विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक से मिट गया रियो ओलंपिक का दर्द: चानू
अब चानू का दर्द कम हो गया है।
महिला विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में दो दशक से ज्यादा समय से चले आ रहे भारत के पदक के सूखे को साइखोम मीराबाई चानू ने स्वर्ण पदक के साथ खत्म किया। अमेरिका में मौजूद चानू की योगेश शर्मा से फोन पर खास बातचीत हुई। पेश हैं मुख्य अंश:
रियो ओलंपिक के बाद विश्व चैंपियनशिप के लिए कैसी तैयारी की?
रियो ओलंपिक की गलतियों पर मैंने काफी काम किया। मेरा क्लीन एंड जर्क काफी कमजोर था और मैंने इस पर सबसे अधिक मेहनत की। पिछली दो विश्व चैंपियनशिप भी मेरी खराब रही थीं, लेकिन अब स्वर्ण जीतकर मैंने अपने उस दर्द को मिटा दिया।
बड़े खिलाड़ियों के नहीं खेलने से क्या पदक की आपकी राह आसान नहीं हुई?
हर कोई पदक जीतने आता है। किसी के हटने से कुछ फर्क नहीं पड़ता। वेटलिफ्टिंग ऐसा खेल है जिसमें कमजोर खिलाड़ियों के साथ भी आपका खेल खराब हो सकता है। मैं सिर्फ पदक जीतने के इरादे से ही हर चैंपियनशिप में जाती हूं और यहां भी इसी सोच के साथ आई थी।
जीत का श्रेय किसे देंगी?
मैं इसका श्रेय राष्ट्रीय कोच विजय शर्मा को दूंगी। मैं 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद उनसे जुड़ी थी। उन्होंने पटियाला में राष्ट्रीय कैंप में मेरे साथ मेहनत की, खासकर क्लीन एंड जर्क पर काम किया।
इस चैंपियनशिप के लिए बड़ी बहन की शादी भी छोड़ दी?
कुछ दिन पहले ही मेरी बड़ी बहन की शादी थी, लेकिन मैंने पदक जीतने के लिए चैंपियनशिप में खेलना जरूरी समझा। मैं लंबे समय से अपने घर नहीं गई हूं, लेकिन अब मैं खुश हूं।
अगला लक्ष्य क्या है?
मेरा ध्यान अगले साल होने वाले एशियाई खेलों पर है। इसके लिए विजय सर के मुताबिक ही तैयारी करूंगी।
वेटलिफ्टिंग संघ व सरकार से आपको क्या उम्मीद है?
मैं खिलाड़ी हूं और मेरा काम सिर्फ पदक जीतना है। मैं उनसे कुछ नहीं मांग रही हूं। संघ ने मेरा हमेशा साथ दिया है। फिर भी अगर वह मुझे कुछ देना चाहेंगे तो मैं सहज स्वीकार करूंगी।