पूर्व खिलाड़ी चंदा करने के लिए तैयार, लेकिन संघ के पास वक्त नहीं
आनंदेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में भेजा जाना चाहिए।
भाष्कर सिंह, लखनऊ। भारतीय हैंडबॉल संघ ने भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) और केंद्र सरकार के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़कर अपनी पुरुष टीम को एशियन गेम्स में खेलने का मौका दिलाया, लेकिन दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में भारत की टीम इंडोनेशिया में होने वाले खेलों में खेलती नजर नहीं आएगी।
हालात से पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर और मुख्य कोच रहे सैयद फरमान हैदर का कहना है कि राष्ट्रीय टीम को वहां भेजा जाए, अगर पैसे कि किल्लत है तो वे चंदा करके पैसा जुटाकर सरकार को दे देंगे। वहीं आइओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडेय का कहना है कि मुद्दा पैसा नहीं है। खेल मंत्रालय के निर्देशों ने फुटबॉल टीम का रास्ता रोका है। खुद ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआइएफएफ) का कोई प्रतिनिधिमंडल हमारे पास इस संबंध में बात करने नहीं आया है।
खुद राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के कोच स्टीफन कोंस्टेटाइन सरकार और आइओए से टीम को एशियन गेम्स भेजने की मांग कर चुके हैं, लेकिन आइओए अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा नियमों का हवाला देकर ऐसा करने से इन्कार कर चुके हैं। फरमान हैदर ने कहा कि मेरी तमाम लोगों से बात हुई है। हम चंदा जमा करके अपनी टीम को एशियन गेम्स में भेजने के लिए तैयार हैं। फरमान हैदर बताते हैं कि मैं अपने अनुभव से बता सकता हूं कि हमारे युवा खिलाड़ी बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, जरूरत है उन्हें मौके देने की।
एशियन गेम्स में अंडर-23 की टीम हिस्सा लेती है। हम जब उच्च स्तर पर फुटबॉल खेलेंगे तभी एक दिन फीफा विश्व कप में हिस्सा ले पाएंगे। एशियन गेम्स में खेल का स्तर अच्छा है। राष्ट्रीय टीम कोंस्टेटाइन के नेतृत्व में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। उन्हें फिर क्यों मौका नहीं देना चाहिए। सरकार और आइओए को अगर सिर्फ पैसे की दिक्कत है तो मैं और मेरे साथी चंदा जमा करके एक-दो करोड़ रुपये तक सरकार को देने के लिए तैयार हैं। मैं और मेरे साथी प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
वहीं आनंदेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि फुटबॉल टीम को एशियन गेम्स में भेजा जाना चाहिए, लेकिन खेल मंत्रालय का निर्देश है कि एशियाई रैंकिंग में चौथे स्थान तक की ही टीमों को वहां भेजा जाए। एआइएफएफ को हमसे और सरकार से बात करनी चाहिए थी, ताकि कोई रास्ता निकल सके, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। ऐसे में हमें सरकारी निर्देशों के अनुसार चलना होगा।