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कबड्डी संघ अध्यक्ष की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, अवैध किया घोषित

पीठ ने वर्ष 2013 व वर्ष 2017 में चुनाव के बाद जनार्दन सिंह की पत्नी मृदुला भदौरिया की अध्यक्ष पद पर हुई नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 12:22 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 12:22 PM (IST)
कबड्डी संघ अध्यक्ष की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, अवैध किया घोषित
कबड्डी संघ अध्यक्ष की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, अवैध किया घोषित

नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। मनमाने तरीके से समझौता प्रस्ताव पास करके एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआइ) द्वारा आजीवन अध्यक्ष की नियुक्ति पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। अर्जुन अवॉर्ड महिपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने एकेएफआइ के जनवरी 2012 के समझौता प्रस्ताव को अवैध करार देते हुए आजीवन अध्यक्ष जनार्दन सिंह गहलोत की नियुक्ति को भी अवैध करार दिया। पीठ ने इसके साथ वर्ष 2013 व वर्ष 2017 में चुनाव के बाद जनार्दन सिंह की पत्नी मृदुला भदौरिया की अध्यक्ष पद पर हुई नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया। साथ ही पीठ ने संघ के अध्यक्ष को दिए गए सभी आर्थिक लाभ भी वापस लेने का आदेश दिया।

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मुख्य पीठ ने फैसले में कहा कि प्रतिवादी को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के योग्य बनाने के लिए समझौता प्रस्ताव में अवैध तरीके से संशोधन किया गया। पीठ ने कहा कि संघ में फैली अराजकता को देखते हुए आइएएस सनत कौल (सेवानिवृत्त) को अगले आदेश तक एकेएफआइ का प्रशासक नियुक्त किया जाता है। उनके पास अध्यक्ष के सभी अधिकार होंगे। चयनित समिति समझौता प्रस्ताव में संशोधन करेगी और यह सब होने के बाद अंतिम चुनाव कराया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया छह माह के अंदर पूरी कराई जाए। पीठ ने आदेश दिया कि संघ प्रशासक के कार्यालय व कर्मचारियों की व्यवस्था करे और प्रशासक अपने स्तर पर भी कर्मचारी रख सकता है। जब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक संघ बगैर अनुमति के कोई नया आर्थिक फैसला नहीं ले सकेगा। पीठ ने प्रशासक को तीन माह के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।

यह था मामला

याचिकाकर्ता महिपाल सिंह ने वकील बीएस नागर के माध्यम से याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार एकेएफआइ द्वारा समझौता प्रस्ताव लाकर संविधान में संशोधन को रद करने व 19 मई 2013 को हुए चुनाव के बाद अध्यक्ष की नियुक्ति को समाप्त करने की मांग की थी। उन्होंने मांग की थी कि एक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त करके पूरे मामले की जांच कराई जाए और दोबारा से चुनाव कराए जाएं। उन्होंने आरोप लगाया था कि संघ में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं और इसकी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए।

यह हुआ था संशोधन 

जनार्दन सिंह 1984 से मई 2013 तक बगैर किसी चुनाव के अध्यक्ष पद पर रहे। जब वर्ष 2011 में स्पोर्ट्स कोड के तहत यह फैसला आया कि कोई भी संघ तीन बार से अधिक बार अध्यक्ष पद पर नहीं रहेगा तो 29 दिसंबर 2011 को संघ के महासचिव ने सात जनवरी 2012 को संविधान में संशोधन कर जनार्दन सिंह गहलोत को आजीवन अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया। साथ ही यह भी संशोधन किया गया कि अगर दो सदस्य समर्थन कर दे तो किसी बाहरी को भी संघ का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस तरीके से उन्होंने अपनी पत्नी मृदुला भदौरिया को अध्यक्ष नियुक्त करा दिया। इस फैसले को महिपाल सिंह ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जनार्दन के बेटे तेजस्वी गहलोत वर्तमान में राजस्थान कबड्डी संघ के अध्यक्ष भी हैं।’

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