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Commonwealth Games 2022: बेहद साधारण परिवार की दुती चंद ने अपनी रफ्तार से दुनिया जीती

Commonwealth Games 2022 दुती चंद को धाविका बनने की प्रेरणा उनकी बहन से मिली जो स्टेट लेवल की एथलीट थीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अभी वो महिला 100 मीटर इवेंट में नेशनल चैंपियन हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2022 07:39 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2022 07:39 AM (IST)
भारत की महिला धावक दुति चंद (एपी फोटो)

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय महिला धावक दुती चंद एक बेहद साधारण परिवार से आती हैं, लेकिन उनके सपनों के आगे उनकी गरीबी बाधा नहीं बनी और आज उन्होंने अपनी रफ्तार के दम पर वो सब कुछ हासिल किया है जो हर किसी के पास नहीं होता। पहले गरीबी और बाद में समलैंगिक होने की बेहद व्यक्तिगत बातें दुनिया के सामने आई, लेकिन दुती चंद को कोई भी बाधा डगमगा नहीं पाई। दुती चंद ने हमेशा ही हर मुसीबत का बखूबी सामना किया और वो देश का नाम लगातार रोशन कर रही हैं। 

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दुती को धाविका बने की प्रेरणा अपनी बहन से मिली

दुतीचंद का जन्म ओडिशा के जाजपुर जिले के चाकागोपालपुर गांव में एक गगरीब बुनकर परिवार में हुआ था। सात भाई-बहनों में वे अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं। वो उन्हें धाविका बनने की प्रेरणा उनकी बहन से मिली जो स्टेट लेवल की एथलीट थीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और अभी वो महिला 100 मीटर इवेंट में नेशनल चैंपियन हैं। 

दुती चंद का करियर

दुती चंद ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वो समर ओलिंपिक गेम्स में महिला 100 मीटर इवेंट में क्वालीफाई करने वाले तीसरी भारतीय महिला एथलीट हैं। 2016 समर ओलिंपिक में उन्होंने शुरुआत राउंड में अपनी रेस पूरी करने में 11.69 सेकेंड का समय लिया था और वो दूसरे दौरे में नहीं पहुंच पाईं थीं। उन्होंने एशियन गेम्स 2018 में 100 मीटर रेस में सिल्वर मेडल तो वहीं 200 मीटर रेस में भी सिल्वर मेडल जीता था। एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने 2013 में 200 मीटर में ब्रान्ज मेडल, 2017 में 100 मीटर में ब्रान्ज, फिर 4 गुणा 400 मीटर में ब्रान्ज जबकि 2019 में दोहा में 200 मीटर रेस में भी ब्रान्ज मेडल जीता था। 

उन्होंने 2016 दोहा में आयोजित एशियन इनडोर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में ब्रान्ज मेडल जीता था तो वहीं साउथ एशियन गेम्स 2016 में 100 मीटर में सिल्वर जबिक 200 मीटर इवेंट में ब्रान्ज मेडल अपने नाम किया था। वहीं 2019 में नेपाल में आयोजित ग्रीष्मकालीन विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारत की पहली महिला स्प्रिंटर बनीं थीं और 100 मीटर की रेस 11.32 सेकेंड में पूरी की थी। 


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