CWG-2010 के भ्रष्टाचार मामले के आरोपित ललित भनोट टोक्यो ओलंपिक में प्रतिनिधि के रूप में नहीं जाएंगे
CWG-2010 के भ्रष्टाचार मामले के आरोपित ललित भनोट उनके प्रतिनिधि के रूप में टोक्यो ओलंपिक नहीं जाएंगे। एएफआइ ने कहा भनोट को आगामी टोक्यो ओलंपिक एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों सहित किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में आइओए एएफआइ और भारत का प्रतिनिधित्व करने से रोका जाए।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) और भारतीय एथलेटिक महासंघ (एएफआइ) ने दिल्ली हाई कोर्ट को सूचित किया कि राष्ट्रमंडल खेल-2010 के भ्रष्टाचार मामले के आरोपित ललित भनोट उनके प्रतिनिधि के रूप में टोक्यो ओलंपिक नहीं जाएंगे। आइओए व एएफआइ ने यह जवाब एक याचिका पर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि भनोट को आगामी टोक्यो ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों सहित किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में आइओए, एएफआइ और भारत का प्रतिनिधित्व करने से रोका जाए।
भनोट पर कथित तौर पर धोखाधड़ी, साजिश रचने और सरकारी खजाने को 90 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान करने का आरोप है। भनोट के अलावा आयोजन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी सहित नौ अन्य लोग भ्रष्टाचार के मामले में आरोपित हैं। न्यायमूर्ति मनमोहन व न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने आइओए और एएफआइ के बयान को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई आठ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
आइओए की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार दुबे और एएफआइ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता हृषिकेश बरुआ ने पीठ को बताया कि भनोट प्रतिनिधि के रूप में टोक्यो ओलंपिक की यात्रा नहीं कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व धावक और राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियन एन रामी रेड्डी ने याचिका दायर कर आइओए और एएफआइ में विभिन्न समितियों में कार्यकारी परिषद के सदस्य, अध्यक्ष या सदस्य के रूप में भनोट की नियुक्ति को रद करने की मांग की थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि आइओए और एएफआइ में कई अनियमितताएं और अवैधताएं हैं, और कई गंभीर आरोप होने के बावजूद भनोट को कार्यकारी परिषद सदस्य व विभिन्न तदर्थ समितियों के अध्यक्ष व सदस्य के रूप में पदों पर नियुक्त किया गया है। अधिवक्ता वंशदीप डालमिया के माध्यम से दायर याचिका में अंतरिम राहत की मांग करते हुए भनोट को किसी भी अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करने से रोकने की मांग की थी।