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बर्थडे स्पेशल: जब विजेंदर ने ओलंपिक पदक जीतकर रच दिया था इतिहास

विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ।

By Lakshya SharmaEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 02:46 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 02:46 PM (IST)
बर्थडे स्पेशल: जब विजेंदर ने ओलंपिक पदक जीतकर रच दिया था इतिहास
बर्थडे स्पेशल: जब विजेंदर ने ओलंपिक पदक जीतकर रच दिया था इतिहास

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत को बॉक्सिंग में पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले विजेंदर सिंह का आज जन्मदिन है। इसी वजह से उन्हें किंग ऑफ द रिंग भी कहा जाता है। विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ। विजेंदर के पिता महिपाल सिंह बेनीवाल हरियाणा रोडवेज़ में बस ड्राइवर हैं और उनकी माँ एक गृहणी हैं।

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ऐसे शुरू हुआ मुक्केबाज़ी का सफर

विजेंदर सिंह ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव कालूवास से की और सेकेंडरी शिक्षा के लिए जिला भिवानी के स्कूल में दाखिला लिया और फिर आगे अपनी बैचलर डिग्री पूरी की। साल 1990 में एक मुक्केबाज राज कुमार सांगवान ने अर्जुन अवार्ड जीता जिसे देखकर विजेंदर और उनके भाई, मनोज ने निश्चित किया कि वे मुक्केबाजी सीखेंगे। विजेंदर की मुक्केबाजी में रूचि होने के कारण उन्होंने अपने पढ़ाई को जारी नही रखा और अपने करियर में मुक्केबाजी को जगह दे दी। वे इसमें माहिर होते चले गए।

ऐसे रचा इतिहास

2008 में बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने से पहले उनका इस महाकुंभ में खेलना मुश्किल लगा रहा था, क्योंकि वो कमर की चोट से जूझ रहे थे। लेकिन इसके लिए उन्होंने खूब मेहनत की और खुद को इस महासमर के लिए खुद को एकदम फिट कर लिया। इसके बाद बीजिंग में हुए ओलंपिक में विजेंदर ने मिडिलवेट वर्ग में भाग लिया और वहाँ उन्होंने कांस्य पदक जीता। यहाँ वे भारत के पहले मुक्केबाज थे, जिन्होंने भारत के लिए पहला पदक जीता।

2015 में शुरू की पेशेवर मुक्केबाज़ी

10 अक्टूबर 2015 को सोनि व्हिटिंग के खिलाफ सिंह ने अपनी पहली प्रोफेशनल बॉक्सिंग फाइट लड़ी और TKO से उसमें जीत दर्ज की। विजेंदर सिंह प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 10 मुकाबले लड़ चुके हैं और सभी मे उन्होंने जीत दर्ज की है। 7 मुकाबलों में उन्होंने नॉकआउट से जीत दर्ज की तो वहीं 3 मुकाबलों में निर्णय उनके पक्ष में रहे।

फाइट से पहले क्या सोचता है विजेंदर का बेटा?

एक बार इंटरवियू में विजेंदर से जब पूछा गया कि जब वह रिंग में उतरते हैं तो उनके परिवार के सदस्य उनसे क्या कहते है तो विजेंदर का कहना था कि वैसे तो मेरा परिवार मेरी फाइट ज्यादा देखता नहीं है, लेकिन हां उनका बेटा हमेशा ही उन्हें मोटिवेट करता है और कहता है कि जीत कर ही आना। हां मेरी मां जरूर उस दिन पूजा करती हैं। 

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