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PT Usha: पय्योली में पैदा होने से लेकर 'Payyoli Express' बनने तक का सफर, 250 रुपये ने इस तरह पलट दी दुनिया

PT Usha Birthday। जिस जिंदगी में संघर्ष नहीं वह जीवन जीवन नहीं। आपने बचपन से ये कहावत तो जरूर सुनी होगी कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और बिना मेहनत के किसी की कहानी साकार नहीं होती। ऐसी ही कहानी भारत की पहली महिला एथलीट पीटी उषा की है जिन्होंने 50 और 60 के दशक में जो उपलब्धियां हासिल की उसने देश की शान बढ़ाई।

By Priyanka JoshiEdited By: Priyanka JoshiPublished: Tue, 27 Jun 2023 07:15 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2023 07:15 AM (IST)
PT Usha Birthday: अपना 59वां जन्मदिन मना रही है भारत की उड़न परी

नई दिल्ली, स्पोर्ट्स डेस्क। PT Usha Birthday। जिस जिंदगी में संघर्ष नहीं वह जीवन जीवन नहीं। आपने बचपन से ये कहावत तो जरूर सुनी होगी कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती और बिना मेहनत के किसी की कहानी साकार नहीं होती।

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ऐसी ही कहानी भारत को ओलंपिक फाइनल तक पहुंचाने वाली देश की पहली महिला एथलीट पीटी उषा की है, जिन्होंने 50 और 60 के दशक में कई उपलब्धियां हासिल की उसने तिरंगे की शान बढ़ाई। बता दें कि पीटी उषा आज अपना 59वां बर्थडे मना रही है। ऐसे में उनके इस खास दिन पर आइए जानते हैं पीटी उषा की संघर्ष भरी कहानी के बारे में विस्तार से।

PT Usha Birthday: अपना 59वां जन्मदिन मना रही है भारत की उड़न परी

दरअसल, भारत के ट्रैक एंड फील्ड इतिहास में पुरुष वर्ग में मिल्खा सिंह ने जो उपलब्धियां हासिल की, वहीं महिला वर्ग में पीटी उषा (Pilavullakandi Thekkeparambil) ने हासिल की। केरल में कोजिकोड जिले के पय्योली गांव में जन्मी पीटी उषा आज अपना 59वां जन्मदिन मना रही है।

250 रुपये ने बदली दी थी दुनिया

बता दें कि पहली बार पीटी उषा लाइमलाइट में जब आई थी तब वह महज 12 साल की थी। खेल जगत में पीटी उषा को Payyoli Express के अलावा Queen of Indian Track And Field के नाम से जाना जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया, लेकिन बहुत ही कम लोग इस बारे में जानते हैं कि महज 250 रुपयों ने पीटी उषा की जिंदगी बदल दी थी। उस वक्त 250 रुपये स्कॉलरशिप के तौर पर उन्हें मिले थे, उस समय वह रुपये ही बहुत होते थे।

गरीब से लेकर उड़न परी बनने तक का सफर,जानें PT Usha की कहानी

बता दें कि गरीब परिवार में जन्म लेने के बाद पीटी उषा ने एथलीट बनने तक के सफर में कई मुश्किलों का सामना किया। वह देश की पहली और सबसे युवा महिला एथलीट बनी, जिन्होंने 1980 के मॉस्को ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया था। उस समय वह 26 साल की थीं। उन्होंने 1981 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वहीं, 1982 के एशियन गेम्स में उन्होंने 100 और 200 मीटर की रेस में रजत पदक हासिल किया। पीटी उषा भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने ओलंपिक ट्रैक इवेंट के फाइनल में जगह बनाई थी।

जब पीटी उषा की हार को देख फैंस का टूट गया था दिल

1984 में पीटी उषा ने लॉस एंजेलेस ओलंपिक खेलों में महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ का वीडियो खूब वायरल हुआ था, दिलमें साफ तो नहीं, लेकिन उनकी दौड़ की धुंधली झलक देखने को मिली। इस दौरान भारतीय फैंस के रोंगटे खड़े हो गए थे, लेकिन अंत में उन्हें चौथे स्थान पर देख सबका दिल टूट जाता हैं।

भले ही पीटी उषा ने चौथा स्थान हासिल किया हो, लेकिन देश के लिए वह एक नायिका थी। 1986 के बाद से उनकी जिंदगी पलटी और उन पर मेडल की बरसात हुई। सिओल एशियाई खेलों में पीटी उषा ने 4 गोल्ड मेडल जीते थे। ये मेडल उन्होंने 200 मीटर, 400 मीटर और 1600 मीटर की रेस में हासिल किए। वहीं, 100 मीटर की रेस में वह दूसरे स्थान पर रही। बता दें कि साल 1983 में पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और 1985 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।


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