैदलचाल स्पर्धा हो चुकी है जिसमें वह 13वें स्थान पर रहे। वहीं, 28 वर्षीय राकेश को शुक्रवार को ट्रिपल जंप का फाइनल खेलना था जिसमें 12वें स्थान पर रहकर उन्होने क्वालीफाई किया था। भारतीय दल के मैनेजर नामदेव शिरगांवकर ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘हम कुछ फैसलों के खिलाफ हैं और अपने शीर्ष अधिकारियों से बात करेंगे। हम इन फैसलों के खिलाफ अपील करेंगे।’ इस दौरान भारत के दल प्रमुख विक्रम सिसोदिया भी मौजूद थे। सीजीएफ ने हालांकि कहा कि डोपिंग का कोई मामला नहीं है। इससे पहले एक मुक्केबाज के कमरे के बाहर सुई मिलने से भारत को खेल शुरू होने से पहले ही शर्मिदगी झेलनी पड़ी थी।

सीजीएफ कोर्ट ने गुरुवार को सीजीएफ मेडिकल आयोग से नोटिस मिलने के बाद मामले की सुनवाई की। सीजीएफ ने कहा, ‘भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स एसोसिएशन के दल प्रमुख विक्रम सिसोदिया, टीम मैनेजर नामदेव शिरगांवकर, एथलेटिक्स टीम मैनेजर रविंदर चौधरी, दोनों एथलीट राकेश बाबू और केटी इरफान और सीजीए भारत से जुड़े अन्य टीम मैनेजरों को सीजीएफ कोर्ट ने सीजीएफ की नो नीडल पॉलिसी के उल्लंघन का दोषी पाया है। इन पांचों को पॉलिसी के उल्लंघन का कसूरवार पाया गया है।’

खिलाड़ियों को मेडिकल आयोग के समक्ष बिना पूर्व घोषणा के सुई (नीडल) के इस्तेमाल की मनाही है या 24 घंटे के भीतर इसकी सूचना देनी होगी। सीजीएफ ने कहा, ‘राकेश और इरफान ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि दूसरे बेडरूम (शयनकक्ष) में एक कप में सुई पड़ी थी। बाद में और पूछने पर राकेश ने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि दूसरे बेडरूम में उनके बैग में सुई पाई गई है। दोनों ही बातें अविश्वसनीय और कपटपूर्ण लग रहीं हैं।’ राकेश और इरफान को नो नीडल पॉलिसी के उल्लंघन का दोषी पाया गया, क्योंकि दोनों इसके अनुच्छेद एक, दो, तीन और चार का पालन नहीं कर सके। ये चारों अनुच्छेद सुइयों के इस्तेमाल के संबंध में हैं। सीजीएफ ने कहा, ‘सीजीएफ सिसोदिया, शिरगांवकर और चौधरी को कड़ी फटकार लगाएगा, क्योंकि वे और ये व्यक्ति नो नीडल पॉलिसी पर अमल करने में नाकाम रहे। सीजीएफ इन्हें कहेगा कि आगे भारतीय दल का कोई भी सदस्य इस नीति के उल्लंघन का दोषी पाया गया तो उसका एक्रीडेशन रद कर दिया जाएगा।’

इस बीच एएफआइ ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। एएफआइ अध्यक्ष आदिल सुमारीवाला ने कहा कि मामले की जांच भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के पूर्व सचिव बीके सिन्हा की अगुआई में होगी, जिसमें एक खेल डॉक्टर और एक अधिकारी या पूर्व खिलाड़ी होगा। क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया के समन्वयक बीवीपी राव ने कहा कि इस मामले ने भारत को शर्मसार किया है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘गेम्स को देखने वाला एक भारतीय होने के नाते मैं शर्मसार हूं। खेल मंत्रालय या प्रधानमंत्री कार्यालय को इस पर गौर करके दोषियों को सजा देनी चाहिए। हर बार हम उन्हें छोड़ देते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए।

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