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क्रिकेटर बनना चाहते थे 'बैडमिंटन के द्रोणाचार्य', भाई की वजह से बने शटलर, जानें गोपीचंद की उपलब्धियां

भारतीय बैडमिंटन के द्रोणाचार्य गोपीचंद आज अपना 46 वां जन्मदिन मना रहे हैं। गोपीचंद शुरू में एक क्रिकेटर में बनना चाहते थे लेकिन भाई की वजह से शटलर बनगए।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 01:24 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 01:24 PM (IST)
क्रिकेटर बनना चाहते थे 'बैडमिंटन के द्रोणाचार्य', भाई की वजह से बने शटलर, जानें गोपीचंद की उपलब्धियां

नई दिल्ली, जेएनएन। आज पूरे विश्व में भारत के बैडमिंटन खिलाड़ी नई इबादत लिख रहे हैं तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पुलेला गोपीचंद हैं। भारतीय बैडमिंटन के 'द्रोणाचार्य' गोपीचंद आज अपना 46 वां जन्मदिन मना रहे हैं। गोपीचंद शुरू में एक क्रिकेटर में बनना चाहते थे, लेकिन उनके भाई ने उनपर बैडमिंटन खेलने का दबाव डाला। इसके बाद गोपीचंद एक बैडमिंटन में अपना करियर बनाया और गोपीचंद इस वक्त भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच हैं।

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गोपीचंद ने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु दिया

पुलेला गोपीचंद का जन्म आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में 16 नवंबर, 1973 को हुआ था। बतौर खिलाड़ी गोपीचंद ओलंपिक में पदक नहीं जीत सके, लेकिन कोच बनने के बाद उन्होंने साइना नेहवाल और पीवी सिंधु के रूप में ऐसे खिलाड़ी दिए, जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीते। 2012 में साइना नेहवाल और 2016 में पीवी सिंधु ने यह करनामा किया। 

इन पुरस्कार से सम्मानित

गोपीचंद को साल 2014 में भारतीय बैडमिंटन में उनके योगदान और उपलब्धियों के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें 1999 में अर्जुन पुरस्कार और 2009 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

खिलाड़ी के तौर पर किया बड़ा करनामा

एक खिलाड़ी के तौर पर भी उन्होंने भारत का काफी गौर बढ़ाया। बौतर खिलाड़ी उन्होंने साल 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता। उन्होंने चीन के चेन होंग को फाइनल में 15-12,15-6 से हराया था। यह करनामा करने वाले वो भारत के दूसरे खिलाड़ी बने। इससे पहले प्रकाश पादुकोण ने यह करनामा किया था। पादुकोण ने 1980 में चैंपियनशिप जीता था। 

लगातार पांच बार नेशनल चैंपियनशिप टूर्नामेंट के विजेता

गोपीचंद ने 1998 कॉमनवेल्थ वीडियो गेम्स में रजत पदक और 1998 कॉमनवेल्थ वीडियो गेम्स में कांस्य पदक प्राप्त किया।गोपीचंद के पास 1996 से 2000 के बीच लगातार पांच बार नेशनल चैंपियनशिप टूर्नामेंट जीता।

 

2008 में गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी शुरू की

गोपीचंद ने साल 2008 में गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी शुरू की। कहा जाता है कि इसके लिए उन्हें अपना घर तक गिरवी रखना पड़ा। अकादमी ने तब से अब तक सिंधु, साइना और किदांबी श्रीकांत जैसे बड़े शटलर्स दिए हैं। अकादमी की शुरुआत में यहां 25 खिलाड़ी ट्रेनिंग लेते थे और आज देशभर के 500 से अधिक खिलाड़ी ट्रेनिंग लेते हैं। पुलेला गोपीचंद की बेटी गायत्री यू -13 राष्ट्रव्यापी बैडमिंटन चैंपियन है। उनका बेटा गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करता है।

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